Barabanki Lok Sabha Chunav 2024: 3 बार बीजेपी की जीत हुई और दो बार सपा जीती. बसपा प्रत्याशी ने भी एक बार यहां से जीत हासिल की. चुनावों के साथ समीकरण में बदलाव आए और समाजवादी पार्टी, बीजेपी ने भी अपनी मजबूती बारी बारी से दिखाई है. देखने वाली बात है कि इस बार के चुनाव में विपक्षी गठबंधन के सामने BJP उपेंद्र रावत को उतारा है.
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Barabanki Lok Sabha Chunav 2024 / बाराबंकी: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे लोकसभा सीट बाराबंकी के लोग लोकसभा चुनाव 2024 में अपने सांसद को चुनने के लिए तैयार हैं. सुरक्षित बाराबंकी लोकसभा की सीट बीजेपी के कब्जे में दो बार से हैं. 4 बार के सांसद रहे सपा प्रत्याशी रामसागर रावत को पिछले चुनाव में हराकर बीजेपी प्रत्याशी उपेंद्र रावत विजयी हुए और अब फिर से ऐसा माना जा रहा है कि विपक्षी दलों के गठबंधन के सामने बीजेपी फिर से जीत सकती है. देखने वाली बात है कि इस बार के चुनाव में विपक्षी गठबंधन के सामने BJP उपेंद्र रावत को उतारा है.
उत्तर प्रदेश के 543 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक बाराबंकी लोकसभा सीट है. जिसके अंतर्गत पांच विधानसभा सीट हैं. (Barabanki Loksabha Chunav)
कुर्सी,
जैदपुर (अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित)
रामनगर
हैदरगढ़ (अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित)
और बाराबंकी सदर
2019 में कुल वोट 11,55,341 थे जिसमें कुल पुरुष मतदाता 6,37,599 थे व 5,17,214 महिला मतदाता थीं. साल 2019 में यहां पर वोटिंग प्रतिशत 63.59% था. वहीं लोकसभा 2024 के चुनाव में मतदाताओं की कुल संख्या 23 लाख 11 हजार 652 रहने वाली है. दलित बाहुल्य होने की वजह से सुरक्षित सीट बाराबंकी लोकसभा में वो मतदाता जो दलित व पिछड़े वर्ग के है अपने सांसद को चुनने में निर्णायक भूमिका में होते हैं.
मतदाताओं की संख्या
8,46,712 पुरुष वोटर हैं.
9,70,063 महिला मतदाता हैं.
55 थर्ड जेंडर के मतदाता हैं.
समीकरण में बदलाव
एक समय था जब कांग्रेस के गढ़ के रूप में बाराबंकी सुरक्षित लोकसभा सीट देखी जाती थी. हालांकि, कई दलों के कब्जे में यह सीट साल 1952 से लेकर 2019 तक रही. कुल 17 बार के हुए चुनाव में छः बार कांग्रेस ने अपनी जगह इस सीट पर बनाई. 3 बार बीजेपी की जीत हुई और दो बार सपा जीती. बसपा प्रत्याशी ने भी एक बार यहां से जीत हासिल की. चुनावों के साथ समीकरण में बदलाव आए और समाजवादी पार्टी, बीजेपी ने भी अपनी मजबूती बारी बारी से दिखाई है.
रामसागर रावत ने इस सीट पर 1989, 1991, 1996, और 1999 में जीत दर्ज की थी लेकिन ध्यान देने वाली बात है कि उनकी तीन बार की जीत तीन अलग-अलग पार्टियों से थी. वर्ष 1998 में बीजेपी के टिकट पर बैजनाथ रावत ने पहली बार जीत हासिल की थी. हालांकि. सपा प्रत्याशी के तौर पर अगले चुनाव में राम सागर रावत जीत गए. 2004 के चुनाव में बसपा से कमला प्रसाद विजयी हुए थे और साल 2009 में कांग्रेस के पीएल पुनिया ने सीट पर कब्जा किया. इस तरह 25 साल बाद कांग्रेस इस सीट पर लौटी.
बीजेपी की प्रियंका रावत ने 2014 में इस सीट से जीत हालिस की और ऐसा करने वाली वो पहली महिला बनी. बीजेपी ने साल 2019 के चुनाव में प्रियंका रावत को टिकट न देकर जैदपुर विधायक रहे उपेंद्र सिंह रावत को यहां से उतारा गया. सपा प्रत्याशी रामसागर रावत को इन्होंने हराया.
लोकसभा 2019 के आम चुनाव में उम्मीदवारों की स्थिति
बीजेपी के उपेंद्र सिंह रावत की जीत हुई. उन्हें कुल 535917 मत मिले थे.
दूसरे नंबर पर सपा के राम सागर रावत थे जिन्हें 425777 मत मिले थे.
तीसरे नंबर पर पी.एल पुनिया के बेटे तनुज पुनिया थे जिन्हें 159611 मत मिले थे.
सपा के अरविंद सिंह गोप, राकेश वर्मा का दबदबा
पिछड़े वर्ग की राजनीति में दिलचस्पी लेने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा का जिले में प्रभाव रहा करता था और उनके बाद बेटे पूर्व मंत्री राकेश वर्मा के साथ ही सपा के कद्दावर नेता अरविंद सिंह गोप का जिले में अच्छा खासा दबदबा है. वैसे माना जाता है कि विपक्षी पार्टियों में गुटबाजी व क्षेत्र में कुछ खास दबदबा नहीं होने के कारण नुकसान हो सकता है. अन्य पिछड़ा वर्ग, दलित के साथ ही सामान्य वर्ग के वोटर व पसमांदा मुस्लिम भी बीजेपी के साथ जुड़ा है, ऐसे में बीजेपी को इसका लाभ भी मिल रहा है, लागतार तीसरी बार यह सीट उसी के पास है.
सांसदों की ये है पूरी लिस्ट
2019 में उपेंद्र सिंह रावत की बीजेपी से जीत हुई
2014 में प्रियंका सिंह रावत की बीजेपी से जीत हुई
2009 में पी एल पुनिया की कांग्रेस से जीत हुई
2004 में कमला प्रसाद की बसपा से जीत हुई
1999 में राम सागर की सपा से जीत हुई
1998 में बैजनाथ रावत की बीजेपी से जीत हुई
1996 में राम सागर की सपा से जीत हुई
1991 में राम सागर की झारखंड पार्टी से जीत हुई
1989 में राम सागर की जनता दल से जीत हुई
1984 में कमला प्रसाद की कांग्रेस से जीत हुई
1980 में राम किंकर की कांग्रेस से जीत हुई
1977 में राम किंकर की भारतीय लोकदल से जीत हुई
1971 में कुंवर रुद्र प्रताप सिंह की कांग्रेस से जीत हुई
1967 में आर एस यादव की संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से जीत हुई
1962 में राम सेवक यादव की सोशलिस्ट से जीत हुई
1957 में स्वामी रामानंद की कांग्रेस से जीत हुई
1952 में मोहन लाल सक्सेना की कांग्रेसे से जीत हुई