हिन्दी दिवस विशेष : डॉ. महेश चंद्र शुक्ल ने कभी रामायण नहीं पढ़ी और फिर छंद रामायण समेत 40 से अधिक ग्रंथ लिख डाले
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हिन्दी दिवस विशेष : डॉ. महेश चंद्र शुक्ल ने कभी रामायण नहीं पढ़ी और फिर छंद रामायण समेत 40 से अधिक ग्रंथ लिख डाले

HIndi Diwas Stories : डॉ. महेश चंद्र शुक्ल ने यूपी सरकार की नौकरी से रिटायर होने तक कभी रामायण नहीं पढ़ी थी. फिर पत्नी की प्रेरणा से छंद रामायण समेत 40 से अधिक ग्रंथ लिख डाले.

हिन्दी दिवस विशेष : डॉ. महेश चंद्र शुक्ल ने कभी रामायण नहीं पढ़ी और फिर छंद रामायण समेत 40 से अधिक ग्रंथ लिख डाले

Hindi Diwas 14th September 2022 : आधुनिक युग में हिन्दी के प्रचार-प्रसार में योगदान देने वाले साहित्यकारों, रचनाकारों की फेहरिस्त भी छोटी नहीं है. इन्हीं में से एक डॉक्टर महेश चंद्र शुक्ल (Dr. Mahesh Chandra Shukla) हैं. उन्होंने छंद रामायण समेत 40 से अधिक ग्रंथ लिखे हैं. लेकिन 90 साल की उम्र में भी उनका जज्बा कम नहीं हुआ है. हिन्दी की अगाध सेवा को लेकर उन्हें आध्यात्मिक रचनाओं के क्षेत्र में आधुनिक तुलसीदास कहने से भी लोग नहीं हिचकते. शुक्ल ने छन्द रामायण(Chand Ramayana) , छन्द भागवत, सरस रामायण, हनुमान रामायण, छन्द गीता भागवत रहस्य आदि अनेक ग्रन्थों की रचना की है. डॉ. महेश चन्द्र शुक्ल ने जिन 40 से अधिक ग्रन्थों की रचना की है.

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उन्होंने 20 से अधिक आध्यात्मिक ग्रंथ लिखे जिन्हें तीन भागों में 1.रामकथा साहित्य 2.कृष्ण कथा साहित्य 3.अन्य आध्यात्मिक साहित्य विभाजित किया जा सकता है.शुक्ल ने लंबे समय तक यूपी सरकार में नौकरी की. रिटायरमेंट के बाद उनकी पत्नी ने जब उन्हें रामकथा सुनाने की जिद की तो उन्होंने कहा कि मैंने कभी रामायण पढ़ी ही नहीं. संयोग से वो तुलसीदास की पुण्यतिथि का दिन था. पत्नी की इच्छा को पूरा करने के लिए शुक्ल ने न केवल रामायण पढ़ी बल्कि रामकथा को छंद रामायण लिखना शुरू कर दी. इसे ब्रजभाषा की पहली रामायण घोषित किया गया. 

पत्नी ने आध्यात्मिक पठन-पाठन और लेखन को आम जनमानस तक ले जाने की जिद की तो उन्होंने कलम पकड़ ली जो आज तक नहीं रुकी. विनय की पाती, महेश दोहावली, रामचरित मंदाकिनी जैसी आम हिन्दी भाषा की रचनाओं से उन्होंने लोकप्रियता हासिल की.आगरा में जन्मे शुक्ल का जन्म आगरा में हुआ औऱ उनका विवाह इटावा की शकुंतला देवी से हुआ. 1954  में उनकी  नौकरी ग्रामीण विकास विभाग में लगी और वो अपर परियोजना निदेशक पद से सेवानिवृत्ति हुए.

शुक्ल को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा, पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी बाजपेयी और शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती समेत बड़ी हस्तियों ने उन्हें सम्मानित किया और सराहा.  

 

Sahitya Sansar (1) by Amrish Trivedi on Scribd

छन्द रामायण के रचयिता महेश चन्द्र शुक्ल के कृतित्व तथा व्यक्तित्व पर दूसरी पीएचडी डा.राम मनोहर लोहिया विश्व विद्यालय फैजाबाद से डॉ. वन्दना सिंह ने की है.

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