Meerut Lok Sabha seat: पश्चिमी यूपी के मेरठ लोकसभा सीट पर सपा की दलित प्रत्याशी सुनीता वर्मा से टीवी सीरियल रामायण में राम की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल का सीधा मुकाबला है. यहां के उम्मीदवारों के बीच के कड़ा मुकाबला पर आइए एक नजर डालते हैं.
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Lok Sabha elections 2024: पश्चिमी यूपी के मेरठ लोकसभा सीट पर दूसरे चरण में वोट डाले जाएंगे. मेरठ लोकसभा सीट का चुनाव इस बार बेहद खास और अहम तो होने ही वाले है, इसके साथ साथ यहां के उम्मीदवारों की भी खूब चर्चा है. पश्चिमी यूपी की इस जानीमानी सीट को फिलहाल हॉट सीट के तौर पर देखा जा रहा है. बीजेपी ने लगातार तीन बार से इस सीट से सांसदी जीत रहे राजेंद्र अग्रवाल की जगह अरुण गोविल को मैदान में उतारा है. टीवी सीरियल रामायण में राम की भूमिका निभाने वाले गोविल को टिकट देकर बीजेपी ने इस सीट के चुनाव को बेहद रोचक बना दिया है. तो वहीं सपा की दलित प्रत्याशी सुनीता वर्मा से अरुण गोविल का सीधा मुकाबला है. आइए एक नजर डालते हैं कि यहां के उम्मीदवारों के बीच कड़ा मुकाबला है और किसकी साथ दांव पर है.
राजेंद्र अग्रवाल ने यहां से जीत की हैट्रिक मारी थी
बीजेपी के 'राम' के सामने सपा की 'सबरी' के उतारे जाने बात इस समय जोरों पर है. मेरठ लोकसभा क्षेत्र में फिलहाल पांच विधानसभा सीटों में से तीन पर बीजेपी और दो पर सपा काबिज है. ये पांच सीटे हैं- किठौर, मेरठ कैंट, मेरठ, मेरठ दक्षिण और हापुड़. पिछले लोकसभा चुनाव पर ध्यान दे तो चुनावी मुकाबला काफी कड़ा साबित हुआ. बीजेपी के राजेंद्र अग्रवाल ने यहां से जीत की हैट्रिक मारी थी. केवल 4729 मतों से बीएसपी के हाजी मोहम्मद याकूब को मात दी थी. राजेंद्र अग्रवाल ने कुल 586,184 वोट हासिल किए थे. बसपा के हाजी मोहम्मद याकूब को कुल 581,455 वोट प्राप्त हुए थे. 2014 की बात करें तो मोदी लहर में राजेंद्र अग्रवाल ने लगभग सवा दो लाख वोटों से जीत दर्ज किया था.
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सपा-बसपा ने उतारे हैं हिन्दू प्रत्याशी
सबसे ज्यादा यानी छह लाख मुस्लिम मतदाता मेरठ लोकसभा सीट पर हैं, दलित तीन लाख, वैश्य लगभग ढाई लाख की संख्या में हैं. इस सीट पर ब्राह्मण मतदाता 70 हजार व जाट 60 हजार की संख्या में हैं. गुर्जर व त्यागी भी यहां पर 60-60 हजार की संख्या में हैं. ठाकुर व सैनी 50-50 हजार की संख्या में गिने गए हैं. कश्यप की संख्या यहां पर 45 हजार तो वहीं पंजाबी वर्ग यहां पर 30 हजार की संख्या में हैं. इस तरह साफ साफ दिखता है कि यह एक मुस्लिम बाहुल्य सीट है लेकिन बावजूद इसके सपा-बसपा ने इस बारे मुस्लिम प्रत्याशी को मैदान में उतारने से परहेज किया है. सपा ने तो समीकरणों के उधेड़बुन में तीन बार यहां पर अपना प्रत्याशी बदला. पहले भानु प्रताप फिर अतुल प्रधान और अब दोनों से टिकट वापस लेकर दलित प्रत्याशी सुनीता वर्मा को मैदान में उतारकर भरोसा जताया है. मुस्लिम-दलित गठजोड़ को यहां पर अखिलेश भुनाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.
रणनीतिक निर्णय
वहीं बसपा की बात करें तो इस पार्टी ने भी मुस्लिम प्रत्याशी से परहेज किया है. इस बार मायावती की पार्टी ने त्यागी समुदाय से देवव्रत त्यागी पर विश्वास जताया है. मायावती की नजर मुस्लिम-दलित के साथ ही राजपूत के साथ ही त्यागी समुदायों को भुनाने पर भी है. मेरठ में अधिकतर राजपूत-त्यागी समुदाय के बीच बीजेपी के लिए असंतोष का माहौल है. जिसका बीजेपी को खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है. बसपा मुस्लिम-दलित के साथ ही बीजेपी का विरोध करने वाले जितने भी हिंदू मतदाता है उनको अपने खेमे में करने की कोशिश सपा बसपा दोनों करने की रणनीति पर आगे बढ़ रहे हैं. दो लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने तो मुस्लिम कैंडिडेट उतारे थे लेकिन इस बार परहेज करना उनका रणनीतिक निर्णय हो सकता है.