Naraka Chaturdashi 2021: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन अलक्ष्मी को घर से बाहर भेजा जाता है क्योंकि Diwali के पर्व के लिए मां लक्ष्मी के स्वागत की तैयारियां की जाती हैं. अलक्ष्मी को दुर्भाग्य की देवी कहा जाता है, मान्यता है कि जहां भी ये होती हैं, वहां पर दरिद्रता का वास होता है, जिससे मनुष्य को धन की हानि का सामना करना पड़ता है.
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Choti Diwali 2021: धनतेरस के अगले दिन छोटी दिवाली का पर्व मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी या रूप चौदस का त्योहार मनाया जा रहा है. पांच दिन के महापर्व में दिवाली के एक दिन पहले पड़ने वाला ये दूसरा पर्व है. छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. इस साल छोटी दिवाली 3 नवंबर यानी आज है जबकि दिवाली का त्यौहार 4 नवंबर को मनाया जाएगा.
Naraka Chaturdashi 2021: छोटी दिवाली आज, जानें रूप चौदस का शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि
मां लक्ष्मी के स्वागत की तैयारी
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन अलक्ष्मी को घर से बाहर भेजा जाता है क्योंकि दिवाली के पर्व के लिए मां लक्ष्मी के स्वागत की तैयारियां की जाती हैं. अलक्ष्मी को दुर्भाग्य की देवी कहा जाता है, मान्यता है कि जहां भी ये होती हैं, वहां पर दरिद्रता का वास होता है, जिससे मनुष्य को धन की हानि का सामना करना पड़ता है. नरक चतुर्दशी तिथि को ऐसे कार्य बताए गए हैं जिन्हें अवश्य करने चाहिए. इससे मां लक्ष्मी का आपके घर में आगमन होता है व सौंदर्य की प्राप्ति होने के साथ ही अकाल मृत्यु का भय भी नहीं रहता है.
होती है यमराज की पूजा
नरक शब्द पौराणिक कथाओं में वर्णित दैत्य राजा नरकासुर से संबंधित है और चतुर्दशी का अर्थ है चौदहवां दिन. इस दिन घरों में यमराज की पूजा की जाती है. छोटी दिवाली को सौन्दर्य प्राप्ति और आयु प्राप्ति का दिन भी माना जाता है.
यम के निमित्त दीप प्रज्वलित करना
नरक चतुर्दशी को रात्रि के समय यम के निमित्त दीपदान करने का विधान है इसलिए रात में दक्षिण दिशा की ओर यम के नाम का दीप अवश्य प्रज्वलित करना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि नरक चतुर्दशी पर यम के निमित्त दीपदान करने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है. इस दीपक को जलाने के बाद निगरानी करना आवश्यक होता है। जब दीप की लौ बढ़ जाए तो दीपक को उठाकर घर में लें आएं और संभालकर रख दें.
नरक चतुर्दशी के दिन करें ये काम
नरक चतुर्दशी का पहला काम है तेल मालिश करके स्नान करना. इस दिन स्नान से पहले पूरे शरीर पर तेल मालिश करनी चाहिए और उसके कुछ देर बाद स्नान करना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि चतुर्दशी को लक्ष्मी जी तेल में और गंगा सभी जलों में निवास करती हैं. इसलिए इस दिन तेल मालिश करके जल से स्नान करने पर मां लक्ष्मी के साथ गंगा मां का भी आशीर्वाद मिलता है और व्यक्ति को जीवन में तरक्की मिलती है.
नरक चतुर्दशी के दिन जड़ समेत मिट्टी से निकली हुई अपामार्ग की टहनियों को सिर पर घुमाने की भी परंपरा है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक कुछ ग्रन्थों में अपामार्ग के साथ लौकी के टुकड़े को भी सिर पर घुमाने की परंपरा का जिक्र किया गया है. कहते हैं ऐसा करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है और व्यक्ति को नरक का भय नहीं रहता.
इस दिन न करें ये काम
नरक चतुर्दशी के दिन भूलकर भी अपने घर को खाली नहीं छोड़ना चाहिए. अगर किसी जरुरी काम से आपको बाहर जाना ही पड़े तो कोशिश करें घर में आपके अलावा कोई न कोई जरूर रहे. घर में समृद्धि का वास बनाए रखने और अकाल मत्यु से बचने के लिए आज के दिन नरक चतुर्दशी पर घर की दक्षिण दिशा में एक दीपक में कौड़ी, 1 रूपये का सिक्का रखकर जलाकर यमराज से अकाल मत्यु से बचने के लिए प्रार्थना करनी चाहिए.
अभ्यंग स्नान मुहूर्त
सुबह 6 बजे से पहले
चौघड़िया मुहूर्त
सुबह 06:34 से 07:57 तक- लाभ
सुबह 07:57 से 09:19 तक- अमृत
सुबह 10:42 से दोपहर 12:04 तक- शुभ
दोपहर 02:49 से 04:12 तक- चर
शाम 04:12 से 05:34 तक- लाभ
कबाड़ निकाल दें बाहर
नरक चौदस के दिन अपने घर की अच्छे से साफ सफाई करनी चाहिए और सारा फालतू सामान जैसे टूटा-फूटा सामान, बेकार जूते, फटे-पुराने कपड़े आदि को घर से बाहर निकाल देना चाहिए. इसी के साथ घर के हर कोने की अच्छी तरह से साफ-सफाई करने के बाद घर के अंधेरे स्थानों पर रोशनी कर देना चाहिए. ताकि मां लक्ष्मी के आगमन के लिए आपके घर का वातावरण पूरी तरह से शुद्ध हो.
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