UP Lok Sabha Chunav 2024: समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले अपनी सहयोगी पार्टी अपना दल (कमेरावादी) से गठबंधन तोड़ दिया है. 32 साल पुरानी सपा ने बसपा, कांग्रेस, रालोद सबसे गठबंधन किया लेकिन यह लंबे समय तक नहीं टिक पाया.
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UP Lok Sabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले समाजवादी पार्टी ने अपनी सहयोगी पार्टी अपना दल (कमेरावादी) से किनारा कर लिया है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी जानकारी दी. इससे पहले जयंत चौधरी की अगुवाई वाला राष्ट्रीय लोकदल भी चुनाव से ठीक पहले पाला बदलकर एनडीए के खेमे में शामिल हो चुका है. सपा की स्थापना के बाद से गठबंधन होते रहे हैं लेकिन ये साथ लंबा नहीं चल सका.
बसपा से पहला गठबंधन
समाजवादी पार्टी की स्थापना 1992 में हुई. समाजवादी पार्टी ने पहली बार बहुजन समाज पार्टी से साल 1993 में गठबंधन किया था. बीजेपी को सत्ता पर काबिज होने से रोकने के लिए मुलायम सिंह यादव और कांशीराम ने हाथ मिलाया था. साथ मिलकर दोनों ने सूबे में सरकार भी बनाई लेकिन ये साथ दो साल में ही खत्म हो गया. 2 जून 1995 को बसपा ने गठबंधन तोड़ दिया.
बीजेपी के साथ भी नहीं बनी बात
2003 में मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने, बहुमत साबित करने के लिए जब विधायक कम पड़े तब बीजेपी ने उनको समर्थन किया था लेकिन यह साथ भी लंबा नहीं चल पाया.
कांग्रेस से मिलाया हाथ
साल 2017 में सपा ने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ा. लेकिन 'दो लड़कों' की जोड़ी ज्यादा समय साथ नहीं रही. चुनाव में सपा केवल 47 सीटों पर सिमट गई. वहीं कांग्रेस के हाथ केवल 7 सीटें आईं. इसके बाद दोनों की राहें जुदा हो गईं. 2024 लोकसभा चुनाव में दोनों दल फिर साथ आए हैं.
फिर हाथी बना साथी
2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सत्ता से हटाने के लिए समाजवादी पार्टी और बसपा एक बार फिर साथ आए. 'बुआ-बबुआ' ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा. नतीजे आए तो बसपा को 10 सीटें मिलीं जबकि सपा 5 पर सिमट गई. कुछ ही समय बाद ये गठबंधन भी खत्म हो गया.
2022 में छोटे दलों का साथ
2022 विधानसभा चुनाव में सपा प्रमुख ने छोटे दलों को साथ लिया. सपा ने ओपी राजभर की सुभासपा, जयंत चौधरी की रालोद, केशव मौर्य के महान दल, प्रसपा, अपना दल कमेरावादी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा. पिछले चुनाव के मुकाबले सपा की सीटों की संख्या तो बढ़ी लेकिन सत्ता पर काबिज नहीं हो पाए. इसके बाद ओपी राजभर, केशव देव मौर्य, जयंत चौधरी ने पाला बदल लिया. वहीं अब लोकसभा चुनाव के ठीक पहले अपना दल कमेरावादी और सपा की राहें जुदा हो गई हैं.
कई बड़े नेता भी हुए अलग
अखिलेश यादव से कई बड़े नेता भी दूर हो चुके हैं. 2022 विधानसभा चुनाव में स्वामी प्रसाद मौर्य, धर्म सिंह सैनी, ओमप्रकाश राजभर और दारा सिंह सहित कई नेता अखिलेश के साथ आए थे लेकिन अब सभी अखिशे का दामन छोड़ चुके हैं.
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