प्रशासनिक अधिकारियों के जमीन विवाद में निषेधाज्ञा देने से इलाहाबाद HC नाराज, मनमानी पर अंकुश लगाने के दिए निर्देश
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प्रशासनिक अधिकारियों के जमीन विवाद में निषेधाज्ञा देने से इलाहाबाद HC नाराज, मनमानी पर अंकुश लगाने के दिए निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, प्रमुख सचिव सभी जिलाधिकारियों की बैठक बुलाकर यह सुनिश्चित करें कि भूमि संबंधी निजी विवादों में वे निषेधाज्ञा जैसे आदेश जारी न करें.

 

प्रशासनिक अधिकारियों के जमीन विवाद में निषेधाज्ञा देने से इलाहाबाद HC नाराज, मनमानी पर अंकुश लगाने के दिए निर्देश

मोहम्मद गुफरान/प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संपत्ति विवादों में प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा मनमाने तरीके से निषेधाज्ञा जैसे आदेश करने की प्रवृत्ति पर गहरी नाराजगी जताई है. कोर्ट ने अधिकारियों को आगाह किया है कि मनमाने आदेश पारित न करें. इसके साथ ही कोर्ट कहा कि प्रमुख सचिव सभी जिलाधिकारियों की बैठक बुलाकर यह सुनिश्चित करने के कहा है कि भूमि संबंधी निजी विवादों में वे निषेधाज्ञा जैसे आदेश जारी न करें. यह काम अदालतों का है. जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस विक्रम डी चौहान की डिविजन बेंच ने मथुरा के श्री एनर्जी डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है.

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याची का कहना था कि याची ने मेरठ-हापुड़ रोड पर आवासीय योजना का निर्माण शुरू किया.  यह क्षेत्र प्रदेश सरकार की अधिसूचना के बाद मथुरा नगर निगम की सीमा में आ गया था.  याची ने मथुरा विकास प्राधिकरण से भवन का नक्शा भी पास कराया है. इसके बावजूद कुछ लोगों ने याची को परेशान करने की नीयत से एसडीएम सदर को शिकायती प्रार्थना पत्र देकर कहा कि कृषि भूमि पर निर्माण हो रहा है. यह भू-राजस्व अधिकारियों के क्षेत्राधिकार में आती है.

निर्माण पर रोक लगाई
एसडीएम सदर ने तथ्यों की जांच किए बगैर एकपक्षीय निषेधाज्ञा का आदेश कर दिया और निर्माण पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने एसडीएम सदर, मथुरा के निषेधाज्ञा का आदेश करने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि हाईकोर्ट में ऐसी याचिकाओं की बाढ़ आ गई है, जिनमें प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा जमीन संबंधी विवादों में मनमाने तरीके से निषेधाज्ञा के आदेश को चुनौती दी गई है.  ऐसा करके राज्य सरकार के आदेशों की ही अनदेखी की जा रही है.

कोर्ट ने मथुरा डीएम को दिया आदेश
कोर्ट ने डीएम मथुरा को आदेश दिया कि स्वयं इस मामले की जांच कर सकारण आदेश करें और यदि याची का दावा सही पाया जाता है तो उसके निर्माण कार्य करने में हस्तक्षेप न किया जाए.  साथ ही प्रमुख सचिव को निर्देश दिया कि इस मामले को स्वयं देखें और जिलाधिकारियों की बैठक बुलाकर यह सुनिश्चित करें कि अफसर मनमाने तरीके से भू संबंधी आदेश पारित न करें.

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