UP Chunav 2022: जिले की राजनीति में रामपुर रियासत की हनक 73 साल बाद भी कम नहीं हुई है... भले ही सपा के कद्दावर नेता आजम खां ने नवाब परिवार का वर्चस्व तोड़ने की तमाम कोशिशें कीं लेकिन, नवाब खानदान का कुछ नहीं बिगाड़ा..आज आजम खान जेल में बंद है और बेटा सियासी आंसू बहा रहा है..
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रामपुर: यूपी के रामपुर (Rampur) में नवाब परिवार और आजम खान (Azam Khan) के परिवार में फिल्मी अंदाज में सियासत की सियासी जंग शुरू हो चुकी है. इस बार की लड़ाई आजम खान के परिवार और नवाबों के परिवार के बीच में हैं. कांग्रेस नेता नवाब काजिम अली खां उर्फ नावेद मियां ने सपा नेता आजम खान के बेटे अब्दुल्लाह आजम के रोने पर बड़ा तंज कसा है. इस खबर में हम आपको बताते हैं रामपुर में नवाबों की हनक और रियासत के बारे में.. औऱ जानते हैं इस सीट से आजम खान का कैसा रहा दबदबा..
अब वो खुद रो रहा है, उसके बाप ने जुल्म किया
अब्दुल्ला के रोने पर नावेद मियां ने कहा पांच साल लोगों को रूलाया अब बो खुद रो रहा है. उन्होंने कहा कि बाप जेल में है तो बेटा परेशान होगा ही. मां और बाप का दर्द दो होता ही है. अपने बाप पर जो गुजर रही है तो बेटा परेशान होगा ही. इस बात की खुशी है कि इस बात का अहसास तो हुआ कि जिन लोगों के ऊपर उसके बाप ने जुल्म किए कैसे उसके बच्चे कैसे तड़पे होंगे. आज वो खुद रोया है. पांच साल लोगों को रूलाया आज वो खुद रोया. हर इंसान का इंसाफ इसी दुनिया में होता है.
नावेद मियां के बेटे हमजा ने छोड़ी कांग्रेस
वहीं कांग्रेस को रामपुर में एक और जोरदार झटका लगा है. स्वार-टांडा विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी हैदर अली खान उर्फ हमजा मियां ने पार्टी छोड़ने के साथ ही अपना दल की सदस्यता ले ली है. वहीं भाजपा ने आकाश सक्सेना उर्फ हनी को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है.
कौन हैं नावेद मियां?
नवाब परिवार की परंपरागत सीट रामपुर
रामपुर सीट नवाब परिवार की परंपरागत सीट मानी जाती है, यहां से नावेद मियां चार बार विधायक रहे हैं. लेकिन 2017 में आजम खान के बेटे के आगे मात खा गए. ऐसे में अब उनकी राजनीतिक पारी को लेकर नवाब काजिम अली खान उर्फ नावेद मियां के बेटे हमजा की सियासी एंट्री हुई है. ऐसे में रामपुर की सियासत में अब सिर्फ नवाब परिवार ही नहीं बल्कि आजम खान की अपनी सियासत है.
जुल्फिकार अली खान उर्फ मिकी मियां का था दबदबा
रामपुर के नवाब परिवार से सबसे पहले जुल्फिकार अली खान उर्फ मिकी मियां ने राजनीति में कदम रखा और कांग्रेस से राजनीतिक पारी की शुरुआत की. वह 1967 में रामपुर से संसद में पहुंचे. वो इतने लोकप्रिय थे कि कोई अगर उनके खिलाफ कुछ बोलता तो जनता उसके खिलाफ खड़ी हो जाती थी. वह रामपुर से पांच बार सांसद रहे, 1977 में उन्हें हार मिली. हालांकि, इसके बाद फिर जीते.1991 में उनका निधन हो गया.
इसके बाद उनकी राजनीतिक विरासत संभालने के लिए पत्नी नूरबानो आगे बढ़ी और वह रामपुर से दो बार सांसद चुनी गईं. नूरबानो सियासत में राष्ट्रीय राजनीति करती रही हैं तो उनके बेटे नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां ने स्वार-टांडा सीट को कर्मभूमि बना लिया. यहां से वह कांग्रेस से लेकर बहुजन समाज पार्टी तक के विधायक रहे. लेकिन आजम खान के बेटे के आगे मात खा गए. 2017 के विधानसभा चुनाव में आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम खान ने सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और नवाब परिवार के नावेद मियां को करारी मात दी थी.
कौन है अब्दुल्ला आजम ?
सपा के कद्दावर नेता आजम खान के बेटे हैं अब्दुल्ला आजम. अब्दुल्ला ने साल 2017 में स्वार सीट से सपा के टिकट पर जीत हासिल की थी. लेकिन बीजेपी नेता आकाश सक्सेना ने उनकी जन्मतिथि पर सवाल उठाते हुए मुकदमा किया था. फर्जी प्रमाणपत्र के मामले में हाईकोर्ट ने उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी थी.अब्दुल्ला आजम को बीते हफ्ते जमानत मिली है और वो जेल से बाहर हैं. आजम खान के चुनाव लड़ने की खबर के बाद यूपी की सियासत में हलचल मच गई.
पिता का जिक्र करते रो पड़े अब्दुल्लाह आजम
सूत्रों के मुताबिक सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अब्दुल्लाह आजम को रामपुर की सभी 5 विधानसभा सीटों के लिए समाजवादी पार्टी के सिंबल दे दिए हैं और बताया ये भी जा रहा है कि अब्दुल्लाह आजम स्वार विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे तो वहीं सीतापुर जेल में बंद मोहम्मद आजम खान भी अपनी परंपरागत सीट रामपुर शहर विधानसभा से चुनाव लड़ेंगे. रामपुर में 23 महीने बाद जमानत पर जेल से रिहा होकर आये अब्दुल्ला आजम खान (Abdullah Azam Khan Cries) ने पहली बार कार्यकर्ताओं के साथ वर्चुअल मीटिंग की. इस दौरान अब्दुल्ला आजम जेल में बंद अपने पिता आजम खान का जिक्र करते हुए भाषण देते हुए रो पड़े.
आजम की छात्र राजनीति के जरिए एंट्री
आजम खान ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति के जरिए सियासी कदम रखा और आपातकाल में जेल जाकर राजनीतिक पहचान हासिल की. इसके बाद पहला चुनाव लड़े औऱ हारे. आजम खान ने 90 के दशक में खुद को मुसलमानों के नेता के तौर पर स्थापित किया. नवाब परिवार के विरोधी के तौर पर खुद को आजम खान ने स्थापित किया. आजम को नवाबों से इतनी खुन्नस थी कि सपा शासन में जब वह कैबिनेट मंत्री थे तो नवाबों के बनवाए तमाम गेट उन्होंने तुड़वा दिए. आजम खान रामपुर शहर विधानसभा सीट से 9 बार विधायक रह चुके हैं और अभी रामपुर लोकसभा सीट से वह सांसद हैं और पिछले 23 महीनों से सीतापुर की जेल में वह बंद हैं.
समाजवादी पार्टी से जुड़े सूत्रों से खबरें मिली हैं कि सीतापुर जेल में बंद आजम खान रामपुर की शहर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. जबकि उनके बेटे अब्दुल्ला आजम रामपुर जिले की ही स्वार सीट से चुनावी मैदान में उतरेंगे.
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