इस्लाम धर्म में जो बातें मोहम्मद साहब (स.अ.) बता गए या कुरान में जितनी आयतें और सूरे हैं वह कयामत तक बदले नहीं जा सकते और न ही उनमें कमी या ज्यादती की जा सकती है.
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संकल्प दुबे/लखनऊ: यूपी में विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां तेजी से तैयारियों में जुटी हुई हैं. इस चुनावी कवायद में धार्मिक और सामाजिक संस्थाएं भी एक्टिव नजर आ रही हैं. चुनावी मंथन शुरू हो चुका है. इसी कड़ी में आज लखनऊ में ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड बड़ी बैठक हुई, जिसमें मुसलमानों से जुड़े हुए कई मुद्दों पर चर्चा की गई. कार्यकारिणी के बोर्ड अध्यक्ष, मौलाना सैयद साएम मेंहदी की अध्यक्षता में बैठक हुई जिसमें बोर्ड के सभी पदाधिकारियों और सदस्यों ने भाग लिया.
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इस्लाम धर्म में कोई भी जोर जबरदस्ती नहीं
बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी मौलाना यासूब अब्बास ने बताया कि कुछ लोग इस्लाम धर्म की छवि को खराब करने के लिए धर्म परिर्वतन की आढ़ लेकर उसे बदनाम करने की कोशिश करते हैं जबकि इस्लाम धर्म में कोई भी जोर जबरदस्ती नहीं है. किसी को जबरदस्ती मुसलमान नहीं बनाया जा सकता. मोहम्मद साहब ने भी किसी को जबरदस्ती कलमा नहीं पढ़वाया. इंसान अपनी मर्ज़ी से अगर इस्लाम धर्म अपनाता है तब तो वह मुसलमान है. जबरन किसी लालच या दबाव में अगर कोई किसी को मुसलमान बनाए तो यह इस्लाम धर्म के विरूद्ध है.
जनसंख्या नियंत्रण कानून पर दोबारा गौर करे यूपी सरकार
मौलाना यासूब अब्बास ने बताया कि जनसंख्या नियंत्रण कानून पर यूपी सरकार को दोबारा गौर करना चाहिए. भारत में आपसी भाईचारे और मेल मिलाप पर ज्यादा जोर देना चाहिए. लोगों में शिक्षा के प्रति जागरूकता पैदा करना चाहिए. वसीम रिजवी के जरिए कुरान की तौहीन की जा रही है वह बिल्कुल गलत है. बोर्ड इसकी सख्त अल्फाज़ में निन्दा करता है और वसीम रिजवी का बाईकाट करता है.
कुरान में जितनी आयतें और सूरे हैं वह कयामत तक बदले नहीं जा सकते
इस्लाम धर्म में जो बातें मोहम्मद साहब (स.अ.) बता गए या कुरान में जितनी आयतें और सूरे हैं वह कयामत तक बदले नहीं जा सकते और न ही उनमें कमी या ज्यादती की जा सकती है. क्योंकि इस्लाम एक मुकम्मल दीन है. कुरआन की हिफाज़त करने वाला अल्लाह है.
इमारतों की जर्जर हालत पर भी जताई अपनी नाराजगी
मौलाना यासूब अब्बास ने हुसैनाबाद ट्रस्ट के अन्तर्गत आने वाली इमारतों की जर्जर हालत पर भी अपनी नाराजगी का इजहार किया. बोर्ड ने इस बात पर बहुत नाराजगी प्रकट की कि यह धार्मिक इमारते हैं जिनकी हालत बहुत जर्जर है. अगर इन पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह बरबाद हो जाएंगी. लखनऊ की पहचान भी इन इमारतों से है. लखनऊ में इमामबाड़े दरगाहे करबलायें दुनिया भर में मशहूर हैं अगर इनका ही अस्तित्व खत्म हो जाएगा तो लखनऊ की पहचान मिटा जाएगी.
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Archeological Survey of India के जिम्मेदार इस ओर ध्यान दें
सरकार, जिलाधिकारी / चेयरमैन हुसैनाबाद ट्रस्ट, लखनऊ, हुसैनाबाद ट्रस्ट के जिम्मेदार और Archeological Survey of India के जिम्मेदार इस ओर ध्यान दें. इसके अलावा हुसैनाबाद ट्रस्ट में कई वर्षों से कोई मैनेजमेन्ट नहीं है. यूपी सरकार से इस बारे में कई बार गुजारिश की जा चुकी है कि वह स्कीम ऑफ मैनेजमेन्ट हुसैनाबाद ट्रस्ट में बना कर उसे लागू करे ताकि हुसैनाबाद ट्रस्ट की भलीभांति देखभाल हो सके. जलसे में बोर्ड के उपाध्यक्ष, मौलाना जाहिद अहमद रिजवी, डॉ० मोहम्मद रजा, मौलाना जाफर अब्बास, मौलाना रजा अब्बास, मौलाना एजाज़ अतहर आदि शामिल रहे.
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