समान नागरिक संहिता पर BJP की तैयारियों से मुस्लिम संगठनों में बेचैनी, AIMPLB के बाद जमीयत उलेमा ए हिन्द करेगी महासम्मेलन
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समान नागरिक संहिता पर BJP की तैयारियों से मुस्लिम संगठनों में बेचैनी, AIMPLB के बाद जमीयत उलेमा ए हिन्द करेगी महासम्मेलन

बीजेपीशासित राज्यों में समान नागरिक संहिता लागू करने की तैयारियों के बीच मुस्लिम संगठनों (Muslim Oganisation) में बेचैनी बढ़ती नजर आ रही है.

Jamiat Ulema-e-Hind Ramleela Maidan

Jamiat Ulema-e-Hind on Uniform Civil Code: बीजेपीशासित राज्यों में समान नागरिक संहिता लागू करने की तैयारियों के बीच मुस्लिम संगठनों (Muslim Oganisation) में बेचैनी बढ़ती नजर आ रही है. मुस्लिमों के धार्मिक और निजी मामलों में दखलंदाजी की मुखालफत करने वाले  इस्लामिक संगठनों ने अपनी रणनीति को धार देना शुरू कर दिया है. यही वजह है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Board) के बाद मौलाना अरशद मदनी दिल्ली में दो दिन का बड़ा जलसा कर रहे हैं. इसमें कॉमन सिविल कोर्ड, मुस्लिमों में तलाक, हेट स्पीच जैसे तमाम मुद्दों पर रणनीति तय की जानी है.

रामलीला मैदान में सम्मेलन
मुस्लिम उलेमाओं के संगठन जमीयत उलमा ए हिंद का दिल्ली के रामलीला मैदान (Ramleela Maidan) में ये जलसा 11 और 12 फरवरी को चलेगा. इस सम्मेलन में जमीयत से जुड़े उलमा कॉमन सिविल कोड, तलाक, मुस्लिमों की सामाजिक आर्थिक स्थिति और उनके उत्पीड़न से जुड़े मुद्दों पर राय मशविरा करेंगे. 

मुस्लिम संगठनों के बीच आशंका है कि मध्य प्रदेश, कर्नाटक जैसे 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव और अगले साल लोकसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी समान नागरिक संहिता के एजेंडे को पूरा करने की ओर कदम उठा सकती है.जैसे कि उसने धारा 370, राम मंदिर समेत तमाम बड़े मुद्दों पर करके दिखाया है. ऐसे में मुस्लिम संगठनों में गोलबंदी शुरू हो गई है. पिछले हफ्ते 5 फरवरी को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की लखनऊ नदवा में बड़ी बैठक हुई थी. इसमें एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी समेत तमाम बड़े मुस्लिम नेता शामिल हुए थे.

उत्तराखंड में समिति का गठन
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के लिए समिति बनाई जा चुकी है,जिसकी रिपोर्ट के आधार पर पुष्कर सिंह धामी सरकार इसे लागू कर सकती है. माना जा रहा है कि पार्टीशासित राज्यों में इसे लागू कराके बीजेपी इसके विरोध के स्तर का अंदाजा लगा सकती है, ताकि धीरे धीरे इसे राष्ट्रीय स्तर पर गोवा की तरह लागू किया जा सके. 

 

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