अर्थ-डे: लॉकडाउन के दौरान सांस ले रही है प्रकृति, गंगा का पानी भी हुआ स्वच्छ
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अर्थ-डे: लॉकडाउन के दौरान सांस ले रही है प्रकृति, गंगा का पानी भी हुआ स्वच्छ

लॉकडाउन लागू होने के बाद से लोगों और वाहनों की आवाजाही पूरी तरीके से बंद है जिसका नतीजा है कि प्रकृति अपने पुराने और वास्तविक स्वरूप में नजर आने लगी है. गंगा के प्रदूषण स्तर में ना सिर्फ कमी देखी गई है बल्कि गंगा जल पीने लायक स्तिथि में आ गया है.

गंगा का पानी हुआ स्वच्छ

मनमोहन भट्ट/ऋषिकेश: 22 अप्रैल को पूरी दुनिया में अर्थ-डे के रूप में मनाया जाता है. हर साल इस दिन हम अपनी पृथ्वी को बचाने के लिए प्रण लेते हैं साथ ही पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए कदम उठाते हैं. लेकिन इस साल अर्थ-डे का असली मकसद पूरा होता नजर आ रहा है.

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इस साल उत्तराखंड में गंगा और उसकी सहायक नदियां पूरी तरीके से साफ और निर्मल दिखाई दे रही हैं और ये कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन होने के कारण हुआ है.

बता दें कि लॉकडाउन लागू होने के बाद से लोगों और वाहनों की आवाजाही पूरी तरीके से बंद है जिसका नतीजा है कि प्रकृति अपने पुराने और वास्तविक स्वरूप में नजर आने लगी है. गंगा के प्रदूषण स्तर में ना सिर्फ कमी देखी गई है बल्कि गंगा जल पीने लायक स्तिथि में आ गया है.

बताया जा रहा है कि जिन जगहों पर गंदे नाले दिखाई पड़ते थे वह पूरी तरीके से बंद हो चुके हैं. जहां होटल और शहर के दूसरे इलाकों का कचरा गंगा में मिलता था उसमें भी पूरी तरीके से रोक लग चुकी है.

ऋषिकेश का त्रिवेणी घाट का नजारा आज से 40 साल पहले जैसा नजर आने लगा है. लोगों और पर्यटकों द्वारा फैलाये गए प्रदूषण पर इस समय पूरी तरह रोक लग चुकी है.

गौरतलब है कि गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाए रखने के लिए सरकार ने पिछले 25-30 साल में दर्जनों योजनाएं तो बनाई लेकिन सरकार की कोशिशें लगातार नाकाम होती रही. बता दें कि जो कोशिशें 25-30 सालों में पूरी ना हो सकी वह पिछले 1 महीने के लॉकडाउन दौरान दूर हो गई.

बताया जा रहा है कि स्थानीय लोगों की मांग है कि अब गंगा की पवित्रता को बचाए रखने के लिए कड़े नियम बनाए जाने चाहिए ताकि गंगा जल को स्वच्छ और निर्मल रखा जा सके.

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