बनने से पहले ही बिखर गया 10 दलों का मोर्चा? ओवैसी-शिवपाल को नागवार गुजरी अखिलेश-राजभर की यारी
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बनने से पहले ही बिखर गया 10 दलों का मोर्चा? ओवैसी-शिवपाल को नागवार गुजरी अखिलेश-राजभर की यारी

UP Assembly Election 2022: ओम प्रकाश राजभर ने पहले ओवैसी और शिवपाल को गले लगाया, 10 दलों का भागीदारी संकल्प मोर्चा बनाया और ऐन मौके पर अखिलेश की साइकिल पर सवार हो गए...

बनने से पहले ही बिखर गया 10 दलों का मोर्चा? ओवैसी-शिवपाल को नागवार गुजरी अखिलेश-राजभर की यारी

लखनऊ:  उत्तर प्रदेश में 2022 (UP Assembly Election 2022) में होने वाले विधानसभा चुनाव के समीकरण हर दिन बदलते रहते हैं. कुछ समय पहले यूपी में नई राजनीति की शुरुआत बताकर जो भागीदारी संकल्प मोर्चा (Bhagidari Sankalp Morcha) बनाया गया था, अब ज्यादा आगे जाता नहीं दिख रहा है. कारण है इस मोर्चे को बनाने वाले और इसके अगुआ की तरह खुद को पेश करते रहे ओम प्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) की सपा अध्यक्ष (Samajwadi Party) अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) से नजदीकी.

  1. खतरे में भागीदारी संकल्प मोर्चा
  2. ओवैसी और शिवपाल नहींं आएंगे मऊ पंचायत में
  3. मोर्चा के दो मजबूत स्तंभ माने जाते हैं शिवपाल और असदुद्दीन

अखिलेश ने  राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (Suheldev Bharatiya Samaj Party) के गठन के 19 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में 27 अक्टूबर को होने जा रही मऊ महापंचायत (Mau Mahapanchayat) में शामिल होने का फैसला क्या लिया, इसके बाद राजभर के भागीदारी संकल्प मोर्चा के दो बड़े और महत्वपूर्ण साथियों शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) और असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने इसमें न आने का निर्णय ले लिया है. इन दोनों का यह रुख इस मोर्चे के भविष्य के प्रति बहुत बड़ी अनिश्चितता पैैदा कर रहा है. 

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कैसे बन गईं दूरियां
कभी भाजपा के साथी रहे और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे राजभर ने भाजपा से दामन छुडाने के बाद इस मोर्चे को बनाया था. उनके साथ ऑल इंडिया मजलिस-ए- इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदउद्दीन ओवैसी, भीम आर्मी वाले चंद्रशेखर (Bhim Army Chief Chandrekhar Azad) और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (Pragatisheel Samajwadi Party) के कर्ताधर्ता शिवपाल सिंह यादव भी साथ आए और इन सबने  मिलकर भागीदारी संकल्प मोर्चा बनाया. शुरू में इस मोर्चे से जुड़े दलों ने काफी दावे किए.

भाजपा को चित करने की बातें कहीं, पर इसी बीच कुछ समीकरण बदलने लगे. राजभर ने समाजवादी पार्टी के साथ अंदरखाने बातें शुरू कीं, नजदीकी बढ़ाईं और देखते ही देखते इसका परिणाम भी सामने आया कि एक दिन लखनऊ में अखिलेश से मुलाकात के बाद उन्होंने अपनी पार्टी का समर्थन सपा को देने की बात कह दी. 

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अपनी पार्टी के गठन के 19 वर्ष पूरे होने के अवसर पर मऊ में महापंचायत कार्यक्रम करने का उनका विचार था ही, तो लगे हाथ आज होने वाली इस महापंचायत में उन्होंने अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को भी आमंत्रित कर डाला. यह भी चर्चा है कि आज की इस रैली के मंच से अखिलेश और राजभर विधानसभा चुनाव साथ लड़ने का औपचारिक एलान करेंगे. इस बात की चर्चा उन्होंने अपने अन्य साथियों से की या नहीं इसकी कोई जानकारी मीडिया में नहीं आई है, पर इसका उल्टा प्रभाव स्पष्ट तौर पर देखने में जरूर आया है.

उनके इस मोर्चे के दो सबसे मजबूत पिलर ओवैसी और शिवपाल सिंह यादव, राजभर द्वारा अखिलेश को बुलाने पर बिदक गए हैं, और राजभर के इस कार्यक्रम से खुद को दूर कर लिया है. ओवैसी और शिवपाल का अखिलेश के साथ पहले ही 36 का आंकड़ा है, तो इन दोनों को राजभर की अखिलेश से नजदीकी कुछ खास पसंद नहीं आई. ओवैसी और शिवपाल ने के मऊ महापंचायत से अलग होने का अभी तक यही सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है. 

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ओवैसी ने तो बुधवार के अपने कार्यक्रम दो-तीन दिन पहले ही डिसाइड कर लिए थे, वह इस दिन जी मीडिया ग्रुप के कार्यक्रम में शामिल होंगे और मुजफ्फरपुर भी जाएंगे. शिवपाल ने बता दिया है कि वह बरेली में अपनी रथयात्रा यात्रा का रथ लेकर पहुंचेंगे. बात इन दोनों तक ही सीमित होती तो काफी था, पर अब लग रहा है कि ओवैसी और शिवपाल के बाद भीम आर्मी के चंद्रशेखर भी इस मोर्चे में बने रहने को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं दिख रहे. अब यदि तीन बड़े स्तंभों का यह रवैया रहा तो फिलहाल इस मोर्चे का कोई औचित्य नजर नहीं आता है.

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