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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) या देश के दूसरे राज्यों में लोकसभा या विधानसभा चुनाव (Lok Sabha Election) के दौरान अक्सर देखा जाता है कि कई नेता एक से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ते हैं. फिर इन सीटों पर लोकसभा उपचुनाव या विधानसभा उपचुनाव करना पड़ता है. अगर वो उम्मीदवार दोनों सीटों से चुनाव जीत जाए तो उसमें सरकारी खर्च, जनता को दोबारा वोट डालने की जहमत उठाने के साथ चुनाव आयोग (Election Commission) की मशीनरी पर बोझ भी बढ़ता है. लेकिन अब इस परंपरा पर रोक लगने वाली है. सूत्रों के अनुसार, चुनाव आयोग राजनीतिक दल (Political Parties) एक व्यक्ति- एक सीट पर चुनाव लड़ने के फार्मूले पर काम कर रहा है.इस बाबत चुनाव आयोग ने कानून मंत्रालय को नए सिरे से प्रस्ताव भेजा है.
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सूत्रों का कहना है कि प्रस्ताव से जुड़ा बदलाव लागू होने पर दो सीट से लड़ने की छूट खत्म हो जाएगी. ECI ने कानून मंत्रालय को दोबारा प्रस्ताव भेजा है. मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने एक बार फिर वन कैंडिडेट वन सीट की पेशकश विचार के लिए केंद् सरकार के पास भेजा है. निर्वाचन आयोग इसको लेकर गंभीर है. हालांकि ऐसा प्रस्ताव वर्ष 2004 में पहली बार आया था. इलेक्शन कमीशन ने मोदी सरकार (PM Modi Government) को ये प्रस्ताव भेजा था. 18 साल में इस फार्मूले पर आगे कोई प्रगति नहीं हो सकी. लेकिन एक बार फिर चुनाव आयोग ने इस पर गंभीरता दिखाई है.
जन प्रतिनिधित्व कानून में होगा संशोधन
इस प्रस्ताव को अमलीजामा पहनाने के लिए जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (Representation of the People Act 1951) में संशोधन करना होगा. मौजूद नियमों के तहत, कोई भी प्रत्याशी 2 सीटों से चुनाव लड़ सकता है. यह भी बता दें कि 1996 से पहले तो कोई भी प्रत्याशी दो से भी ज्यादा लोकसभा या विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ सकता था, लेकिन तब इस पर रोक लगाई गई.
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई जनहित याचिका
सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर एक जनहित याचिका भी पूर्व में दाखिल की गई थी. इसमें एक व्यक्ति को एक सीट से ही चुनाव लड़ने का समर्थन किया गया था. विधि आयोग ने भी 2015 में जन प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन की सिफारिश की थी. इस सिफारिश में एक से ज्यादा सीटों पर किसी प्रत्याशी के चुनाव लड़ने पर रोक के साथ डमी प्रत्याशियों का मुद्दा भी उठाया गया था. चुनाव में अक्सर डमी प्रत्याशी उतारकर किसी विशेष उम्मीदवार को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया जाता है.
निर्वाचन आयोग ने की कार्रवाई
चुनाव आयोग ने हाल ही में मान्यता प्राप्त गैर पंजीकृत दलों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. 300 से ज्यादा ऐसे दलों को डिरजिस्टर कर दिया है. ऐसे में इनके चुनाव चिन्ह पर कोई चुनाव नहीं लड़ पाएगा. चुनाव आयोग की शिकायत पर इनकम टैक्स विभाग ने भी ऐसे दलों के मुखिया और कार्यालयों पर छापेमारी की थी. इन पर राजनीतिक चंदे में फर्जीवाड़ा करने जैसे कई गंभीर आरोप थे.
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