अमित शाह का यूपी दौरा कैसा प्रभाव डालेगा- पढ़िए इस दौरे से जुड़ी वे सब खास बातें, जो आपको जानना जरूरी है
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अमित शाह का यूपी दौरा कैसा प्रभाव डालेगा- पढ़िए इस दौरे से जुड़ी वे सब खास बातें, जो आपको जानना जरूरी है

अमित शाह यहां पार्टी के मेगा सदस्यता अभियान को हरी झंडी दिखाएंगे.

अमित शाह का यूपी दौरा कैसा प्रभाव डालेगा- पढ़िए इस दौरे से जुड़ी वे सब खास बातें, जो आपको जानना जरूरी है

राजकुमार खैमरिया. नई दिल्ली: गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) वर्तमान में भले ही बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष (BJP NAtional President) के तौर पर कार्य न कर रहे होंं,पर देश के बडे चुनावोंं के दौरान उनका वही रोल उभर ही आता है. आज जब वह यूपी में अपने अति महत्वपूर्ण और नीति-कूटनीति से भरे दौरे पर पहुंच रहे हैं (Amit Shah in UP) , तो इस  प्रदेश की राजनीतिक फिजां गर्माई हुई है. पार्टी को उम्मीद है कि जीत के मास्टरमाइंड अमित शाह अपने पिटारे में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के राजनीतिक गठजोड़ को तोड़ने और बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) के बागी नेताओं को साथ जोड़ने और वोटों की फसल काटने के कुछ जादुई नुस्खे लेकर आ रहे होंगे. आज उनके इस महत्वपूर्ण दौरे से जुड़े उन सारे तथ्यों को हम इस खास रिपोर्ट में आपके सामने रख रहे हैं, जिन्हें पढ़ना आपको जरूरी है.

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विधायक जी संभलिए- पूरी रिपोर्ट लेकर आ रहे हैंं मोटा भाई 
अमित शाह के इस दौरे का सबसे बड़ा खतरा उन विधायकों पर है जिनका या तो प्रदर्शन और इमेज बहुत बुरी है, या जिनके हारने की आशंका साफ है. इनके टिकट पर खतरा मंडरा रहा है. अमित शाह हमेशाा से विधायकों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट और एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर के हिसाब से टिकट पर फैसला करने के लिए जाने जातें है, इसी वजह से शाह के इस दौरे ने काफी विधायकों की नींंदें उड़ा रखी हैं. और अगर शाह रातभर लखनऊ में रूक गए तो फिर वे टिकट काटने के मामले पर स्पष्ट गाइडलाइन देने के साथ कुछेक प्रमुख केसोंं पर फैसला भी देकर जा सकते हैं, पर इतना तय है कि खतरा उन विधायकों पर सबसे ज्यादा है जो जनता के बीच उपलब्ध नहीं रहे, क्योंकि शाह के ऐसे बडे दौरों से पहले उनके पास सभी के कामों की पूरी रिपोर्ट मौजूद रहती है. ऐसी वर्किंग वह अपने भाजपाध्यक्ष रहने के दिनों से करते आ रहे हैं.

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आम हो या खास, सभी जुट जाएं...
अमित शाह यहां पार्टी के मेगा सदस्यता अभियान को हरी झंडी दिखाएंगे. अब जानते है उनके इस पैंतरे का महत्व. उन्होंने इस सदस्यता अभियान को भव्य बनाने और राज्य में 1.5 करोड़ से अधिक नए सदस्यों को  बनाने का मैसेज पहले से ही भेज रखा है। अभी बीजेपी के राज्य में 2.3 करोड़ कार्यकर्ता हैं। शाह की टीम ने अपने दौरे से पहले ही निर्देश भेज दिए हैं कि सदस्यता अभियान के लिए हर विधानसभा में जगह-जगह विशेष शिविर लगाए जाने हैं. सांसद, राज्य के मंत्रियों, विधायक और वरिष्ठ पदाधिकारियों तक को इस अभियान में पूरी तरह से जुटने के निर्देश उनकी टीम की ओर से हैं. पार्टी का सदस्य बनने एक नंबर 7505403403  जारी किया है, जिस पर कोई भी मिस कॉल करके सदस्य बन सकता है. सदस्यता अभियान के जरिए बीजेपी एक बार फिर से विरोधियों से आगे निकलने की कोशिश में है। 

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पिछड़ा और एससी वर्ग पर ध्यान
शाह यहां जातिगत वोटाेंं को रिझाने का भी पूरा गणित स्पष्ट करके जाएंगे. पार्टी का फोकस पहले से ही अलग-अलग जाति और वर्गों पर   है. पार्टी सूत्रों के अनुसार शाह और पार्टी मैनेजमेंट की ओर से ज्यादा से ज्यादा अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग के सदस्यों को जोडने पर ध्यान देने के  निर्देश हैं. सभी पदाधिकारियों को मैसंज दिए गए हैं कि गृहमंत्री के सदस्यता अभियान के कार्यक्रम में ज्यादा से ज्यादा अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग के सदस्यों को लेकर आएं.  

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क्या होगा शाह के सदस्य जोड़ने का फायदा
शाह के सदस्य जोडने के पैंतरे पर चर्चा है कि आखिर चुनाव के ऐन पहले सदस्य बनाने से क्या मिलेगा. तो पहले आप ये आंकड़े पढ़ लीजिए. 2017 में बीजेपी के प्राथमिक सदस्यों की संख्या एक करोड़ 87 लाख थी, लेकिन इस साल के चुनावी रिजल्ट में पार्टी को कुल 3 करोड़ 60 लाख से ज्यादा वोट मिले तथा वोटो का प्रतिशत 39.67 रहा था. इस हिसाब से शाह ने इस बार टारगेट बढाकर प्राथमिक सदस्यों की संख्या 4 करोड़ करने को कहा है. अगर शाह के इस मास्टर स्ट्रोक को अचीव कर लिया जाता है, तो केवल अंदाजा ही लगाया जा सकता है कि पार्टी कहांं पहुंचेगी.

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चार पहियों पर वोटोंं की फसल  
अमित शाह इस दौर पर घर-घर अभियान रथ की शुरुआत करेंगे. आखिर क्यों रखा गया है, यह रथ अभियान, अब इसे समझिए.   किसान आंदोलन से लेकर लखीमपुर की घटना से बीजेपी के राजनीतिक समीकरण बिगड़ने का खतरा मंडरा रहा है. इस गुस्से को थामने लोगों से प्रत्यक्ष संवाद जरूरी है. इस प्लान के तहत हर घर तक पहुंचाने के लिए हर जिले के लिए अलग-अलग रथ बनाए गए हैं। इन रथों में शक्ति केंद्र प्रभारी, शक्ति केंद्र संयोजक के साथ मंडल अध्यक्ष, मंडल प्रभारी, जिला अध्यक्ष, जिला प्रभारी के साथ बूथ अध्यक्ष और बूथ प्रभारी की ड्यूटी लगााई गई है. ये लाेेग घर-घर जाकर संवाद तो करेंगे ही, साथ ही पार्टी सदस्य की पर्ची काटने के साथ बूथ स्तर तक के नए मेंबर भी बनाते जाएंगे, अब सोचिए इस छोटे से दिखने वाले कदम से कितने लाभ होंगे. खुद अमित शाह आज वृंदावन कॉलोनी से इन रथों को रवाना करेंगे। उन्होंने पार्टी के प्रचार वाहन को भी गांव-गांव भेजने को कहा है. इनमें एलईडी लगी होगी जो सभी जिलों में जाएंगे और सरकार की तमाम योजनाओं से जुड़ी फिल्मों को दिखाया जाएगा. पार्टी सूत्रों के अनुसार बीजेपी इन वाहनों का फोकस केवल उन लोगों पर करेगी जो केंद्र और राज्य की योजनाओं के लाभार्थी रहे हैं, उन्हें पार्टी में शामिल होने के लिए जरूर मनाना है. 

 शाह को क्यों है यूपी की इतनी समझ
पार्टी महासचिव रहने के दौरान अमित शाह यूपी प्रभारी थे, बाद में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। दो लोकसभा और एक विधानसभा चुनाव में वह पार्टी को इस प्रदेश से शानदार जीत दिला चुके हैं. उन्हें यूपी की इन जीतों का मास्टरमाइंड बताया जाता है। 2017 के चुनाव में वह पार्टी को 312 सीटें जिताने में सफल रहे. यूपी की सियासत में इससे पहले सिर्फ तीन बार ही कोई पार्टी 300 से ज्यादा सीटें जीत सकी थी और इनमें से एक बार शाह के बूते पर ही यह संभव हुआ है.

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