Hardoi News: एक महिला बीते दो महीने से बच्चों के एडमिशन के लिए चक्कर काट रही है. बच्चों के पिता मजदूरी करते हैं. गरीबी के कारण मां सरकारी स्कूल में पढ़ा लिखा कर बच्चों को अधिकारी बनाना चाहती है.
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आशीष द्विवेदी/हरदोई: उत्तर प्रदेश के हरदोई में एक दलित परिवार अपने बच्चों का सरकारी स्कूल में एडमिशन करवाने के लिए दर-दर भटकने को मजबूर है. बच्चों के अभिवावकों ने स्कूल के प्रधानाध्यापक पर दलित समाज के होने की वजह से एडमिशन न करने का गंभीर आरोप लगाया है. फिलहाल बीएसए ने पूरे मामले में जांच और कार्यवाही के आदेश दिए हैं.
क्या है पूरा मामला?
मामला हरदोई के भरखनी विकास खण्ड के ग्राम चठिया का है. यहां रहने वाले हीरालाल की पत्नी पिंकी अपने बच्चों का कूड़ी प्राथमिक विद्यालय में एडमिशन करवाना चाहती है. बच्चों की मां ने बताया कि वह एक गरीब परिवार से है .उनका पति मजदूरी कर पालन-पोषण करता है. कोरोना काल में बच्चों का नाम कट गया था. अब दोबारा स्कूल खुलने के बाद वह अपनी बेटी और बेटे को अच्छी शिक्षा देने के लिए उनका सरकारी विद्यालय में एडमिशन करवाना चाहती है. बच्चों के एडमिशन को लेकर वह कूड़ी प्राथमिक विद्यालय में दो माह से दौड़ रही है. लेकिन दाखिला नहीं हो रहा है.
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जातिसूचक शब्द कहते हुए स्कूल से भगाया
इसी सिलसिले में पिंकी मंगलवार को प्रधानाचार्य से एडमिशन के संबंध में मिलने पहुंची. पिंकी का आरोप है कि इस दौरान प्रधानाचार्य ने जाति सूचक शब्दों से अपमानित कर उसे भगा दिया. इसके बाद पिंकी अपनी फरियाद लेकर बेसिक शिक्षा अधिकारी के पास पहुंची. पीड़ित ने इसकी शिकायत बीएसए के अलावा पुलिस अधीक्षक व जिलाधिकारी से भी की. इस मामले को लेकर बेसिक शिक्षा अधिकारी वीरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि खण्ड शिक्षाधिकारी से कल नाम लिखाने की बात कही है. इसके साथ ही मामले में जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
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