Bahraich Wolf Attack: बहराइच में पिछले एक सप्ताह से भी अधिक समय से आदमखोर भेड़ियों का आतंक जारी है. रविवार की रात को भी आदमखोर भेड़िये ने एक मासूम को घर के अंदर से उठा ले गया.
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Bahraich Wolf Attack: बहराइच में आदमखोर भेड़िये का आतंक है. आदमखोर भेड़ियों के हमले से अब तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है. 40 से ज्यादा लोग घायल हैं. सोमवार को भी आदमखोर भेड़िये ने एक तीन साल की मासूम को नोंच-नोंच कर मार डाला. वहीं, घर में सो रही एक बुजुर्ग महिला पर हमला बोल दिया. इसके चलते बहराइच के 50 से ज्यादा गांवों में दहशत का माहौल है. इस बीच पुलिस प्रशासन भी भेड़ियों को पकड़ने में नाकाम साबित हुआ है. डीएम बहराइच ने भी माना है कि भेड़िये चकमा देकर नए गांवों को निशाना बना रहे हैं.
डीएम ने लोगों से खुले में न सोने की अपील की
आदमखोर भेड़ियों ने बहराइच के हरदी के गुरुदत्त सिंह गरेठी में रविवार की रात घर में सो रही तीन साल की मासूम को करीब 2 किलोमीटर दूर उठा ले गए. भेड़ियों ने मासूम को नोंच-नोंच कर मौत के घाट उतार दिया. वहीं, एक बुजुर्ग महिला पर भी हमला बोला. घटना की जानकारी पर डीएम बहराइच मौके पर जांच करने पहुंची. इस दौरान डीएम मोनिका रानी ने कहा कि आदमखोर भेड़िये हमले के बाद नए गांवों को शिकार बना रहे हैं. भेड़िये जिस गांव में हमला कर रहे हैं, उसके बाद वहां से झुंड के साथ दूसरे गांवों की ओर चले जा रहे हैं. आदमखोर भेड़िये वन विभाग की टीम और पुलिस प्रशासन के कर्मचारियों को चकमा देकर दूसरे गांव में शिकार बना रहे हैं. डीएम बहराइच ने लोगों से खुले में न सोने की अपील की है. उन्होंने कहा कि लोग घर के अंदर या छत पर सोएं.
100 से ज्यादा है आदमखोर भेड़ियों की संख्या!
वहीं, जानकारों का कहना है कि भेड़ियों को नदी की कछार वाले स्थान पसंद हैं. प्रभावित ग्रामीणों का दावा है कि भेड़िये कई सालों से यह यहां मांद बनाकर रह रहे हैं. नदी की कछार में इनकी 50 से ज्यादा मांदें होने और संख्या 100 से अधिक होने का दावा है. वहीं, वन विभाग का कहना है कि ड्रोन में कैद दो भेड़ियों को ही जिम्मेदार बता रहे हैं. एक मांद में दो से 20 तक की संख्या में भेड़िये रहते हैं.
भेड़ियों की एकता उन्हें खतरनाक शिकारी बनाता है
जानकारों का कहना है कि भेड़ियों को जंगल के बजाए कछार और गन्ने का इलाका ज्यादा रास आता है. सरयू की कछार में 50 से अधिक मांदें हो सकती हैं. झुंड में 20 से ज्यादा भेड़िये हो सकते हैं. इनकी एकता, अनुशासन, रेकी करने की क्षमता व मुखिया का संरक्षण इन्हें खतरनाक शिकारी बनाता है. बता दें कि आदमखोर भेड़िये भले ही पकड़ लें, लेकिन हमले रोकने में नाकाम रहा है वन विभाग.
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