हर युद्ध में भारत का दमदार साथी रहा MiG-21 अब कहलाया जाता है 'उड़ता ताबूत', क्यों नहीं किया जा रहा रिटायर?
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand1056092

हर युद्ध में भारत का दमदार साथी रहा MiG-21 अब कहलाया जाता है 'उड़ता ताबूत', क्यों नहीं किया जा रहा रिटायर?

मिग-21 (MiG-21 Bison) क्रैश के इतने केसेस आने के बाद से इसे 'उड़ता ताबूत' (Flying Coffin) नाम से जाना जाने लगा था. यह इकलौता विमान है जिसका ट्रैक रिकॉर्ड (MiG-21 Track Record) बेहद खराब है. हालांकि, इसे उड़ाने वाले पायलट्स (MiG 21 Pilot) आज भी इसे अच्छा फाइटर प्लेन मानते हैं. वहीं, इतिहास में मिग-21 का बहुत बड़ा रोल रहा है...

हर युद्ध में भारत का दमदार साथी रहा MiG-21 अब कहलाया जाता है 'उड़ता ताबूत', क्यों नहीं किया जा रहा रिटायर?

IAF Figter Plane MIG 21: राजस्थान के जैसलमेर में इंडियन एयर फोर्स (Indian Air Force) का फाइटर प्लेन मिग-21 (MiG-21) बाइसन के दुर्घटनाग्रस्त होने से लखनऊ के वीर जवान पायलट विंग कमांडर हर्षित सिन्हा (Harshit Sinha) शहीद हो गए. मालूम हो, यह पहला केस नहीं है जब मिग-21 (Mikoyan-Gurevich (MiG)-21) के क्रैश होने से भारत ने अपने जवान खोए हैं. पहले भी कई बार यही विमान क्रैश हो चुका है. शायद आप जानकर हैरान हो जाएं कि केवल इसी साल में मिग-21 दुर्घटना का यह पांचवा केस है. इसी के साथ यह भी बता दें, कि जबसे मिग-21 को फोर्स में शामिल किया गया है, तबसे 400 से ज्यादा बार इसके एक्सीडेंट की खबरें सामने आई हैं और देश ने 200 से ज्यादा पायलट खोए हैं. 

जैसलमेर में MIG-21 क्रैश में शहीद हुए लखनऊ के वीर जवान हर्षित सिन्हा, आज बैकुंठ धाम में होगा अंतिम संस्कार

लगातार उठ रहे हैं ये सवाल
हर दुर्घटना के बाद मिग-21 की सेफ्टी को लेकर सवाल खड़े किए जाते हैं. हर बार यही पूछा जाता है कि जब यह विमान 60 साल से ज्यादा पुराने हैं, तो अभी तक सर्विस में क्यों हैं? इन फाइटर प्लेन को आजतक क्यों उड़ाया जा रहा है? मिग-21 की जगह कोई और विमान क्यों नहीं लाया जा रहा? इसे तेजस से क्यों नहीं बदला जा रहा? इनमें से किसी भी सवाल के जवाब अभी तक हमारे पास नहीं हैं. 

1963 से फोर्स में है मिग-21
बताया जा रहा है कि साल 1963 में इंडियन एयर फोर्स ने मिग-21 का अपने बेड़े में स्वागत किया था. इन विमानों की कीमत करीब 177 करोड़ रुपये है. इंडिया ने रशिया से 874 सुपरसॉनिक फाइटर प्लेन मिग-21 खरीदे थे. इसके बाद साल 1967 में हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने इसे प्रोड्यूस करना भी शुरू कर दिया. साल 1985 में रशिया ने खुद इसका प्रोडक्शन रोक कर दिया और इस विमान को रिटायर भी कर दिया गया. 

बढ़ रहे कोरोना के आंकड़ें, नोएडा में एक ही दिन में पाए गए 13 नए मरीज, टोटल केस 57

सिर्फ रशिया नहीं, कई देशों में मिग-21 को किया गया रिटायर
गौरतलब है कि रूस के साथ-साथ कई ऐसे देश हैं, जिन्होंने मिग-21 को कई साल पहले रिटायर कर दिया था. लेकिन, इंडिया में आज भी ये विमान प्रयोग में हैं. 1963 में इन विमानों के देश में आने के बाद से ही निर्णय लिया गया था कि साल 1990 में इन्हें रिटायर कर दिया जाएगा. लेकिन, आजतक इसे अपग्रेड कर-करके चलाया जा रहा है. हालांकि, लोगों की मांग है कि जब अपग्रेड के बाद भी इतने हादसे हो रहे हैं, तो इन्हें जल्द से जल्द रिटायर कर दिया जाए.

पायलटों की ट्रेनिंग के लिए मिग-21 का हुआ सबसे ज्यादा इस्तेमाल
मिग-21 लड़ाकू विमानों के बड़ी संख्या में दुर्घटनाग्रस्त होने की एक वजह एयर फोर्स में लंबे समय तक किसी और फाइटर जेट का न शामिल होना भी है. लंबे समय तक एयर फोर्स में कोई नया फाइटर जेट शामिल नहीं किया गया, जिससे पूरा भार मिग-21 पर ही रहा. 1980, 1990 और 2000 के दशक की शुरुआत में पायलटों की ट्रेनिंग के लिए सुपरसोनिक मिग-21 फाइटर जेट को ही इस्तेमाल किया गया. इसी अवधि में इन फाइटर जेट के साथ काफी हादसे भी हुए. वहीं, विशेषज्ञ भी यह लगातार कहते हैं कि पुराने फाइटर प्लेन को हटाने में अगर देरी होती रही तो सुरक्षा की दृष्टि से ये बेहद खतरनाक होता जाएगा.

अतीक अहमद के कब्जे से मुक्त कराई गई जमीन पर बनेंगे गरीबों के आशियाने, सीएम योगी करेंगे भूमि पूजन

'उड़ता ताबूत' नाम से जाना जाता है मिग-21
मिग-21 क्रैश के इतने केसेस आने के बाद से इसे 'उड़ता ताबूत' नाम से जाना जाने लगा था. यह इकलौता विमान है जिसका ट्रैक रिकॉर्ड बेहद खराब है. हालांकि, इसे उड़ाने वाले पायलट्स आज भी इसे अच्छा फाइटर प्लेन मानते हैं. वहीं, इतिहास में मिग-21 का बहुत बड़ा रोल रहा है. मिग-21 ही एक ऐसा प्लेन है जिसे दुनिया के 60 से ज्यादा देशों ने इस्तेमाल किया है और इसी प्लेन के सबसे ज्यादा यूनिट्स (11496 यूनिट्स) भी बनाए गए हैं 

हर लड़ाई में भारत की जीत का साथी रहा है मिग-21
बता दें, मिग-21 भले ही सबसे ज्यादा क्रैश होने वाला प्लेन हो, लेकिन इसने हर युद्ध में भारत का पूरा साथ दिया है. किसी भी वॉर में देश का साथ नहीं छोड़ा. साल 1971 की इंडिया-पाकिस्तान वॉर हो या 1999 का करगिल युद्ध. मिग-21 ने पाकिस्तान के छक्के छुड़ाने के समय कभी भी वीर जवानों को धोखा नहीं दिया.

मालूम हो, बालाकोट ऑपरेशन के दौरान विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ने मिग-21 से ही उड़ान भरी थी और पाकिस्तान के एफ-16 को गिराया था. हालांकि, उस दौरान भी अभिनंदन का प्लेन आग लगने की वजह से क्रैश हो गया था.

WATCH LIVE TV

Trending news