संभल में मौजूद है देश का सबसे बड़ा और अनूठा निजी म्यूजियम, अमिताभ बच्चन भी कर चुके हैं तारीफ
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संभल में मौजूद है देश का सबसे बड़ा और अनूठा निजी म्यूजियम, अमिताभ बच्चन भी कर चुके हैं तारीफ

Sambhal News: चंदौसी के पुरातत्वविद और इतिहासकार स्व. सुरेंद्र मोहन मिश्र का निजी म्यूजियम भारत का हजारों साल का इतिहास समेटे हुए है. 

संभल में मौजूद है देश का सबसे बड़ा और अनूठा निजी म्यूजियम, अमिताभ बच्चन भी कर चुके हैं तारीफ

सुनील सिंह/संभल: उत्तर प्रदेश के संभल जनपद के चंदौसी के पुरातत्वविद और इतिहासकार स्व. सुरेंद्र मोहन मिश्र का निजी म्यूजियम भारत के कई हजार वर्षों का गौरवशाली इतिहास समेटे हुए है. सुरेंद्र मोहन मिश्र के इस अद्भुत निजी म्यूजियम में हजारों वर्ष प्राचीन गुप्तकाल, शुंगकाल, कुषाण काल, मौर्य काल, हड़प्पा काल के भारत के इतिहास का संग्रह मौजूद है. सदी के महानायक अमिताभ बच्चन भी पत्र लिखकर उनके इस म्यूजियम की तारीफ कर चुके हैं. पुरातत्वविद सुरेंद्र मोहन मिश्र अब इस दुनिया में नहीं हैं. उनके बेटे अतुल मिश्र अपने पिता के इस अनूठे और अनमोल संग्रहालय की विरासत को सहेजे हुए हैं.

देश का सबसे बड़ा और अद्भुत निजी म्यूजियम
इंडियन जर्नल आफ आर्कियोलॉजी ने भी अपने सर्वे को देश का सबसे बड़ा और अद्भुत निजी म्यूजियम बताया है. इस अनूठे और अद्भुत म्यूजियम में महाभारत कालीन हस्तलिखित दुर्लभ ग्रंथ, ताम्र युगीन मुद्रा, ताम्र फलक, प्रस्तर प्रतिमा, मनके, मानवकृतियां और 4 हजार वर्ष पुराने शतरंज के चतुरंगी मोहरे भी मौजूद हैं. इसके अलावा डेढ़ हजार साल पुराने गुप्तकाल की भगवान कार्तिकेय की मूर्ति, उत्तर गुप्त काल की नंदी की मूर्ति समेत बड़ी संख्या में ऐसी प्राचीन धरोहर का संग्रह है, जिनसे भारत के गौरवशाली इतिहास की जानकारी मिलती है. 

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बिग बी ने की थी दिल्ली में म्यूजियम स्थापित करने की मांग
सदी के महानायक फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन भी पत्र लिखकर सुरेंद्र मोहन मिश्र के इस निजी म्यूजियम के तारीफ कर चुके हैं. अमिताभ बच्चन ने तत्कालीन शिक्षा मंत्री केसी पंत को पत्र लिखकर इस निजी म्यूजियम को अनमोल धरोहर बताते हुए दिल्ली में संग्रहालय स्थापित किए जाने की मांग भी की थी. इस अनूठे म्यूजियम को संभालने वाले प्रख्यात लेखक और इतिहासकार अतुल मिश्र भी सरकार से कई बार पिता म्यूजियम स्थापित करने की मांग कर चुके हैं. लेकिन कई वर्ष बीतने के बावजूद इस अनमोल धरोहर को सहेजे जाने के लिए सरकार की ओर से अभी तक कोई प्रयास सामने नहीं आया है. 

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