Lok Sabha Election 2024: लोकसभा का चुनाव पूर्वांचल की ओर बढ़ने लगा है. जहां की करीब 20 सीटें दिल्ली तक पहुंचने का रास्ता खोलती हैं. पूर्वांचल पिछले दो चुनावों से बीजेपी के गढ़ के रूप में देखा जा रहा है.
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Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के चार चरण संपन्न हो गए हैं और अब चुनाव पूर्वांचल की ओर बढ़ता जा रहा है. पीएम मोदी ने हाल ही में पूर्वांचल की अहम सीट वाराणसी में भव्य रोड शो किया और बढ़चढ़कर नामांकन भी किया था. पूर्वांचल यूपी का वो क्षेत्र है जहां से दिल्ली का रास्ता खुलता है. चुनाव में किसी भी पार्टी की स्थित इस क्षेत्र में उतारे गए प्रत्याशियों की हार जीत पर बहुत हद तक निर्भर करती है. पूर्वांचल में करीब 20 सीटें है और इस क्षेत्र में पिछले दो चुनावों से बीजेपी ने बहुत ही मजबूती के साथ अपना प्रदर्शन किया है. इसे इस बात से भी आसानी से समझा जा सकता है कि पूर्वांचल की 20 सीटों में बीजेपी गठबंधन के पास 16 सीटें हैं. चार पर बसपा की जीत हुई थी. आजमगढ़ सीट पर सपा की जीती भले ही हुई हो पर उपचुनाव में पार्टी को हार का स्वाद चखना पड़ा. पूर्वांचल की 11 सीटों पर तो बसपा सपा की कोई चाल काम नहीं आ सकी.
पहले जान लेते हैं पूर्वांचल की सीटें कौन सी हैं जान लेते हैं-
पूर्वांचल में 20 सीटें आती हैं.
संतकबीरनगर, महराजगंज
गोरखपुर, कुशीनगर
देवरिया, बासगांव
लालगंज, आजमगढ़
घोसी, सलेमपुर
बलिया, जौनपुर
मछलीशहर, गाजीपुर
चंदौली, वाराणसी
भदोही, मिर्जापुर
राबर्ट्सगंज, बस्ती
सपा बसपा की चुनौती
गोरखपुर सीट पर साल 2018 के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी जीत तो गई लेकिन आगे चलतर इस सीट से भी उसे हाथ धोना पड़ा. गाजीपुर में पिछला चुनाव बहुजन समाज पार्टी ने जीती लेकिन इस समय सांसद अफजल अंसारी सपा में है. सपा व बसपा के सामने चुनौती है कि 11 सीटों पर जीत हासिल कर पाए. हालांकि, दोनों पार्टियों के सामने एक बोनस में मिली चुनौती भी है. दरअसल, हाथ से निकले गाजीपुर सीट को बसपा इस बार जीतना जरूर चाहेगी. वहीं सपा भी गोरखपुर में जीती हुई बाजी हार कर फिर से जीतना चाहेगी.
सपा-बसपा को इन सीटों पर नहीं मिली कभी जीत
समाजवादी पार्टी को जिन सीटों पर कभी जीत नहीं हासिल नहीं हुई है वो हैं-
बस्ती, संतकबीरनगर
कुशीनगर, वाराणसी, भदोही
वहीं, बसपा जिन सीटों पर जातीय समीकरण बैठाने और बाजी अपने पक्ष में करने की कोशिश में लगी है वो सीटें हैं
महराजगंज, गोरखपुर
कुशीनगर, बासगांव
वाराणसी और बलिया
मुस्लिम और पिछड़े वर्ग
ध्यान देने वाली बात है कि सपा गोरखपुर लोकसभा सीट पर फिर साइकिल चलाना चाहेगी. जातीय समीकरण पर गौर करें तो काजल निषाद को यहां से पार्टी ने टिकट दिया है. यहां निषाद व केवट वर्ग के वोटर 14 फीसदी के करीब हैं. सपा ने बस्ती से राम प्रसाद चौधरी को उतारा है. यहां भी जातिगत समीकरण बैठाने की कोशिश की जा रही है. ये समीकरण कुछ इस तरह हैं- एससी 22 फीसदी, ब्राह्मण 14 फीसदी, कुर्मी 11 फीसदी और मुस्लिम 11 फीसदी के करीब हैं. सपा मुस्लिम और पिछड़ों के भरोसे पर समीकरण तैयार किया है.
पिछड़ी जातियों का गढ़
पूर्वांचल की ज्यादातर सीटों पर जातीय समीकरण पर पिछड़ों का प्रभाव है यानी इस क्षेत्र में पिछड़ा वर्ग हार जीत को तय करता है. सुभासपा हो या अपना दल या फिर निषाद पार्टी, इन जैसी कई छोटी पार्टियों के लिए पिछड़ा वर्ग ही आधार बनता है. साल 2019 में लोकसभा चुनाव में पूर्वांचल की 20 सीटों में 14 बीजेपी ने हालिस किए और अपना दल को दो पर जीत मिली. चार सीटों लालगंज, गाजीपुर, घोसी व जौनपुर में बीएसपी ने जीत हासिल की. हालांकि इस बार भी जातीय समीकरण का पूरा ध्यान रखा गया है. चाहे बीजेपी हो या सपा बसपा, सभी पार्टियों ने चुन चुनकर जाति के सापेक्ष ही अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं. कौन सी पार्टी चुनावी बाजी में जीत हासिल करेगी और किसके पक्ष में पूर्वांचल की ज्यादातर सीटें आएंगी ये देखना होगा.