GRP Sipahi Rohit Kumar: जीआरपी सिपाही रोहित कुमार ने अपने चार साल की ड्यूटी में कुछ ऐसे काम किए थे, जिनकी वजह से वह गांव के हर घर का हिस्सा बन गए थे. रोहित कुमार के किस्से जिसने भी सुने वह भावुक हो गया. पढ़ें खबर-
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Unnao GRP Sipahi Rohit Kumar Vidai: उत्तर प्रदेश के उन्नाव से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे पढ़कर आपका दिल भी भर जाएगा. उन्नाव के कोरारीकला रेलवे स्टेशन पर तैनात जीआरपी सिपाही रोहित कुमार का असर पूरे गांव पर ऐसा पड़ा कि जैसे ही उनके ट्रांसफर की खबर आई, ग्रामीण फूट-फूटकर रोने लगे. सिपाही रोहित कुमार इस गांव के बच्चों के हीरो कहे जाते हैं. जब उनकी तैनाती यहां हुई थी तो रोहित को गरीब बच्चों से दोस्ती करने में ज्यादा समय नहीं लगा. कुछ ही समय में यह मित्रता इतनी गहरी हो गई कि जब रोहित का ट्रांसफर ऑर्डर आया तो बच्चों के साथ सभी गांव वाले रो पड़े... इतना ही नहीं, धूम-धाम से बैंड बाजे के साथ सिपाही रोहित कुमार को विदा किया गया.
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बच्चों को भीख मांगते देखा, तो लिया यह फैसला
दरअसल, रोहित ने काम ही कुछ ऐसे किए थे कि वह सभी गांव वालों के घर का हिस्सा बन गए थे. जिनसे भी रोहित कुमार के काम के किस्से सुने, सभी भावुक हो गए. दरअसल, स्टेशन पर भीख मांगने वाले बच्चों को शिक्षित करने की जीआरपी सिपाही रोहित कुमार ने ठानी थी. रोहित कुमार ने देखा कि यहां के बच्चे भीख मांगते हैं, तो उन्होंने इधर-उधर भटकते बच्चों को पकड़ा और अपने पैसे से कॉपी-पेन दिलाया. साथ ही, उन्हें पढ़ाना भी शुरू किया.
यहां देखें सिपाही की विदाई का वीडियो
चार साल बाद हुआ रोहित कुमार का ट्रांसफर
बताया जा रहा है कि रोहित कुमार लॉकडाउन के दौरान भी बच्चों को पढ़ाते थे. यह देखकर गरीब बच्चे खुद ही पढ़ने के लिए आगे कदम बढ़ाने लगे. इतना ही नहीं, रोहित ने अपने पैसे से बच्चों के लिए टीचर्स भी रखे. अब करीब चार साल बाद रोहित का ट्रांसफर हुआ तो हर कोई भावुक हो गया.
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2018 से बच्चों को पढ़ा रहे सिपाही रोहित कुमार
रोहित कुमार 2005 बैच के सिपाही हैं. साल 2018 के जून में उनका तबादला झांसी सिविल पुलिस से लखनऊ जीआरपी में हो गया. जीआरपी में आने के बाद उन्हें उन्नाव के कोरारी रेलवे स्टेशन पर तैनाती मिली. ड्यूटी के दौरान रोहित ने भीख मांगते बच्चों को देखा और उनके लिए अपने दिल में जगह बना ली. उन्होंने जब बच्चों के परिवार वालों से उनकी पढ़ाई की बात की तो उन्होंने अनसुना कर दिया. इसके बाद रोहित ने खुद ही बच्चों को पढ़ाने का फैसला लिया और पांच बच्चों से शुरुआत की.
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