Three New Criminal Laws in India: अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह दिसंबर 2023 में संसद में सरकार ने तीन नए आपराधिक कानून लाने बात कही थी.
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3 New Criminal Laws in India: देशभर में आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव होने जा रहा है. अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे नियम कानून और पुरानी धाराएं बदल जाएंगी. कल एक जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून लागू कर दिए जाएंगे. ऐसे में नए आपराधिक कानूनों को लेकर असमंजय की स्थिति है. तो आइये जानते हैं तीनों नए आपराधिक कानून लागू होने से क्या-क्या बदल जाएगा. पुरानी कौन सी धाराएं खत्म हो जाएंगी?.
पिछले साल सरकार ने पेश किया था प्रस्ताव
दरअसल, अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह दिसंबर 2023 में संसद में सरकार ने तीन नए आपराधिक कानून लाने बात कही थी. इसी साल की शुरुआत में फरवरी महीने में तीनों आपराधिक कानूनों को लेकर गजट नोटिफिकेशन जारी किया गया था. इसमें एक जुलाई से देशभर में तीनों नए कानून लागू होने का जिक्र किया गया था.
ये हैं तीन नए आपराधिक कानून
भारतीय दंड संहिता (1860) की जगह भारतीय न्याय संहिता (BNS), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (1898) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (1872) की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) लाए जा रहे हैं.
भारतीय न्याय संहिता में क्या?
भारतीय दंड संहिता में 511 धाराएं थीं, वहीं, भारतीय न्याय संहिता में 358 ही धाराएं रह गई हैं. संशोधन के जरिए इसमें 20 नए अपराध शामिल किए हैं. वहीं, 33 अपराधों में सजा की अवधि बढ़ाई गई है. 83 अपराधों में जुर्माने की रकम भी बढ़ाई गई है. 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रावधान किया गया है. 6 अपराधों में सामुदायिक सेवा की सजा का प्रावधान किया गया है.
किस धारा में क्या बदलाव
धारा 124 : आईपीसी की धारा 124 राजद्रोह से जुड़ा था. नए कानून में राजद्रोह की जगह नया शब्द देशद्रोह जोड़ा गया है. भारतीय न्याय संहिता में अध्याय 7 में राज्य के विरुद्ध अपराधों कि श्रेणी में 'देशद्रोह' को रखा गया है.
धारा 144 : आईपीसी की धारा 144 घातक हथियार से लैस होकर गैरकानूनी सभा में शामिल होने से जुड़ा था. इसे भारतीय न्याय संहिता के अध्याय 11 में सार्वजनिक शांति के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में रखा गया है. अब भारतीय न्याय संहिता की धारा 187 गैरकानूनी सभा के बारे में है.
धारा 302 : किसी की हत्या करने पर पहले धारा 302 लगता था. अब नए कानून में धारा 101 के तहत सजा देने का प्रावधान है. नए कानून के अनुसार, हत्या की धारा को अध्याय 6 में मानव शरीर को प्रभावित करने वाले अपराध कहा जाएगा.
धारा 307 : हत्या की कोशिश करने को पहले धारा 307 के तहत सजा का प्रावधान था. अब ऐसे दोषियों को भारतीय न्याय संहिता की धारा 109 के तहत सजा दी जाएगी. इस धारा को भी अध्याय 6 में रखा गया है.
धारा 376 : दुष्कर्म से जुड़े अपराध में सजा के लिए आईपीसी की धारा 376 के तहत सजा सुनाई जाती थी. नए कानून में इसे अध्याय 5 में महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में जगह दी गई है. नए कानून में दुष्कर्म से जुड़े अपराध में सजा को धारा 63 में परिभाषित किया गया है. वहीं, सामूहिक दुष्कर्म को आईपीसी की धारा 376 डी की जगह धारा 70 का इस्तेमाल किया जाएगा.
धारा 399 : पहले मानहानि के मामले में आईपीसी की धारा 399 इस्तेमाल की जाती थी. नए कानून में अध्याय 19 के तहत आपराधिक धमकी, अपमान, मानहानि, आदि में इसे जगह दी गई है. मानहानि को भारतीय न्याय संहिता की धारा 356 में रखा गया है.
धारा 420 : पहले ठगी, धोखाधड़ी में धारा 420 के तहत सजा का प्रावधान था. नए कानून में धारा 316 के तहत सजा का प्रावधान है. भारतीय न्याय संहिता में अध्याय 17 में संपत्ति की चोरी के विरूद्ध अपराधों की श्रेणी में रखा गया है.
CRPC और साक्ष्य अधिनियम में क्या?
दंड प्रक्रिया संहिता यानी CRPC की जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता ने ले ली है. सीआरपीसी की 484 धाराओं के बदले भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं हैं. नए कानून के तहत 177 प्रावधान बदले गए हैं जबकि नौ नई धाराएं और 39 उपधाराएं जोड़ी हैं. इसके अलावा 35 धाराओं में समय सीमा तय की गई है.
नए भारतीय साक्ष्य अधिनियम में क्या?
नए भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 प्रावधान हैं. इससे पहले वाले कानून में 167 प्रावधान थे. नए कानून में 24 प्रावधान बदले हैं.
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