जेल में बेफिक्र है शबनम का आशिक सलीम, बोला- 'परेशानी की बात नहीं, इस देश में इतनी जल्दी नहीं हो जाती फांसी'
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जेल में बेफिक्र है शबनम का आशिक सलीम, बोला- 'परेशानी की बात नहीं, इस देश में इतनी जल्दी नहीं हो जाती फांसी'

7 लोगों की हत्या का सलीम को न पहले पश्चाताप था और न आज वह इसके लिए शर्मिंदा है. लेकिन, इतने सालों में उसने ऐसी कोई हरकत नहीं की जिससे किसी को परेशानी हो.

जेल में बेफिक्र है शबनम का आशिक सलीम, बोला- 'परेशानी की बात नहीं, इस देश में इतनी जल्दी नहीं हो जाती फांसी'

प्रयागराज: 2008 में हुए नरसंहार का मुख्यारोपी शबनम और सलीम जेल में बंद हैं. उन्हें फांसी की सजा भी सुनाई जा चुकी है, लेकिन आप यह जान कर हैरान हो जाएंगे कि इसके बाद भी 6 लोगों के हत्यारे सलीम को जेल में किसी चीज की फिक्र नहीं है. वह कहता है कि साहब क्यों परेशान हो! इतनी जल्दी फांसी-वासी नहीं होने वाली है. यहां इतनी आसानी से थोड़े ही फांसी हो जाती है. अभी बहुत साल लगेंगे. कई विकल्प मौजूद हैं अपने पास. बता दें, सलीम ने प्रेमिका शबनम के कहने पर उसके मां-बाप, भाई-भाभी और एक बहन को कुल्हाड़ियों से काट डाला था. 

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कहता है- नहीं होगी इतनी जल्दी फांसी
एक राष्ट्रीय अखबार की वेबसाइट के मुताबिक यह बातें सलीम आज भी बंदियों को बताता है. बताया जा रहा है कि 2020 के नवंबर में अपनी दया याचिका पर साइन करने के लिए उसे नैनी जेल से ऑफिस लाया गया था. वहां एक जेल अधिकारी ने जब उससे कहा कि अब तो तुम फांसी से नहीं बच सकते, तो उसने कहा साहब यहां बचने के इतने ऑप्शन मौजूद हैं कि फांसी होते-होते सालों लग जाएंगे. उसने कहा कि साहब आप परेशान मत होइए, इतनी जल्दी कुछ नहीं होता यहां. 

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जेल में बैठ शायरियां लिखता है सलीम
हालांकि, जानकारी के मुताबिक, जब राषट्रपति रामनाथ कोविंद ने शबनम की दया याचिका खारिज की थी, तब सलीम के होश उड़ गए थे. लेकिन फांसी की तारीख आगे बढ़ते ही, सलीम फिर चौड़ में आ गया. वह जेल में बैठकर शायरी लिखने लगा. 

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जेल में शबनम को याद करता रहता है सलीम
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वरिष्ठ जेलअधीक्षक ने जानकारी पीएन पाण्डेय ने जानकारी दी थी कि 7 लोगों की हत्या का सलीम को न पहले पश्चाताप था और न आज वह इसके लिए शर्मिंदा है. लेकिन, इतने सालों में उसने ऐसी कोई हरकत नहीं की जिससे किसी को परेशानी हो. दूसरों से वह अच्छे से पेश आता है, साथियों की मदद करता है और पांच वक्त का नमाजी है. लेकिन, आए दिन वह शबनम को याद करता रहता है.

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जेल में फर्नीचर बनाने की ली ट्रेनिंग
गौरतलब 2018 तक सलीम बरेली जेल में बंद था और फिर 27 सितंबर 2018 को उसे प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल भेज दिया गया. क्योंकि बरेली जेल में फांसी की सुविधा नहीं थी, इसलिए उसे नैनी शिफ्ट किया गया था. पुलिस अधीक्षक ने बताया कि सलीम एक अच्छा कारीगर है. जेल में ही उसने लकड़ी के काम की ट्रेनिंग ली थी. बढ़ई का काम सलीम बढ़िया कर लेता है. नैनी जेल में लकड़ी का काम बड़े स्तर पर किया जाता है. ऐसे में उसने शानदार तरीके से फर्नीचर बनाए हैं.

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