निकाय चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों के साथ ही शासन स्तर पर भी काफी हलचल देखने को मिल रही है. खास तौर पर आरक्षण प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जा रहा है. इससे कई सीटों के समीकरण बदलना तय है.
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अजीत सिंह/लखनऊ: निकाय चुनाव को लेकर शासन स्तर पर तैयारियां को अंतिम रूप दिया जा रहा है. सरकार की ओर से 4 नवंबर तक वार्डों के आरक्षण तय करने की सीमा निर्धारित कर दी गई है. नवंबर के पहले सप्ताह में प्रदेश के सभी जिला अधिकारी अपने जिले के निकाय क्षेत्रों के वार्डों का आरक्षण तय करने के लिए सूचना देंगे. सीटों के आरक्षण को लेकर चक्रानुक्रम के आधार पर ही कराया जाएगा. जानकारी के मुताबिक नवंबर के दूसरे हफ्ते में इस पर काम शुरू कर दिया जाएगा क्योंकि निकाय चुनाव की समय सीमा नवंबर और दिसंबर है.
दिसंबर से पहले उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव होगा. निर्वाचन आयोग की तरफ से निकाय चुनाव की तैयारी को लेकर मुख्य सचिव से भी जवाब मांगा गया था जिसको लेकर सरकार की तरफ से तैयारियां पूरा करने का भरोसा भी दिया गया है. पिछली कैबिनेट में कई सारे नगर पंचायतों के पुनर्गठन का ऐलान किया गया और कुछ का सीमा विस्तार किया गया है, जिसको लेकर अब काम चल रहा है.
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चक्रानुक्रम प्रक्रिया से होगा आरक्षण
चक्रानुक्रम का मतलब होता है जहां पर सामान्य सीट होगी यानी अनारक्षित होगी, वह आरक्षित हो सकती है. जहां ओबीसी थी वह सामान्य या फिर आरक्षित हो सकती है. पिछड़ा वर्ग या फिर दलित वर्ग के लिए इसका अर्थ होता है सीटों में फेरबदल.वार्डों का आरक्षण करते हुए इसकी जानकारी तीन सेटों में सॉफ्ट कॉपी के साथ चार नवंबर तक शासन को भेजी जानी है. मिली जानकारी के मुताबिक सीमा विस्तारित होने पर या नये वॉर्ड बनने पर यदि 50 प्रतिशत से अधिक संख्या बढ़ती है तो नया मानते हुए इसके लिए भी रिजर्वेशन तय किया जाएगा. जनसंख्या के मुताबिक पहले अनुसूचित जनजाति की महिला के लिए रिजर्वेशन किया जाएगा. वहीं पुराने वॉर्डों में चक्रानुक्रम सिस्टम से ही आरक्षण तय होगा. मिली जानकारी के मुताबिक मतदाता सूची पुनरीक्षण का 31 अक्टूबर से शुरू होगा. 31 अक्टूबर को वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट पब्लिश होगा. वहीं वोटर लिस्ट का अंतिम प्रकाशन की तारीख 18 नवंबर तक रखी गई है.