यूपी में अब गाजियाबाद का नाम बदलने की मांग, महंत नारायण गिरी ने की योगी आदित्यनाथ से मुलाकात
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यूपी में अब गाजियाबाद का नाम बदलने की मांग, महंत नारायण गिरी ने की योगी आदित्यनाथ से मुलाकात

Ghaziabad name change: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में जिले के सांसद जनरल वीके सिंह से बात करने के लिए कहा है. वहीं, गाजियाबाद का नाम बदलकर गजप्रस्थ रखने का प्रस्ताव भी महंत नारायण गिरी द्वारा दिया गया है. दूधेश्वर नाथ मन्दिर के महंत नारायण गिरी का कहना है कि पिछले 2 सालों से कोरोनावायरस की वजह से कांवड़ यात्रा नहीं हो पाई थी लेकिन इस बार मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि भव्य तरीके से इस बार कांवड़ यात्रा होगी और मंदिर में कांवड़ियों के लिए बेहतर इंतजाम किए जाएंगे.

यूपी में अब गाजियाबाद का नाम बदलने की मांग, महंत नारायण गिरी ने की योगी आदित्यनाथ से मुलाकात

गाजियाबाद: गाजियाबाद के प्रसिद्ध दूधेश्वर नाथ मंदिर के महंत और जूना अखाड़े के प्रवक्ता नारायण गिरी ने सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की है. वहीं, इस मुलाकात को लेकर मीडिया से बातचीत में बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कांवड़ यात्रा और दूधेश्वर नाथ मंदिर कॉरिडोर बनाने को लेकर आश्वासन दिया. इसके अलावा गाजियाबाद का नाम बदलने को लेकर भी चर्चा हुई है. 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में जिले के सांसद जनरल वीके सिंह से बात करने के लिए कहा है. वहीं, गाजियाबाद का नाम बदलकर गजप्रस्थ रखने का प्रस्ताव भी महंत नारायण गिरी द्वारा दिया गया है. दूधेश्वर नाथ मन्दिर के महंत नारायण गिरी का कहना है कि पिछले 2 सालों से कोरोनावायरस की वजह से कांवड़ यात्रा नहीं हो पाई थी लेकिन इस बार मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि भव्य तरीके से इस बार कांवड़ यात्रा होगी और मंदिर में कांवड़ियों के लिए बेहतर इंतजाम किए जाएंगे.

महंत नारायण गिरी के अनुसार इस बार कावड़ यात्रा 26 और 27 तारीख जुलाई को होगी. जहां 26 तारीख को कावड़िए जल चढ़ाएंगे. वहीं, 27 को शिवरात्रि का व्रत लोग रखेंगे. साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही मुख्यमंत्री उनके गाजियाबाद के नाम बदलकर गजप्रस्थ रखने के प्रस्ताव पर भी संज्ञान लेंगे. 

आपको बता दें, गाजियाबाद नगर की स्थापना 1740 में मुगल सम्राट मुहम्मद शाह के वजीर गाजी-उद-दीन ने कोलकाता से पेशावर तक जाने वाली ग्रैंड ट्रंक रोड पर की थी. उनके नाम पर इसे तब गाजी-उद-दीन नगर कहा जाता था. मुगलकाल में गाजियाबाद और इसके आसपास के क्षेत्र विशेषकर हिंडन के तट मुगल शाही परिवार के लिए पिकनिक स्थल थे. 1864 में गाजियाबाद में रेल आगमन हुआ. इसके बाद नगर के नाम को "गाजीउद्दीननगर" से छोटा कर "गाजियाबाद" कर दिया गया.

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