हरेन्द्र नेगी/देहरादून. उत्तराखंड के ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान केदारनाथ और मदमहेश्वर की डोली पहुंचने के साथ ही शीतकालीन यात्रा का भी आगाज हो गया है. अब आने वाले छह महीनों तक यहां पर डोलियां विराजमान रहेंगी. ऐसा माना जाता है कि ओंकारेश्वर में दर्शन करने से पंचकेदारों का पुण्य मिलता है.
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हरेन्द्र नेगी/देहरादून. उत्तराखंड के ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान केदारनाथ और मदमहेश्वर की डोली पहुंचने के साथ ही शीतकालीन यात्रा का भी आगाज हो गया है. अब आने वाले छह महीनों तक यहां पर डोलियां विराजमान रहेंगी. ऐसा माना जाता है कि ओंकारेश्वर में दर्शन करने से पंचकेदारों का पुण्य मिलता है. यहां साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है. अब आपको बताते हैं भक्तों में इस मंदिर की इतनी मान्यता क्यों है.
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ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ को पंच केदार शीतकालीन गददीस्थल के रूप में जाना जाता है. ये मंदिर भगवान केदारनाथ और द्वितीय केदार मदमहेश्वर का शीतकालीन गददीस्थल है. इसके अलावा यहां तृतीय केदार तुंगनाथए चतुर्थ केदार रूद्रनाथ और पंच केदार कल्पेश्वर की भी पूजा होती है.
ओंकारेश्वर भगवान के दर्शन से मिलता है पंच केदारों का पुण्य
ऐसी मान्यता है कि ओंकारेश्वर भगवान के दर्शन करने से पांचों केदारों के दर्शन करने का लाभ मिलता है. जो भक्त केदार नहीं जा सकते वो ओंकारेश्वर मंदिर के दर्शन करके केदारनाथ धाम का पुण्य अर्जित करते हैं. यहीं कारण है कि ओंकारेश्वर मंदिर में सालभर भक्तों की भीड़ लगी रहती है. खासकर भारी संख्या में भक्त ओंकारेश्वर मंदिर में पहुंचते हैं.
जब शिव ने दिए थे ओमकार के रूप में दर्शन
ओंकारेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग का कहना है कि महाराज मानधाता को भगवान शिव ने यहां ओमकार रूप में दर्शन दिये थे जिसके बाद इस मंदिर का नाम ओंकारेश्वर पड़ा. जो भक्त ओंकारेश्वर के दर्शन करता है उसे पांचों केदारों के दर्शनों का लाभ मिलता है.
शीतकालीन यात्रा का आगाज
वहीं देवस्थानम् बोर्ड कार्याधिकारी बीडी सिंह ने कहना है कि भगवान केदारनाथ और मदमहेश्वर की डोली ओंकारेश्वर मंदिर पहुंच गई हैं और डोलियों के पंच केदार गद्दीस्थल पहुंचने के बाद शीतकालीन यात्रा का भी आगाज हो गया है.
श्रद्धालुओं ने भगवान मद्महेश्वर की डोली का किया था भव्य स्वागत
बता दें कि रविवार को ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचने पर श्रद्धालुओं ने फूल-मालाओं और अक्षत के साथ भगवान मद्महेश्वर की चल उत्सव विग्रह डोली का भव्य स्वागत किया. मंदिर की परिक्रमा के बाद चल उत्सव विग्रह डोली को सभामंडप में विराजमान किया गया. यहां आराध्य को भोग मूर्तियों को वेद-मंत्रोच्चारण के साथ मंदिर के गर्भगृह में स्थापित कर दिया गया.
छह महीने तक यहां डोलियां रहती हैं विराजमान
आपको बता दें, डोली पहुंचने के बाद पंच केदारों के दर्शन यहां एक साथ किये जा सकते हैं. आपको बता दें, ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ को पंचकेदार शीतकालीन गद्दीस्थल के रूप में जाना जाता है. शीतकाल के छह महीने तक यहां भगवान केदारनाथ, द्वितीय केदार मद्महेश्वर की डोलियां विराजमान रहती हैं. इसके अलावा यहां पर नित्य तृतीय केदारनाथ तुंगनाथ, चतुर्थ केदार रुद्रनाथ और पंच केदार कल्पेश्वर की पूजा-अर्चना होती है, जिस कारण ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ को पंचकेदार शीतकालीन गद्दीस्थल के रूप में जाना जाता है.
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