Govardhan 2021: मान्यता है कि गाय देवी लक्ष्मी का स्वरूप है. भगवान श्रीकृष्ण ने आज ही के दिन इंद्र का अपमान कर गिरिराज पूजन किया था. भारतीय परंपरा में गाय की पूजा का बहुत ही महत्व है.
Trending Photos
Govardhan 2021: दीपावली (Deepawali) के अगले दिन गोवेर्धन (Govadhan) की पूजा की जाती है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपाद तिथि यानी कि दीपावली के एक दिन बाद गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है. इस साल ये त्योहार 5 नवंबर 2021 यानी शुक्रवार को मनाया जा रहा है. इस दिन गोबर का गोबर्धन बनाया जाता है इसका खास महत्व होता है.
गाय में होता है सभी देवों का वास
आज के दिन सभी गौमाता का पूजन करते हैं. ऐसी मान्यता है कि गाय देवी लक्ष्मी का स्वरूप है. भगवान श्रीकृष्ण ने आज ही के दिन इंद्र का अपमान कर गिरिराज पूजन किया था. भारतीय परंपरा में गाय की पूजा का बहुत ही महत्व है. गाय को मां का दर्जा दिया गया है. पौराणिक मान्यता है कि गाय में सभी देवों का वास होता है.पंचग्व्य, चरणामृत सहित गाय का दूध गोबर सभी कुछ पवित्र माना जाता है. गाय के घी को औषधीय गुणों वाला माना जाता है.
गोवर्धन पूजा के दिन भूलकर भी न करें ये गलतियां, बिगड़ जाएंगे बनते हुए काम, श्रीकृष्ण हो जाएंगे नाराज
हिंदू धर्म में गाय (Cow) का महत्व
हिंदू धर्म (Hindu Dharma) में गाय को माता कहा गया है. गोवर्धन के दिन मंदिरों में श्रद्धालु भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते हैं और गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने से विशेष फल मिल जाता है. वहीं इस दिन लोग घरों में गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर जल, मौली, रोली, चावल, फूल, दही और दीप जलाकर पूजा अर्चना किया करते हैं. कहा जाता है इस दिन गायों की पूजा भी की जाती है और फिर गाय को मिठाई खिलाकर उनकी आरती उतारकर प्रदक्षिणा की जाती है.
क्यों की जाती है गाय की पूजा?
गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है. शास्त्रों में बताया गया है कि गाय पवित्र होती हैं. गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है. देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती हैं, उसी तरह गाय माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं.
श्रीकृष्ण ने शुरू कराई थी पूजा
पुराणों के अनुसार इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र की पूजा की बजाय गोवर्धन की पूजा शुरू करवाई थी. इस पूजा में जल फल, धूप, दीप, नैवेद्य, खील, बताशे आदि का उपयोग किया जाता है. गोवर्धन में ओंगा यानि अपामार्ग की डालियां जरूर रखी जाती हैं. इस दिन गायों की सेवा का विशेष महत्व है. गोवर्धन पूजा का श्रेष्ठ समय प्रदोष काल में माना गया है।
गोवेर्धन पूजा में इन बातो का रखे ध्यान
गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का आयोजन बंद कमरे में नहीं करना चाहिए. गायों की पूजा करते हुए ईष्टदेव या भगवान कृष्ण की पूजा करना न भूलें. गोवर्धन के दिन चंद्रमा का दर्शन न करें.
बनते हैं पकवान
गोवर्धन पूजा के दौरान विभिन्न तरह के पकवान बनाए जाते हैं. लोग घरों में गोवर्धन पूजा के बाद अन्नकूट का प्रसाद ग्रहण करते हैं. मंदिरों में इस पर्व पर विशेष कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं जो शानदार होते हैं.