सहायक अध्यापक भर्ती: एक अंक से खतरे में 69 हजार शिक्षकों की भर्ती, हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस
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सहायक अध्यापक भर्ती: एक अंक से खतरे में 69 हजार शिक्षकों की भर्ती, हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस

69000 Teacher Recruitment: 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती में गलत प्रश्न पर एक अंक देने के आदेश को नहीं मानने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 28 नवंबर को स्पष्टीकरण देने के साथ ही तलब किया है.

UP Teacher Recruitment

69000 Teacher Recruitment: 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती में गलत प्रश्न पर एक अंक देने का आदेश नहीं मानने पर सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रताप सिंह बघेल व ही सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी अनिल भूषण चतुर्वेदी को इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से 28 नवंबर को स्पष्टीकरण देने के साथ ही तलब किया है. दोनों अधिकारियों से कोर्ट ने पूछा है कि आखिर क्यों नहीं उनके विरुद्ध आदेश न मानने पर अवमानना की कार्यवाही करनी चाहिए. 

अगली सुनवाई में हल 
कोर्ट ने इस बारे में आगे कहा कि दोनों अधिकारी साथ बैठें और एक अंक देने के आदेश के अनुपालन का हल अगली सुनवाई से पहले निकाल लें. कोर्ट ने कहा कि ठोस एक्शन प्लान के साथ अगली सुनवाई में आएं. न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल के द्वारा यह आदेश दिया. उपेंद्र कुमार दयाल की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए अधिवक्ता अनुराग त्रिपाठी और राहुल कुमार मिश्र साथ ही दोनों अधिकारियों के वकीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने यह आदेश दिया है. 

"आरोप लगाने में अधिकारी व्यस्त"
कोर्ट ने कहा कि इन दोनों ही अधिकारियों ने अपने अपने हलफनामों को दायर किया व आदेश का पालन न हो पाने को लेकर एक दूसरे पर आरोप लगाए. जबकि ध्यान देने वाली बात ये है कि एक अंक देने वाले आदेश की पुष्टि सुप्रीम कोर्ट ने भी की है. एक दूसरे पर आरोप लगाने में अधिकारी व्यस्त हैं.

अवमानना की याचिका
मामले के तथ्यों पर गौर करें तो सहायक अध्यापक भर्ती में कोर्ट ने एक प्रश्न के गलत उत्तर पर हल करने वाले अभ्यर्थियों को एक अंक देकर रिजल्ट की घोषणा करने का आदेश दिया और कहा कि पहले से चयनित अभ्यर्थियों पर इसका किसी भी तरह से असर नहीं पड़ेगा. सरकार इस केस में सुप्रीम कोर्ट तक गई पर राहत नहीं मिल पाई. आदेश का पालन नही करने पर संबंधित लोगों पर अवमानना की याचिका की गई है. यहां पर मामला ये है कि आदेश का पालन एक साल बीतने के बाद भी नहीं किया गया. अधिकारियों की ओर से गुरुवार को शपथपत्र दायर किया पर कोर्ट उससे संतुष्ट नहीं हुई. कोर्ट ने इस दौरान कहा कि दोनों अधिकारियों के वकील केवल एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं.

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