UP Politics: भेदभाव का आरोप लगाते हुए महासचिव के पद से इस्तीफा देने वाले स्वामी प्रसाद का अगला रुख क्या होगा, इस पर सभी की निगाहें हैं. बुधवार को उन्होंने अपने अगले कदम और इस्तीफ को लेकर जवाब दिया है.
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UP Politics: स्वामी प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी के महासचिव पद से मंगलवार को इस्तीफा दे दिया. इसके बाद उनके अगले रुख पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं. क्या वह समाजवादी पार्टी के साथ ही रहेंगे या किसी दूसरे दल के साथ नई पारी का आगाज करेंगे. बुधवार को मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने इस्तीफे से लेकर अगले कदम क्या होगा, इस पर बड़ा बयान दिया है. फिलहाल उन्होंने गेंद अखिलेश यादव के पाले में डाल दी है.
स्वामी प्रसाद मौर्य से जब पूछा गया कि क्या उन्होंने महासचिव पद से ही इस्तीफा दिया है या पार्टी भी छोड़ेंगे. जवाब में स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि अभी केवल महासचिव पद से इस्तीफा दिया है. अब गेंद राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के पाले में है. उनकी अगली कार्रवाई को देखते हुए मैं अगला निर्णय लूंगा.''
वहीं टाइमिंग को लेकर सवाल उठे कि उन्होंने सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इटावा में निर्माणाधीन केदारेश्वर मंदिर में शालिग्राम की पूजा अर्चना के बाद इस्तीफा दिया. इस पर उन्होंने कहा, ''पूजा अर्चना लोगों की अपनी व्यक्तिगत श्रद्धा से जुड़ा हुआ मामला है. किसी भी पूजा पद्धति पर मैं किसी भी तरह की टिप्पणी नहीं करता हूं. सभी धर्मों का मैं सम्मान करता हूं. इस इस्तीफे का कल की पूजा से कोई संबंध नहीं है. कौन किसमें श्रद्धा रखता है, कौन किस तरह पूजा करता है. वह हिंदू, मुस्लिम, सिख ईसाई किसी भी धर्म का हो, सभी धर्मों को अपने तरीके से पूजा करने की छूट है. संविधान भी यही कहता है. यही मेरा मानना है. मैं इस पर ऐतराज नहीं करता हूं.''
#WATCH | Lucknow, UP: Samajwadi Party leader Swami Prasad Maurya says "As of now I have only decided to resign from the post of party's National General Secretary. Now the ball is in the court of the national president. I will take any further decision depending on the action… pic.twitter.com/fDuOmm4mKf
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) February 14, 2024
मंगलवार को दिया था इस्तीफा
स्वामी प्रसाद मौर्य ने भेदभाव को लेकर आरोप लगाते हुए अखिलेश यादव को लेटर भेजा था. उन्होंने कहा कि अगर राष्ट्रीय महासचिव पद में भी भेदभाव है, तो ऐसे भेदभाव पूर्ण, महत्वहीन पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है. यही वजह है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से वो त्यागपत्र दे रहे हैं.
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