यह पहली बार हुआ है जब समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के गढ़े दो नामी-गिरामी नेता एक ही वक्त में अलग-अलग जगहों से अलग-अलग चुनावी रथ यात्राएं निकाल रहे हैं.
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) बीते दो दशक से एक बड़ा नाम रही है, जिसकी नींव मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) ने रखी. मुलायम सिंह यादव की सियासी यात्रा में उनके छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) सबसे विश्वसनीय सहयात्री रहे. सड़कों पर संघर्ष करने से लेकर सत्ता के शिखर तक पहुंचने के सफर में शिवपाल सपा के सच्चे सिपाही रहे हैं. लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के साथ हुई अनबन के कारण अब शिवपाल ने अपनी राहें जुदा कर ली हैं.
यह पहली बार हुआ है जब समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के गढ़े दो नामी-गिरामी नेता एक ही वक्त में अलग-अलग जगहों से अलग-अलग चुनावी रथ यात्राएं निकाल रहे हैं.सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कानपुर से 'समाजवादी विजय रथ यात्रा' (Samajwadi Vijay Rath Yatra) की शुरूआत की, तो प्रगतीशील समाजवादी पार्टी-लोहिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने मथुरा से 'सामाजिक परिवर्तन यात्रा' (Samajik Parivartan Yatra) का आगाज किया. इस घटनाक्रम ने अब साफ कर दिया है कि चाचा और भतीजे के बीच सुलह की गुंजाइश लगभग खत्म हो गई है.
हमारे साथ में नौजवानों के जोश की बयार है
बँधी मुट्ठियों में उमड़ा बदलाव का इंक़लाब है#बाइस_में_बाइसिकल#नयी_हवा_है_नयी_सपा_है#बड़ों_का_हाथ_युवा_का_साथ pic.twitter.com/Wha74jHI7n— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) October 12, 2021
अगर आशीर्वाद लेना है तो चाचा के पास आएं अखिलेश, माफ कर देंगे
आखिरी दिन तक शिवपाल ने सपा अध्यक्ष को हिंट दिया कि वह साथ आने के लिए इच्छुक हैं. शिवपाल ने कोशिश तो बहुत की लेकिन अखिलेश कानों पर जूं तक नहीं रेंगी. अखिलेश की विजय रथ यात्रा के सवाल पर शिवपाल यादव ने कहा, अगर आशीर्वाद लेना है तो चाचा के पास आएं. अखिलेश आकर माफी मांगें तो हम जरूर माफ करेंगे. समान विचारधारा के सेक्युलर दल एक हो जाएं. अगर हम एक हो गए तो सत्ता परिवर्तन करके रहेंगे. हम भाजपा के खिलाफ ही हैं, सत्ता परिवर्तन चाह रहे हैं.
खजांची ने दिखाई सपा की 'विजय रथ यात्रा' को हरी झंडी, अखिलेश यादव ने भरा 400 सीटें जीतने का दम
प्रसपा प्रमुख शिवपाल सिंह यादव ने 28 सितंबर को इटावा में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि वह सपा से समझौते का 11 अक्टूबर तक इंतजार करेंगे. अगर जवाब आता है तो ठीक, नहीं आता है तो वह अपनी चुनावी तैयारी में जुट जायेंगे. शिवपाल की सपा को दी गई अंतिम तारीख निकल गई और अखिलेश का कोई जवाब नहीं आया. इसके बाद शिवपाल सिंह यादव डॉ. राम मनोहर लोहिया की पुण्यतिथि यानी 12 अक्टूबर को सामाजिक परिवर्तन रथयात्रा के साथ चुनावी शंखनाद कर दिया.
शिवपाल ने अखिलेश को कई बार फोन किया, लेकिन नहीं मिला जवाब
यह रथयात्रा श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा से शुरू होकर आगरा, फिरोजाबाद, इटावा, औरैया, जालौन होकर रायबरेली जायेगी और इसका समापन 27 नवंबर को होगा. शिवपाल यादव ने बीते 6 महीने में कई सार्वजनिक मंचों से कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता समाजवादी पार्टी है. वह चाहते हैं कि 2022 में सपा कि सरकार बनें, इसके लिए समान विचारधारा वाले सभी दलों को एक साथ आना होगा. प्रसपा प्रमुख के मुताबिक उन्होंने अखिलेश को कई बार फोन भी किया लेकिन उनका जवाब नहीं मिला. शिवपाल ने बीते दिनों एक कार्यक्रम में खुद की तुलना पांडवों से की थी.
अटल्ला चुंगी, वृंदावन में आयोजित विशाल जनसभा में रथ यात्रा का शंखनाद... pic.twitter.com/M6AXRLG2iN
— Shivpal Singh Yadav (@shivpalsinghyad) October 12, 2021
हम सभी 403 सीटों पर लड़े तो सपा का हश्र ठीक नहीं होगा: शिवपाल
उन्होंने अखिलेश का नाम लिए बिना कहा था कि पांडवों ने कौरवों से सिर्फ 5 गांव देने की मांग की थी, मैंने भी तो सिर्फ अपने साथियों का सम्मान मांगा था. लेकिन वह भी न दे सके. अब तो युद्ध ही एकमात्र विकल्प बचा है, हम लड़ेंगे. शिवपाल यादव ने कहा एक दूसरे कार्यक्रम में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पर टिप्पणी करते हुए कहा, अखिलेश को लगता है कि वह 2022 का विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. गलती कर रहे हैं. यदि प्रसपा ने सभी 403 सीटों पर चुनाव लड़ा तो उनका क्या हश्र होगा सबको पता है.
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