उत्तराखंड: संकट में वह सौ साल पुराना पेड़ जिसके जरिए हुआ था आदमखोर तेंदुए का अंत
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उत्तराखंड: संकट में वह सौ साल पुराना पेड़ जिसके जरिए हुआ था आदमखोर तेंदुए का अंत

गुलाबराय में आम के विशाल वृक्ष के नीचे उस स्थान पर एक छोटा सा पार्क भी बनाया गया है जहां कार्बेट की गोलियों का शिकार होकर आदमखोर तेंदुआ गिरा था. 

जिम कार्बेट ने इसी पेड़ पर मचान बांधकर उस तेंदुए का अंत किया था.

रूद्रप्रयाग: बदरीनाथ और केदारनाथ धाम जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर गुलाबराय क्षेत्र में आम का एक पुराना पेड़ है. कहने को तो यह बाकी पेड़ों जैसा ही है, लेकिन इसके साथ तकरीबन सौ साल पुराना एक किस्सा जुड़ा है कि एक आदमखोर तेंदुए ने इलाके में आतंक मचाया था और जिम कार्बेट ने इसी पेड़ पर मचान बांधकर उस तेंदुए का अंत किया था.

उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालयी क्षेत्र में मंदाकिनी और अलकनंदा नदियों के खूबसूरत संगम पर बसा रूद्रप्रयाग पर्यटकों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करता है, लेकिन इस जगह के सुंदर नजारों में एक आदमखोर तेंदुए के आतंक की डरावनी कहानियां भी छिपी हैं जिसने आज से 95 साल पहले इस क्षेत्र में कहर बरपाया था और शिकारी से वन्यजीव संरक्षक बने जिम कार्बेट को तेंदुए से लोगों को निजात दिलाने के लिए कडी मेहनत करनी पड़ी थी.

गुलाबराय में आम के विशाल वृक्ष के नीचे उस स्थान पर एक छोटा सा पार्क भी बनाया गया है जहां कार्बेट की गोलियों का शिकार होकर आदमखोर तेंदुआ गिरा था. पार्क में कार्बेट का एक बुत भी है. इस पार्क और वृक्ष के अस्तित्व पर अब संकट मंडरा रहा है और ये क्षेत्र में शीघ्र शुरू होने वाली आल वेदर चार धाम परियोजना के दायरे में आ सकते हैं. रूद्रप्रयाग के उपजिलाधिकारी बृजेश कुमार तिवारी ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि अगर आल वेदर परियोजना बनायी जायेगी तो यह पार्क और वृक्ष भी हटेंगे. संरक्षणवादी और स्थानीय लोग इसका विरोध कर रहे हैं.

आदमखोर तेंदुए को मारने में कार्बेट के सहयोगी की भूमिका निभाने वाले ईश्वरीदत्त देवली के छोटे भाई भोलादत्त देवली के पोते प्रकाश देवली ने कहा, 'हम इस पेड़ को हटाये जाने का विरोध कर रहे हैं. हमने जिलास्तरीय अधिकारियों से इस संबंध में बात की है और अनुरोध किया है कि इस पेड़ और पार्क को न हटाया जाये. दुनिया भर में अपने आतंक के कारण कुख्यात हुए आदमखोर तेंदुए ने अपने ज्यादातर शिकार गुलाबराय में ही किये थे.

रूद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल कहते हैं कि पार्क और पेड़ दोनों को ही संरक्षित करने के प्रयास किये जायेंगे. उन्होंने कहा, 'हम इस संबंध में इंजीनियरों से बातचीत करेंगे और देखेंगे कि इस पेड़ और पार्क को कैसे बचाया जा सकता है. पर्यावरणविद भी पार्क और पेड़ को बचाने की मुहिम में साथ दिखायी दे रहे हैं. यहां स्थित स्वयं सेवी संस्था 'हैस्को' के संस्थापक पदमश्री अनिल जोशी ने कहा कि ये सब हमारी मजबूत सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है और इन्हें बचाया जाना चाहिए.

समय के थपेड़ों को झेलता आम का वह विशाल वृक्ष आज भी मजबूती से खड़ा है जिस पर मचान बनाकर जिम कार्बेट ने दो मई, 1926 को उस कुख्यात तेंदुए का अंत किया था. आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, इस तेंदुए ने आठ साल तक रूद्रप्रयाग तथा आसपास के क्षेत्रों में आतंक मचाकर 125 लोगों को अपना निवाला बनाया था. 

अब पार्क और कार्बेट के बुत का प्लेटफार्म दोनों खराब हालत में हैं और उस तक जाने वाली सीढियों की टाइल्स भी टूट-फूट गयी हैं. पार्क में पडी खाली बोतलें और कूडा इस ऐतिहासिक धरोहर को सहेजने में लापरवाही के सुबूत हैं. इस पार्क और आम के वृक्ष का संरक्षण रूद्रप्रयाग के वन अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र में आता है लेकिन इस संबंध में उनका कहना है कि उनके पास पार्क की मरम्मत के लिये पर्याप्त धन नहीं है.

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