दक्षिण भारत के मंदिरों की निर्माण शैली पर बने इस मंदिर का 300 वर्ष पूर्व इंदौर स्टेट की महारानी अहिल्या बाई होलकर ने जीर्णोद्वार भी कराया था.
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सुनील सिंह/ संभल: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में मौजूद 1000 वर्ष से अधिक प्राचीन कल्कि मंदिर के पौराणिक इतिहास और धार्मिक मान्यता को लेकर आज भी रहस्य बना हुआ है. मंदिर के मौजूदा महंत के पास मौजूद संभल क्षेत्र के 1 हजार वर्ष से अधिक प्राचीन नक्शे के अनुसार इस प्राचीन कल्कि मंदिर का निर्माण 1 हजार वर्ष पूर्व मनु महाराज ने कराया था. नक्शे में मंदिर की आकृति भी चित्रित है जिस पर मनु श्री कल्कि मंदिर लिखा हुआ है.
दक्षिण भारत के मंदिरों की निर्माण शैली पर बने इस मंदिर का 300 वर्ष पूर्व इंदौर स्टेट की महारानी अहिल्या बाई होलकर ने जीर्णोद्वार भी कराया था. महारानी अहिल्याबाई होलकर के राज्य के राज चिन्ह मंदिर के प्रवेश द्वार पर आज भी मौजूद है.
देश का एक मात्र मंदिर संभल में है स्थित
पुराणों के अनुसार मान्यता है कि कलयुग में भगवान विष्णु का दसवां अवतार श्री कल्कि भगवान के रूप में संभल में होगा, इस मान्यता के चलते 1 हजार वर्ष पूर्व इस मंदिर की स्थापना की गई थी. मंदिर के महंत का दावा है कि देश में कल्कि भगवान का संभल में यह एक मात्र मंदिर है. मंदिर के पौराणिक और धार्मिक महत्व को देखते हुए जिला प्रशासन ने भी मंदिर को भव्य बनाए जाने के लिए बजट जारी करने की घोषणा की है.
3 सौ वर्ष पहले महारानी अहिल्याबाई ने करवाया था जीर्णोद्धार
हजारों वर्ष प्राचीन कल्कि मंदिर के मौजूदा महंत और व्यस्थापक राम प्रसाद का दावा है कि उनके पूर्वज जो की 300 वर्ष पूर्व इंदौर स्टेट की महारानी अहिल्याबाई होलकर के दरबार में राजज्योतिष थे. उनके कहने पर महारानी अहिल्याबाई होलकर ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था, उसी समय से उनके परिवार की पीढ़ी के लोग इस मंदिर के मुख्य पुजारी के तौर मंदिर की देखभाल और व्यवस्था संभालते आ रहे हैं.
एक हजार वर्ष पूर्व मनु महाराज ने कराया था निर्माण
महंत का दावा है कि मंदिर 1 हजार वर्ष से अधिक प्राचीन है जिसकी पुष्टि उनके पास मौजूद संभल क्षेत्र के 1 हजार वर्ष से अधिक प्राचीन नक्शे से होती है. उक्त नक्शे में मंदिर की आकृति चित्रित है और मंदिर की आकृति पर मनु श्री कल्कि मंदिर लिखा हुआ है. इस मंदिर का निर्माण 1 हजार वर्ष पूर्व मनु महाराज द्वारा कराया गया था. मंदिर की खास बात यह है कि मंदिर का निर्माण दक्षिण भारतीय शैली के मंदिरों की तर्ज पर किया गया है. जबकि उत्तर भारत में अन्य किसी भी स्थान पर दक्षिण भारतीय शैली में बनाए गए मंदिर नहीं मिलते हैं. मंदिर के महंत का दावा है कि पूरे भारत में कल्कि भगवान का एक मात्र मंदिर संभल में ही है.
इतिहासकारों और पुरातत्वविदों के अनुसार संभल पौराणिक और धार्मिक स्थल रहा है. संभल क्षेत्र में खुदाई के दौरान ऐसे तमाम प्राचीन अवशेष लोगों को आज भी मिलते रहते हैं, जिनसे संभल का इतिहास हजारों वर्ष प्राचीन होने की पुष्टि होती है.
कल्कि के रूप में होगा भगवान विष्णु का दसवां जन्म
धार्मिक विद्वानों के अनुसार पुराणों में भी यह उल्लेख है की कलयुग में भगवान विष्णु का दसवां अवतार कल्कि भगवान के रूप में संभल में होगा. लोगों का मत है कि पुराणों में सैकड़ों वर्षों पूर्व संभल में कल्कि अवतार के उल्लेख के चलते मनु महाराज ने 1 हजार वर्ष पूर्व ही कल्कि भगवान के मंदिर का निर्माण संभल में कराया था. बहरहाल मंदिर के पौराणिक और धार्मिक इतिहास को सामने लाने के लिए पुरातत्व विभाग और इतिहासकारों द्वारा गंभीरता से कोई शोध अभी तक न किए जाने से मंदिर का इतिहास लोगों के लिए रहस्य बना हुआ है.
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