ईश्वर ने राजेश को हार नहीं मानने दी और उनके पड़ोसी को इस समस्या को हल करने के लिए भेज दिया. राजेश ने पड़ोसी परवेज से भांजी की शादी के लिए मण्डप लगाने की बात कही. यह सुनते ही परवेज ने मानवता की एक मिसाल पेश की. परवेज के घर के आंगन में मण्डप गड़ा और शुरू हो गए मंगल गीत...
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वेदेन्द्र प्रताप शर्मा/आजमगढ़: देश के अलग-अलग कोनों मे सांप्रदायिक घटनाएं जहां देश के सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित करती हैं, वहीं दूसरी ओर आपसी सौहार्द के कुछ ऐसे पल भी सामने आते हैं जो लोगों को मिल जुल कर रहने की सीख देते हैं. आजमगढ़ में एक ऐसी ही तस्वीर सामने आई है, जो गंगा-जमुनी तहजीब की बेहतरीन मिसाल पेश करती है. आजमगढ़ की एक हिंदू बेटी की शादी के लिए मुस्लिम परिवार ने न सिर्फ अपने आंगन में सात फेरे लेने के लिए मण्डप बनवाया, बल्कि हिंदू-मुस्लिम महिलाएं शादी में मिलकर देर रात तक मंगल गीत भी गाती रहीं, जिससे वैवाहिक समारोह में चार चांद लग गए. यही नहीं, मुस्लिम परिवार ने शादी के खर्च में भी बढ़चढ़ कर योगदान दिया है.
पूजा की शादी तय हुई, लेकिन सामने आई यह मुश्किल
आजमगढ़ शहर के एलवल मोहल्ले के रहने वाले राजेश चौरसिया पान की दुकान लगाकर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. इनके बहनोई की 2 साल पहले कोरोना काल में मौत हो गई, जिसके बाद राजेश चौरसिया के सिर अपनी भांजी की शादी करने की जिम्मेदारी आ गई. भांजी पूजा की शादी तय तो हुई, लेकिन मुश्किल यह थी कि राजेश के पास रहने के लिए एक घर के अलावा कुछ नहीं है. राजेश की आर्थिक हालत भी अच्छी नहीं है, जिससे भांजी की शादी कर सकें.
परवेज के आंगन में गड़ा शादी का मण्डप
हालांकि, ईश्वर ने राजेश को हार नहीं मानने दी और उनके पड़ोसी को इस समस्या को हल करने के लिए भेज दिया. राजेश ने पड़ोसी परवेज से भांजी की शादी के लिए मण्डप लगाने की बात कही. यह सुनते ही परवेज ने मानवता की एक मिसाल पेश की. परवेज के घर के आंगन में मण्डप गड़ा और शुरू हो गए मंगल गीत.
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वर को दी सोने की चेन भी
तय तिथि 22 अप्रैल को सुबह से ही शादी की तैयारियां जोरों पर थीं. शाम को जौनपुर जिले के मल्हनी से बारात आंगन में पहुंची, तो द्वाराचार और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच सात फेरे और सिन्दूरदान की रस्म सम्पन्न हुई. इस दौरान हिन्दू मुस्लिम महिलाएं मिलकर देर रात तक शादी में मंगल गीत गाती रहीं. सुबह बारात विदा होने से पहले खिचड़ी रस्म शुरू हुई तो राजेश ने अपनी सामर्थ्य के अनुसार दिया, तो इसी रस्म पर राजेश के पड़ोसी परवेज ने वर के गले में सोने की सिकड़ पहनाई और शादी की रस्म में चार चांद लग गए. फिर बारात वधू को लेकर वापस लौट गई.
"उनकी बेटी की शादी यानी हमारी बेटी की शादी"
परवेज की पत्नी ने बताया कि पूजा की मां बचपन से ही उनके घर पर एक सदस्य के रूप में रहीं. इनके सभी दुख दर्द में हमारा परिवार इनके साथ रहा. इनकी बेटी की शादी यानी हमारी बेटी की शादी. उन्होंने कहा कि रमजान के महीने में हमने अपने घर पूजा कराई, ये तो बहुत अच्छा है. हमें खुशी है कि हमने एक बेटी की शादी धूमधाम से की. धर्म सबका अलग-अलग भले हो लेकिन हम सब इंसान है.
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