महंत नरेंद्र गिरी मौत मामला: बड़े हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी और उनके पुत्र को पुलिस ने हिरासत में लिया
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महंत नरेंद्र गिरी मौत मामला: बड़े हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी और उनके पुत्र को पुलिस ने हिरासत में लिया

 अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी प्रयागराज के अल्लापुर स्थित बाघंबरी मठ स्थित आवास में संदिग्ध परिस्थितियों में फांसी पर लटके मिले. इस बीच ने पुलिस लेटे हुए हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी आद्या तिवारी और उनके पुत्र संदीप तिवारी को हिरासत में लिया है. 

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी प्रयागराज के अल्लापुर स्थित बाघंबरी मठ स्थित आवास में संदिग्ध परिस्थितियों में फांसी पर लटके मिले.

मोहम्मद गुफरान/प्रयागराज: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी प्रयागराज के अल्लापुर स्थित बाघंबरी मठ स्थित आवास में संदिग्ध परिस्थितियों में फांसी पर लटके मिले. पुलिस ने सूचना मिलते ही बाघंबरी मठ को सीज कर दिया. आला अधिकारी मौके पर पहुंचे और मुआयना किया. पुलिस को कमरे से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ है, जिसमें आनंद गिरी पर परेशान करने का आरोप है और वसीयत की जानकारी दी गई है. पुलिस का इस संबंध में कहना है कि जांच चल रही है, उसके बाद ही स्थिति को साफ किया जा सकेगा. 

बड़े हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी और उनके पुत्र हिरासत में 
इस बीच ने पुलिस लेटे हुए हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी आद्या तिवारी और उनके पुत्र संदीप तिवारी को हिरासत में लिया है. सुसाइड नोट में संदीप तिवारी और उनके पिता आद्या तिवारी पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है. आपको बता दें कि महंत नरेंद्र गिरी त्रिवेणी संगम स्थित बड़े हनुमान मंदिर के मुख्य व्यवस्थापक भी थे. खबरें चलीं ​कि आनंद गिरी को भी हिरासत में लिया गया है, लेकिन उन्होंने मीडिया से बातचीत में इसका खंडन किया है. महंत नरेंद्र गिरी के शिष्य आनंद गिरी का कहना है कि गुरु जी की मौत के पीछे बहुत बड़ा षडयंत्र है. इसमें वे लोग शामिल हैं जो गुरु जी से पैसे हड़पना चाहते थे, उन्होंने ही फर्जी सुसाइड नोट लिखा है और उसमें मेरे ऊपर आरोप लगाए हैं.

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आनंद गिरी ने हत्या की आशंका जताई, गहन जांच की मांग की
आनंद गिरी ने कहा है कि इस केस की गहन जांच बेहद जरूरी है. गुरु जी ने अपने जीवनकाल में कभी एक शब्द नहीं लिखा, वह आत्महत्या नहीं कर सकते. सुसाइड नोट में लिखी हैंडराइटिंग की जांच होनी चाहिए. मैंने बाघंबरी मठ में अपनी अब तक की जिंदगी गुजारी है और इस दौरान कभी एक पैसा वहां से नहीं लिया. मेरे और गुरु जी के बीच सबकुछ ठीक था, मैं सरकार से अपील करता हूं कि वह इस घटना की विस्तृत जांच कराए. फोरेंसिक टीम और फील्ड यूनिट बाघंबरी मठ पहुंची और मौके से साक्ष्य जुटाया.

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पोस्टमार्टम के बाद स्पष्ट होगा कि नरेंद्र​ गिरी की मौत कैसे हुई
महंत नरेंद्र गिरी का हाल ही में अपने शिष्य आनंद गिरी के साथ हुआ विवाद चर्चा में था. हालांकि वह विवाद आनंद गिरी के माफी मांगने के बाद खत्म हो गया था, लेकिन मठ और मंदिर में आनंद का प्रवेश नहीं हो पाया था. इसके अलावा अन्य कोई विवाद सामने नहीं आया था. मामले की जांच कर रहे अधिकारियों का कहना है कि सभी बिंदुओं पर जांच की जा रही है. आईजी केपी सिंह ने बताया कि महंत नरेंद्र गिरी का शव फांसी पर लटका मिला था. पोस्टमार्टम के बाद ही स्पष्ट होगा कि उनकी मौत कैसे हुई. 

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सुसाइड नोट में आनंद​ गिरी पर प्रताड़ित करने का आरोप लगा
पुलिस अधिकारियों ने मठ के सेवादारों से पूछताछ की है. सोमवार सुबह से ही मठ आने और जाने वालों की सूची भी मांगी गई है. महंत नरेंद्र गिरी के मोबाइल नंबर की भी जांच की जा रही है. उत्तर प्रदेश के एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार का कहना है कि शव को महंत नरेंद्र गिरी के अनुयायियों द्वारा दरवाजा तोड़ कर फंदे से उतारा गया है. सुसाइड नोट मिला है जिस पर महंत के शिष्य आनंद गिरी की प्रताड़ना से परेशान होकर यह कदम उठाने की बात लिखी है.

जानें महंत नरेंद्र गिरी और उनके शिष्य के बीच क्या था विवाद
निरंजनी अखाड़े से निष्कासित योग गुरु आनंद गिरी और अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरी के बीच मठ-मंदिरों की जमीनों को लेकर घमासान काफी सुर्खियों में रहा. आनंद गिरी ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री को पत्र भेजकर अखाड़े के विवाद की जानकारी दी थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि शहर के कीडगंज स्थित गोपाल मंदिर भी आधा बेच दिया गया है. मठ और मंदिर की बेची गई जमीनों के करोड़ों रुपये के दुरुपयोग की उच्चस्तरीय जांच कराई जानी चाहिए. साथ ही उन्होंने संगम स्थित बड़े हनुमान मंदिर के लाखों रुपये के चढ़ावे और प्रसाद से होने वाली बेहिसाब आमदनी की भी जांच कराने की मांग थी. यह विवाद काफी दिनों तक चला लेकिन आनंद गिरी ने गुरु पुर्णिमा के दिन महंत नरेंद्र गिरी से माफी मांगकर इसे समाप्त कर दिया था. दोनों के बीच विवाद को सुलझाने का काम लखनऊ के एक अधिकारी ने किया था.

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