हिंदू परंपरा में किसी भी शुभ कार्य का आरंभ भगवान की पूजा-अर्चना से ही होता है. हालांकि हर अवसर पर की जाने वाली पूजा का अपना अलग महत्व होता है. आज राम मंदिर भूमिपूजन के अवसर पर आपने भी प्रधानमंत्री मोदी को अलग-अलग तरह के धार्मिक क्रिया-कलाप करते हुए देखा होगा.
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अयोध्या: हिंदू परंपरा में किसी भी शुभ कार्य का आरंभ भगवान की पूजा-अर्चना से ही होता है. हालांकि हर अवसर पर की जाने वाली पूजा का अपना अलग महत्व होता है. आज राम मंदिर भूमिपूजन के अवसर पर आपने भी प्रधानमंत्री मोदी को अलग-अलग तरह के धार्मिक क्रिया-कलाप करते हुए देखा होगा. कई बार ये सवाल भी मन में आया होगा कि आखिर ऐसा उन्होंने क्यों किया तो हम आपको इस पूरी पूजा से जु़ड़ी हुई वो बातें बताते हैं, जो आपको जाननी चाहिए -
मुहूर्त - सबसे पहले शुरुआत करते हैं मूहूर्त से. ये किसी भी पूजा के लिए सर्वप्रथम विचारणीय चीज होती है. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक मुहूर्त देखते समय जो 5 चीजें सबसे श्रेष्ठ होनी चाहिए, वे हैं- तिथि, वार, नक्षत्र, योग और कर्ण. अगर किसी समय में ये पांचों चीजें श्रेष्ठ हैं तो वो मुहूर्त अच्छा होता है. इसके अलावा मुहूर्त में लग्न भी स्थिर होना चाहिए और पूजा करने वाले के चंद्रमा की स्थिति बलवान होनी चाहिए.
अभिजीत मुहूर्त - इसी मुहूर्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमिपूजन संपन्न किया है. ऐसे में इस मुहूर्त के बारे में जान लेते हैं. आमतौर पर वर्ष के 365 दिन में 11.45 से 12.45 तक का समय अभिजीत मुहूर्त कह सकते हैं. प्रत्येक दिन का मध्य-भाग (अनुमान से 12 बजे) अभिजीत मुहूर्त कहलाता है, जो मध्य से पहले और बाद में 2 घड़ी अर्थात 48 मिनट का होता है. दिनमान के आधे समय को स्थानीय सूर्योदय के समय में जोड़ दें तो मध्य काल स्पष्ट हो जाता है. भगवान राम का जन्म इसी समय हुआ था.
पीएम का सुनहरा कुर्ता और पीतांबरी धोती - भूमिपूजन के अवसर पर पीएम मोदी ने जो सुनहरे रंग का कुर्ता और पीतांबरी धोती पहनी थी, वो चर्चा का विषय बन गई. पीएम मोदी ने इसलिए इस वस्त्र का चयन किया था क्योंकि भगवान विष्णु स्वयं पीतांबर कहे जाते हैं. चूंकि श्रीराम भगवान विष्णु के अवतार हैं, ऐसे में उनका स्वरूप भी पीताम्बर है. यही वजह है कि पीएम मोदी इस खास अवसर के लिए पीतांबरी धोती और सुनहरे रंग के कुर्ते का चयन किया.
वैसे भी हिंदू शास्त्रों के मुताबिक पूजन कार्य के लिए पीले और लाल वस्त्र शुभ माने जाते हैं, क्योंकि पीला रंग शांति और सद्भावना का प्रतीक माना गया है.
साष्टांग-दण्डवत प्रणाम - हिंदू शास्त्रों के अनुसार साष्टांग दंडवत प्रणाम अभिवादन की पराकाष्ठा होती है. इस तरह के प्रणाम का मतलब श्रद्धेय के प्रति पूर्ण समर्पण है. अगर जाने-अनजाने कोई त्रुटि हो जाती है, तो दण्डवत प्रणाम करने से वे दूर हो जाती है. साष्टांग प्रणाम सर, हाथ, पैर, हृदय, आंख, जांघ, वचन और मन इन आठों से युक्त होकर भूमि पर सीधे लेटकर किया जाने वाला नमन है. साष्टांग मन, वचन व कर्म से अनुशासित नमस्कार हैं. साष्टांग अनुशासन है और दण्डवत अनायास.
पूजा-अर्चना - पूजा और अर्चना एक साथ ही ईश्वर के आह्वान की धार्मिक क्रिया है. पूजन का अर्थ है किसी देवता का आह्वान करके उसकी पूजा करना है. इसी दौरान जल और पवित्र वस्तुओं से उनकी अर्चना भी होती है. दोनों एक ही धार्मिक क्रिया कलाप के अंतर्गत आते हैं.
भूमिपूजन की पूजा - किसी भी भूमि के उपयोग से पहले हिंदू धर्म में उसकी पूजा की जाती है. इस पूजा के भी कई हिस्से होते हैं. सबसे पहले गणेश और गौरी की पूजा की जाती है, फिर वरुण भगवान का पूजन किया जाता है. इसके बाद होती है षोडक मातृका यानि सोलह देवियों की पूजा, क्योंकि किसी भी शुभ कार्य से पहले इनका आशीर्वाद लेना आवश्यक है. फिर ग्रहों की शांति के लिए 9 ग्रह की पूजा की जाती है.
इसके बाद बारी आती है भूमिपूजन की. भूमिपूजन में एक या पांच शिलाएं रखकर उनकी पूजा की जाती है. पीएम ने जिस प्रमुख शिला की पूजा की है, उसे मंदिर में गर्भगृह में रखा जाएगा. इसकी स्थापना वहीं होगी, जहां रामलला को विराजमान होना है. शिला के साथ ही यहां पंचरत्न भी रखे जाते हैं, इसके बाद बाकी चार शिलाओं को चारों कोनों में रखा जाएगा. शिला के साथ ही साथ वास्तु भगवान का भी पूजन होता है, ताकि जिस भूमि पर निर्माण कार्य शुरू हुआ है, उसमें कोई बाधा न आने पाए. इसके साथ ही श्रीयंत्र और लक्ष्मी पूजन भी होता है, ताकि जिस क्षेत्र में निर्माण कार्य हो रहा है, वहां धन-संपदा या किसी तरह की कमी न आए.
आधारशिला रखना - भूमिपूजन के बाद जो व्यक्ति पूजन कर रहा है या फिर जिस व्यक्ति के हाथों निर्माण कार्य शुरू होना है. सर्वप्रथम निर्माण कार्य की पहली शिला या फिर जो भी धातु की ईंट से बुनियाद खड़ी करनी है, वो रखी जाती है.
पूजा से जुड़े हुए कुछ और धार्मिक शब्दों का मतलब जानिए
आरती- जिस प्रकार कोई अतिथि आता है तो उसका मान करते हैं. इसकी तरह ईश्वर की पूजा के बाद उनका अभिनंदन वंदन किया जाता है ताकि इसका प्रतिफल अच्छा मिले.
रोली- रोली तिलक लगाने में इस्तेमाल होता है. लाल रंग की रोली का तिलक करने से पापों का नाश होता है, आपदा हरण होता है, लक्ष्मी का वास रहता है और पवित्रता आती है.
तिलक - तिलक माथे पर लगाया जाता है. तिलक लगाने की अलग-अलग विधियां होती हैं. राम मंदिर भूमिपूजन के समय पीएम ने रामानंदी तिलक लगाया. इस तिलक में सीधी ऊपर की ओर तीन रेखाएं होती हैं. बीच में लाल रेखा रोली की होती है. ऐसा तिलक रामभक्त लगाते हैं.
यजमान - मुख्य पूजन में बैठने वाले व्यक्ति को यजमान कहते हैं. आज के कार्यक्रम में यजमान पीएम रहे.
आचमन- आचमन या आचमनी तांबे का पात्र है. इसके साथ एक छोटी सी चम्मच होती है, जिससे जल छिड़ककर पवित्र किया जाता है. आचमन पूजा में सर्वप्रथम कार्य होता है.
संकल्प - संकल्प का मतलब है वो कार्य, जिसके लिए आप पूजा कर रहे हैं. सुपाड़ी, सिक्का, रोली, चावल और जल हाथ में लेकर संकल्प किया जाता है. पूजा का उद्देश्य ही उसका संकल्प है. इसके लिए जिन देवताओं का आह्वान किया जाता है. देवताओं का नाम , स्थान का नाम, यजमान का नाम और गोत्र भी बोला जाता है. मंदिर निर्माण के लिए नगरकल्याण, क्षेत्रकल्याण और इससे जुड़ी कामनाएं संकल्प कहलाएंगी.
गोत्र - किसी भी व्यक्ति का जन्म होता है तो उसका एक गोत्र है. गोत्र ये बताता है कि आप किस ऋषि की वंशावली से आते हैं.
हनुमानजी की पूजा - चूंकि राममंदिर की पूजा अयोध्या में हुई है और हनुमानजी को अयोध्या का रक्षक और चौकीदार माना जाता है. ऐसे में ये परंपरा है कि रामदरबार में जाने से पहले हनुमानगढ़ी के दर्शन किए ही जाते हैं.
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