तथ्यों को छुपाकर PIL फाइल करना कोर्ट के साथ धोखा करना है, याची पर 50 हजार जुर्माना
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तथ्यों को छुपाकर PIL फाइल करना कोर्ट के साथ धोखा करना है, याची पर 50 हजार जुर्माना

Allahabad High Court Verdict: कोर्ट ने कहा कि याची उसी राहत का दावा करते हुए पहले हाईकोर्ट आ चुका है. कोर्ट ने उसकी याचिका को 15 मार्च 2018 को खारिज कर दिया था, लेकिन याची ने यह जानकारी कोर्ट से छुपाई. विपक्षी के अधिवक्ता ने इस तथ्य को बताया. डिविजन बेंच ने इसे न्याय का दुरुपयोग बताया.

तथ्यों को छुपाकर PIL फाइल करना कोर्ट के साथ धोखा करना है, याची पर 50 हजार जुर्माना

मोहम्मद गुफरान/प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका में तथ्यों को छिपाने पर गहरी नाराजगी जताई है. कोर्ट ने याची पर 50 हजार रुपये का हर्जाना भी लगाया है. कोर्ट ने याची से हर्जाने की राशि हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के खाते में जमा करने को कहा है. रकम न जमा होने पर उसकी प्राप्ति के लिए हाई कोर्ट बार अर्जी दाखिल कर सकती है. चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जेजे मुनीर की डिविजन बेंच ने राम प्रसाद राजौरिया की जनहित याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश दिया है.

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कोर्ट के सामने झूठ बोलने से भी नहीं हिचकिचाते लोग
कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि 40 सालों में नैतिक मूल्यों में कमी आई है. अब वादकारी न्यायालय को गुमराह करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. उनके पास सच्चाई का कोई सम्मान नहीं है. कोर्ट ने कहा कि स्वतंत्रता पूर्व युग में सत्य न्याय वितरण प्रणाली का एक अभिन्न अंग था. हालांकि, स्वतंत्रता के बाद की अवधि में हमारी मूल्य प्रणाली में भारी बदलाव देखा गया है. भौतिकवाद ने पुराने लोकाचार को ढक दिया है और व्यक्तिगत लाभ की तलाश इतनी तीव्र हो गई है कि मुकदमेबाजी में शामिल लोग अदालती कार्यवाही में झूठ, गलत बयानी और तथ्यों के दमन का आश्रय लेने से नहीं हिचकिचाते.

तथ्यों को छपाना कोर्ट के साथ धोखाधड़ी करना है
वादकारियों की इस नई नस्ल की चुनौती का सामना करने के लिए सिद्धांत विकसित किए गए हैं. अब यह अच्छी तरह से तय हो गया है कि एक वादकारी जो न्याय को प्रदूषित करने का प्रयास करता है या जो दागी हाथों से न्याय के शुद्ध फव्वारे को छूता है. वह किसी भी राहत अंतरिम या अंतिम का हकदार नहीं है. न्यायालय से भौतिक तथ्यों को छिपाना वास्तव में न्यायालय के साथ धोखाधड़ी का खेल है.

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कोर्ट ने बताया इसे न्याय का दुरुपयोग
कोर्ट ने कहा कि याची उसी राहत का दावा करते हुए पहले हाईकोर्ट आ चुका है. कोर्ट ने उसकी याचिका को 15 मार्च 2018 को खारिज कर दिया था, लेकिन याची ने यह जानकारी कोर्ट से छुपाई. विपक्षी के अधिवक्ता ने इस तथ्य को बताया. डिविजन बेंच ने इसे न्याय का दुरुपयोग बताया. साथ ही सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के हवाले से कहा कि कोर्ट कोई खेल का मैदान नहीं है. मामले में तथ्यों को छुपाया गया था. मामला हाथरस में सिकंदरा राव तहसील के बराई ग्राम पंचायत का है. याची ने ग्राम पंचायत के विकास के लिए दो व्यक्तियों पर सरकार के पैसे का गबन का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की थी.

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