सावन में क्यों नहीं खाई जाती कढ़ी, जानें इसके पीछे का धार्मिक और वैज्ञानिक कारण
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सावन में क्यों नहीं खाई जाती कढ़ी, जानें इसके पीछे का धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

Sawan 2023:  धर्म शास्त्रों में सावन के महीने में दही से संबंधित चीजें जैसे कढ़ी रायता आदि के साथ कुछ चीजों का खाना वर्जित बताया गया है... इसके पीछे के धार्मिक और वैज्ञानिक कारण भी हैं जिनको जानने के बाद आप अचंभित रह जाएंगे...

सावन में क्यों नहीं खाई जाती कढ़ी, जानें इसके पीछे का धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

Sawan 2023:  सावन मास चल रहा है और इस महीने भगवान शिव की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है.  अधिकमास या मलमास की वजह से इस बार सावन दो माह का होने वाला है. यह 4 जुलाई से शुरू हो चुका है और 31 अगस्त तक रहेगा. इन दिनों यानी के सावन के महीने में खाने की कुछ चीजों को लेकर कुछ नियम बनाए गए हैं. आपने देखा होगा कि कई घरों में इन दिनों कढ़ी न  खाते हैं और नहीं बनाते हैं. कुछ घरों में तो दही से बनी चीजें भी नहीं खाई जाती है, जैसे रायता, आयुर्वेद में कढ़ी का सेवन करना वर्जित बताया गया है. इस लेख में जानते हैं कि सावन के महीने में दूध, दही और कढ़ी क्यों नहीं खाते हैं. आइए जानते हैं इसके पीछे का वैज्ञानिक और धार्मिक कारण.

धर्म शास्त्रों में सावन मास में दही से संबंधित चीजें जैसे कढ़ी रायता आदि चीजों का सेवन करना वर्जित बताया गया है. वैज्ञानिक तर्क की बात करें तो सावन मास में इन चीजों का सेवन करना कई बीमारियों को दावत देता है.आइए जानते हैं आखिर सावन मास में कढ़ी और दही खाना क्यों नहीं चाहिए...

क्या कहती है धार्मिक मान्यता
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक सावन के महीने में भगवान शिव को कच्चा दूध चढ़ाया जाता है इसलिए कच्चा दूध व इससे संबंधित चीजों को खाना वर्जित है. कढ़ी बनाने के लिए दही का इस्तेमाल किया जाता है इसलिए सावन मास में कढ़ी या दूध,दही से संबंधित चीजों का खाना मना किया गया है.  आर्युवेद के अनुसार, सावन मास में दूध या दही से बनी किसी भी चीज का सेवन नहीं करना चाहिए. कच्चे दूध का सेवन करने से भी बचना चाहिए.

जानते हैं इसका वैज्ञानिक कारण
सावन के महीने में कढ़ी, दूध, दही से संबंधित चीजों के खाने से हेल्थ पर निगेटिव प्रभाव पड़ता है. ऐसा करने से पेट की पाचन क्रिया पर असर पड़ता है. मानसून के कारण  बारिश भी अधिक होती है, जिसके कारण अनचाही जगहों पर घास उगने लगती है और कई तरह के कीड़े मकोड़े उन पर रहते हैं. ऐसी जगहों पर गाय-भैंस घास चरती हैं. जिसका प्रभाव उनके दूध पर पड़ने लगता है. जाहिर है ये दूध सेहत के लिए बिल्कुल भी फायदेमंद नहीं होता.  यही कारण है कि इस मौसम में दूध दही से संबंधित चीजों का सेवन करने की मनाही है.

नहीं करते कढ़ी का सेवन
आयुर्वेद के मुताबिक, सावन मास में पाचन क्रिया धीमी रहती है, ऐसे में कढ़ी को पचने में परेशानी हो सकती है. साथ ही वात की भी समस्या बनी रहती है.  कढ़ी खाने से पाचन तंत्र पर इसका बुरा असर पड़ता है क्योंकि दही में एसिड वात के होने से कई तरह की परेशानियां बनी रहती हैं.

इनको खाना भी वर्जित
चातुर्मास के दूसरे महीने भाद्रपद में दही और छाछ नहीं खाते हैं. चातुर्मास के तीसरे महीने आश्विन (क्वार) में दूध के साथ, करेला खाना वर्जित बताया गया है. चातुर्मास के चौथे महीने कार्तिक में लहसुन, उड़द दाल और अरहर , बैंगन, प्याज,जीरा, दही का सेवन करना भी वर्जित बताया गया है.

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