कौन हैं यूपी के छोटे शहर की आईएएस आकांक्षा राना, महाकुंभ मेले में पीएम मोदी को 1-1 बारीकी बताई
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कौन हैं यूपी के छोटे शहर की आईएएस आकांक्षा राना, महाकुंभ मेले में पीएम मोदी को 1-1 बारीकी बताई

IAS Akanksha Rana: पीएम मोदी प्रयागराज महाकुंभ 2025 की तैयारियों का जायजा लेने संगम नगरी पहुंचे तो योगी की तेज तर्रार महिला अफसर ने एक-एक जानकारी देते दिखीं. 

IAS Akanksha Rana

IAS Akanksha Rana: प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का आगाज हो चुका है. संगम नगरी पहुंचे पीएम मोदी ने गंगा पूजन और कलश स्‍थापित कर महाकुंभ की औपचारिक शुरुआत कर दी है. इसके बाद पीएम मोदी ने प्रयागराज महाकुंभ की तैयारियों का जायजा लिया. इस दौरान आईएएस अफसर आकांक्षा राणा ने पीएम मोदी को महाकुंभ की तैयारियों की एक-एक बारीकी बताई. पीएम मोदी के साथ उनकी तस्‍वीरें भी वायरल हो रही हैं. तो आइये जानते हैं कौन हैं आईएएस अफसर आकांक्षा राणा?. 

कौन हैं आईएएस अफसर आकांक्षा राणा? 
साल 2017 बैच के आईएएस अफसर आकांक्षा राणा यूपी के जालौन के उरई की रहने वाली हैं. आकांक्षा राणा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा उत्तर पूर्वी राज्यों से ग्रहण करने के बाद आईआईटी कानपुर आ गईं. आईआईटी कानपुर से इकोनॉमिक्स में मास्टर डिग्री की हासिल करने के बाद यूपीएससी की तैयारी करने लगीं. इसके बाद साल 2017 में आकांक्षा राणा ने यूपीएससी क्रैक करके आईएएस बन गईं. 

इन जिलों में रह चुकीं सीडीओ 
आईएएस अफसर आकांक्षा राणा वर्तमान में विशेष कार्याधिकारी कुंभ मेला प्राधिकरण पद पर तैनात हैं. इससे पहले वह हरदोई में मुख्य विकास अधिकारी यानी सीडीओ के रूप में कार्य कर चुकीं हैं. गोरखपुर में प्रशिक्षण प्राप्त कर प्रयागराज में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के तौर पर जिम्मेदारियों को संभाल चुकीं हैं. अब उन्‍हें महाकुंभ को सफल बनाने की जिम्‍मेदारी सौंपी गई है. इसकी एक झलक पीएम मोदी के दौरे में दिखी. पीएम मोदी को महाकुंभ की तैयारियों की सभी जानकारी दी. बता दें कि आकांक्षा राणा अलीगढ़ की भी सीडीओ रह चुकी हैं. 

हरदोई में बंजर भूमि को किया हरा भरा 
हरदोई सीडीओ रहने के दौरान आईएएस आकांक्षा राणा ने बंजर भूमि को हरा भरने का काम किया था. उन्‍होंने जापानी वनस्‍पति वैज्ञानिक अकीरा मियावाकी की पद्धति का सहारा लेकर बंजर भूमि को हरा भरा कर दिया था. उन्‍होंने खाली पड़े बंजर स्‍थनों, जल सरोवर और ग्राम पंचायतों में कुल 372 मियावाकी साइट चुनी. एक साइट पर 350 पौधों का रोपण कराया. इस पद्धति से 30 वर्षों में ही जंगल तैयार किया जा सकता है. 

 

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