Pitru Paksha 2023: पितृ पक्ष में भूलकर भी ना खाएं चना, मसूर दाल समेत ये चीजें, वरना पितर हो जाएंगे नाराज
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Pitru Paksha 2023: पितृ पक्ष में भूलकर भी ना खाएं चना, मसूर दाल समेत ये चीजें, वरना पितर हो जाएंगे नाराज

Pitru Paksha 2023: पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिये पिंडदान या श्राद्ध किया जाता है...ऐसी मान्यता है कि इस दौरान किए गए पितरों के निमित्त तर्पण से पितृ देव संतुष्ट होते हैं और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं...कुछ चीजों को खाना इन दिनों वर्जित बताया गया है...आइए जानते हैं क्या हैं वह चीजें...

Pitru Paksha 2023

Pitru Paksha 2023: हिंदू धर्म पितृ पक्ष का बेहद खास महत्व है. भाद्रपद मास की पूर्णिमा से आश्विन शुक्ल पक्ष की अमावस्या तक की अवधि को पितृ पक्ष (Pitru Paksha) कहा जाता है. पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिये पिंडदान या श्राद्ध किया जाता है.शास्त्रों के अनुसार, ये 15 दिन पितर देवता को समर्पित होते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दौरान किए गए पितरों के निमित्त तर्पण से पितृ देव संतुष्ट होते हैं और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं. श्राद्ध में विशेष रूप से भोजन तैयार कर उसे घर के बाहर या छत पर कौवे को परोसा जाता है. पितृपक्ष में श्राद्ध अपने पूर्वजों के लिए स्वर्ग में जगह सुनिश्चित करने के उद्देश से किया जाता है. कुछ ऐसी खाद्य पदार्थ है जो पितृपक्ष में वर्जित बताए गए हैं. इस दौरान अगर इस खाद्य पदार्थ का सेवन करते हैं तो पितर नाराज होते हैं. पितृपक्ष के दौरान कुछ नियमों का जरूर पालन करना चाहिए. 

पितरों की आत्मा की शांति के लिये पिंडदान
साल भर में 15 दिन का ऐसा समय होता है जब आप अपने पितरों के सम्मान में श्राद्ध करते हैं या पितरों की आत्मा की शांति के लिये पिंडदान करते हैं. वहीं, पितृपक्ष के दिनों में पितर किसी ना किसी रूप में धरती पर आते हैं और अपने परिजनों को आशीर्वाद देते हैं.

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कब है पितृपक्ष?
इस बार पितृ पक्ष की शुरुआत 29 सितंबर, शुक्रवार से होने जा रही और इनका समापन 14 अक्टूबर को होने जा रहा है. इन कुल 15 दिनों तक पिंडदान किया जाएगा. पूर्वजों को समर्पित यह विशेष समय आश्विन मास के कृष्ण पक्ष से प्रारंभ होकर अमावस्या तक के 15 दिनों की अवधि पितृ पक्ष अर्थात श्राद्ध पक्ष कहलाती है.

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पितृपक्ष के दौरान न करें इन चीजों का सेवन

मांस-मदिरा
पितृपक्ष के दिनों में मांस और मदिरा का सेवन भूलकर भी ना करें. इससे पितृ नाराज हो जाते हैं और इसका सीधा असर वंश पर पड़ता है.

लहसुन-प्याज का सेवन
लहसुन और प्याज को तामसिक भोजन के रूप में जानते हैं.  इसलिए पितृपक्ष के दौरान इन दोनों का सेवन बिल्कुल भी नहीं करें. पितृपक्ष में सात्विक भोजन करना चाहिए ताकि मन में सादगी बनी रहे.

चना का सेवन मना
पितृ पक्ष के दौरान चना और इससे बनी चीजों जैसे कि बेसन, चने की दाल, मिठाई आदि नहीं खानी चाहिए. क्योंकि ये चीजों पितरों को अर्पित नहीं की जाती है. पितृपक्ष के दौरान चना नहीं खाना चाहिए.यह अशुभ माना जाता है. 

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मसूर दाल
पितृपक्ष में मसूर की दाल वर्जित बताई गई है. क्योंकि इसका संबंध मंगल ग्रह से है, जो क्रोध का कारक माना जाता है। इसलिए इसका सेवन नहीं करना चाहिए.

इन सब्जियों का सेवन
ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान गाजर, मूली आदि का सेवन नहीं करना चाहिए.  इनका संबंध राहु से होता है. इनकी गिनती अशुद्ध सब्जियों में होती है. पितृपक्ष के दौरान अरबी, आलू, कंद आदि का सेवन नहीं करना चाहिए.

पके चावल का सेवन
पितृपक्ष के दौरान पके हुए चावल का इस्तेमाल नहीं करना चहिए. क्योंकि इन्हीं चावलों से पितरों का श्राद्ध किया जाता है इसलिए कच्चे चावल का इस्तेमाल किया जा सकता है

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