Dev Uthani Ekadashi 2021: ब्रज में उत्सवों की धूम: मथुरा में लगेगा एकादशी का मेला, भक्त लगाएंगे तीन वनों की परिक्रमा
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Dev Uthani Ekadashi 2021: ब्रज में उत्सवों की धूम: मथुरा में लगेगा एकादशी का मेला, भक्त लगाएंगे तीन वनों की परिक्रमा

Dev Uthani Ekadashi 2021: इस बार देवोत्थान एकादशी दो दिन मनाई जाएगी. देवोत्थान एकादशी तिथि 14 नवंबर को सुबह 05 बजकर 48 मिनट से प्रारंभ होगी और 15 नवंबर 2021 को सुबह 06 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगी. इसी दिन तीन वनों की गरूड़ गोविंद, मथुरा, वृंदावन की परिक्रमा लगाई जाती है. 

प्रतीकात्मक

Dev Uthani Ekadashi 2021: दिवाली के बाद ब्रज में एक बार फिर धार्मिक उत्सवों का दौर शुरू होने जा रहा है. गोपाष्टमी से शुरू हो रहे उत्सवों की देवोत्थान एकादशी तक धूम रहेगी. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादश को देवोत्थान, देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है. इस साल देवउठनी एकादशी रविवार, 14 नवंबर 2021 को है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में चार महीने सोने के बाद जागते हैं. भगवान विष्णु के शयनकाल के चार मास में विवाह आदि मांगलिक काम नहीं किए जाते हैं.लेकिन देवोत्थान एकादशी के बाद से शुभ और मांगलिक काम कर शुरू हो जाते हैं.

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देवोत्थान एकादशी-14-15 नवंबर
इस बार देवोत्थान एकादशी दो दिन मनाई जाएगी. देवोत्थान एकादशी तिथि 14 नवंबर को सुबह 05 बजकर 48 मिनट से प्रारंभ होगी और 15 नवंबर 2021 को सुबह 06 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगी. इसी दिन तीन वनों की गरूड़ गोविंद, मथुरा, वृंदावन की परिक्रमा लगाई जाती है. इस दिन तुलसी सालिगराम जी का विवाह होता है.

मथुरा में लगता है एकादशी पर मेला
देवठान एकादशी का मेला उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले (Mathura) में कार्तिक महीने (kartik Month) की एकादशी को आयोजित किया जाता है. इस दिन प्रात:काल से ही श्रद्धालु यमुना में स्नान करते हैं और तीनों वन मथुरा, वृंदावन तथा गरुण गोविंद की परिक्रमा करते हैं. 

ब्रज में तीन दिन वन की परिक्रमा में मथुरा, वृंदावन और गरूड़ गोविंद का इलाका आता है. चूंकि ये परिक्रमा काफी लंबी होती है इसलिए इसे पूरा करने में सामान्यतया 18 से 20 घंटे का समय लग जाता है. इस दिन परिक्रमा करने वाले गाते-बजाते परिक्रमा लगाते हैं. 

देव उठानी एकादशी शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि का प्रारम्भ: 14 नवम्बर, 2021 को सुबह 5 बजकर 48 मिनट से
एकादशी तिथि का समाप्त: 15 नवम्बर, 2021 को सुबह 6 बजकर 39 मिनट पर
15 नवम्बर को, पारण (व्रत तोड़ने का) समय-1 बजकर 10 बजे से 3.19 बजे
पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय - रात 1.00 बजे तक

देवउठनी एकादशी की पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदियों में स्नान करें. ऐसी मान्यता है कि पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन शाम से पहले पूजा स्थल को साफ़-सुथरा कर लें. चूना और गेरू से विष्णु भगवान के स्वागत के लिए रंगोली बनाएं. 

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