Lucknow News : राशिद नसीम ने शाइन सिटी नाम से रियल एस्टेट कंपनी खोलकर मध्यम वर्गीय लोगों को निशाना बनाया. उसने लोगों को आशियाने का ख्वाब दिखाकर प्लॉट और मकान के नाम पर करीब 60 हजार करोड़ रुपये की ठगी कर ली.
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Lucknow News : शाइन सिटी के निदेशक राशिद नसीम के भाई आकिब को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. आरोप है कि आकिब का भाई राशिद नसीम करीब 60 हजार करोड़ रुपये की ठगी कर दुबई भाग गया है. आकिब पर आरोप है कि वह भी धोखाधड़ी में हिस्सेदार था. आकिब पर करीब एक लाख रुपये का इनाम रखा गया था.
60 हजार करोड़ की ठगी
राशिद नसीम ने शाइन सिटी नाम से रियल एस्टेट कंपनी खोलकर मध्यम वर्गीय लोगों को निशाना बनाया. उसने लोगों को आशियाने का ख्वाब दिखाकर प्लॉट और मकान के नाम पर करीब 60 हजार करोड़ रुपये की ठगी कर ली. ठगे गए लोगों ने एफआईआर कराई तो पुलिस सक्रिय हुई. हालांकि, तब तक महाठग राशिद नसीम भारत छोड़कर दुबई भाग चुका था.
कौन हैं राशिद नसीम?
राशिद नसीम मूलरूप से प्रयागराज के करेली के जीटीबी नगर का रहने वाला है. करीब 20 साल पहले वह मल्टी लेवल मार्केटिंग कंपनी स्पीक एशिया का एक मामूली एजेंट था. कंपनी की ठगी की योजनाएं समझने के बाद उसने नौकरी छोड़ दी और लखनऊ आ गया. यहां उसने हजरतगंज के डालीबाग इलाके में स्थित ग्रैंड न्यू अपार्टमेंट में एक पेंट हाउस खरीदा.
ऐसे शुरू की कंपनी
जनवरी 2013 में उसने शाइन सिटी इंफ्रा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड के नाम से रियल एस्टेट कंपनी शुरू की. कंपनी का ऑफिस गोमतीनगर के आर स्क्वायर मॉल में बनाया. सस्ते दाम में प्लाट का झांसा देकर उसने ठगी का मायाजाल फैलाना शुरू किया. महाठग राशिद नसीम के पास एक इंच भी जमीन नहीं थी, लेकिन उसने राजधानी लखनऊ की सीमा से सटे इलाकों में रियल एस्टेट प्रोजेक्ट का प्रचार प्रसार शुरू किया.
किसानों को दिए लुभावने ऑफर
शातिर राशिद ने किसानों से उनके खेत में अपनी कंपनी के प्रोजेक्ट के होर्डिंग लगाने के लिए संपर्क किया. वह किसानों को एक होर्डिंग लगाने के एवज में हर महीने 20 से 25 हजार रुपये किराया देता था. सिर्फ एक होर्डिंग लगाने के इतने रुपये मिलने पर किसान आसानी से राजी हो जाते थे. इस तरह उसने जगह-जगह खेतों में अपनी हाउसिंग स्कीमों के होर्डिंग लगाकर लोगों को अपना प्रोजेक्ट साइट बताकर विजिट करा कर रुपया जुटाना शुरू कर दिया.
कई राज्यों में फैलाया नेटवर्क
राशिद ने पूरे प्रदेश और फिर देश के कई राज्यों में नेटवर्क फैलाया. आकर्षक कमीशन का लालच देकर उसने छोटे-छोटे जिलों और शहरों में अपने एजेंट तैयार किए. इन एजेंट के जरिए उसने लोगों से निवेश में मुनाफा, प्लॉट और मकान देने के नाम पर सैकड़ों करोड़ रुपया इकट्ठा किया.
निवेशकों को मुनाफा देने के बाद बढ़ा कंपनी पर भरोसा
राशिद ने रियल एस्टेट और निवेश की जो स्कीमें शुरू की थीं, उनमें सालभर के बाद निवेशकों को लाभ मिलने थे. शुरुआत में स्कीमों की अवधि पूरी होने पर राशिद ने अपने निवेशकों को लाभांश दिया. लेकिन, निवेशकों को मुनाफा देने का उसका ये फैसला ठगी की बड़ी साजिश का हिस्सा था. राशिद ने जब निवेशकों को मुनाफा दिया तो लोगों का उसकी कंपनी पर भरोसा बढ़ने लगा. लोगों ने अलग-अलग नामों से और अपने परिवार के सदस्यों के नामों से उसकी कंपनी में लाखों रुपये निवेश करने शुरू कर दिए.
सीतापुर से पकड़ा गया आकिब
2 साल बाद ही राशिद नसीम ने अपना रूप दिखाना शुरू कर दिया. उसने धीरे धीरे निवेशकों को मुनाफा देना बंद कर दिया. निवेशक उससे संपर्क करते या दफ्तरों के चक्कर काटते तो वो उन्हें जल्द पैसा देने का वादा करके टरका देता. इसमें राशिद के कारनामों पर उसके भाई आकिब ने भी साथ दिया. राशिद तो दुबई भाग गया, लेकिन आकिब फरार चल रहा था. लखनऊ की क्राइम ब्रांच पुलिस ने बुधवार को आकिब नसीम को सीतापुर रोड स्थित मोहिबुल्लापुर रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया.
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