राम मंदिर जमीन विवाद: सामने आया सुल्तान का सपा कनेक्शन, 2019 में हो चुका था लैंड एग्रीमेंट
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राम मंदिर जमीन विवाद: सामने आया सुल्तान का सपा कनेक्शन, 2019 में हो चुका था लैंड एग्रीमेंट

अयोध्या श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के साथ 12080 वर्ग मीटर जमीन का एग्रीमेंट करने वाले दो पार्टनर्स में से एक सुल्तान अंसारी का समाजवादी पार्टी कनेक्शन निकलकर सामने आया है.

सुल्तान अंसारी अखिलेश यादव व पवन पांडेय के साथ.

अयोध्या: अयोध्या श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के साथ 12080 वर्ग मीटर जमीन का एग्रीमेंट करने वाले दो पार्टनर्स में से एक सुल्तान अंसारी का समाजवादी पार्टी कनेक्शन निकलकर सामने आया है. सपा के पूर्व राज्यमंत्री तेज नारायण पांडेय उर्फ पवन ने 13 जून को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राम मंदिर ट्रस्ट पर जमीन एग्रीमेंट में घोटाले का आरोप लगाया था. सुल्तान अंसारी की दो तस्वीरें वायरल हो रही हैं. एक फोटो में वह सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ और दूसरी तस्वीर में तेज नारायण पांडेय उर्फ पवन के साथ नजर आ रहा है.

जिस जमीन को लेकर विवाद, उसके केंद्र में तीन किरदार
अयोध्या में जिस जमीन को लेकर राम मंदिर ट्रस्ट पर आरोप लगाए गए उसके केंद्र में 3 अहम किरदार हैं. जमीन का मालिकाना हक कुसुम पाठक का था, जिन्होंने 2010-11 में ही जमीन का समझौता रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी से कर लिया था. फिर 19 सितंबर 2019 को कागजी समझौता हुआ और कीमत 2 करोड़ तय हुई. ZEE उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड के पास दस्तावेज भी मौजूद हैं. करीब 10 साल बाद यानी 18 मार्च 2021 को यह लैंड डील फाइनल हुई.

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कुसुम पाठक के साथ लैंड एग्रीमेंट में क्या तय हुआ था?
इस एग्रीमेंट के मुताबिक कुसुम पाठक को सुल्तान अंसारी व अन्य से 50 लाख रुपए एडवांस प्राप्त हुए थे, शेष 1.50 करोड़ रुपए सुल्तान अंसारी व अन्य द्वारा तीन साल में यानी 2022 तक कुसुम पाठक को देने थे. कुसुम पाठक ने चूंकि एग्रीमेंट 19 सितंबर 2019 में तबके रेट पर किया था और 50 लाख रुपए एडवांस भी लिए थे, इसलिए उन्हें 18 मार्च 2021 को भी उसी रेट पर सुल्तान अंसारी व अन्य को जमीन बेचनी पड़ी.

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राम मंदिर ट्रस्ट ने करेंट रेट (18.5 Cr) में खरीदी जमीन
जबकि राम मंदिर ट्रस्ट ने सुल्तान अंसारी व अन्य से इस जमीन की डील प्रेजेंट रेट पर की, जिसकी कीमत 18.5 करोड़ बैठती है. वास्तव में सुल्तान अंसारी व अन्य को कुसुम पाठक से जमीन का अधिकार 18 मार्च 2021 को ही प्राप्त हुआ और इसी दिन राम मंदिर ट्रस्ट ने यह जमीन खरीद ली. सुल्तान अंसारी ने खुद यह बात स्वीकार की है कि उसने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को बाजार से कम कीमत पर जमीन बेची है. 

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विपक्ष ने राम मंदिर ट्रस्ट पर घोटाले का आरोप लगाया
सबसे पहले आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस मुद्दे को उछाला. उन्होंने राम मंदिर ट्रस्ट पर 2 करोड़ की जमीन को 18.5 करोड़ रुपए में खरीदने का आरोप लगाया. संजय सिंह ने कहा कि ट्रस्ट ने 2 करोड़ रुपए की जमीन 10 मिनट बाद 16.5 करोड़ रुपए ज्यादा देकर खरीदी. इसमें घोटाला हुआ है. उनके बाद सपा नेता व पूर्व मंत्री पवन पांडेय ने यही आरोप लगाए. कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीज सुरजेवाला ने भी जमीन खरीद में घोटाले का आरोप लगाया.

अयोध्या मेयर ने घोटोले के आरोपों को बताया बेबुनियाद
जमीन की डील में गवाह रहे अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय कर रहे हैं कि तमाम आरोप सियासी साजिश का हिस्सा हैं. राम मंदिर ट्रस्ट ने बयान जारी कर साफ कर दिया है कि वह भूमि वर्षों पुराने अनुबंध पर थी, उसी के अनुसार उसे अपने नाम कराया गया है. मैं मेयर के नाते सभी विषयों में गवाह हूं. ऋषिकेश उपाध्याय ने कहा कि जो पैसा ट्रांसफर हुआ है, वह उसके गवाह रहे हैं. 

चंपत राय ने आरोपों को राजनीतिक विद्वेष से प्रेरित बताया
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के चंपत राय ने भी आरोपों पर जवाब दिया और अपने पत्र में कहा कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अभी तक जितनी जमीनें खरीदी हैं, वह खुले बाजार की कीमत से बहुत कम हैं. लोग राजनीतिक विद्वेष से प्रेरित होकर भ्रम फैला रहे हैं. इस बीच समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी या अन्य विपक्षी दल इस मसले को बड़ा बनाने में जुटे हुए हैं और सरकार से इसकी जांच कराए जाने की मांग कर रहे हैं.

कुसुम पाठक के साथ सुल्तान अंसारी व अन्य द्वारा 19 सितंबर 2019 को किए गए लैंड एग्रीमेंट की कॉपी.

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