अब योगी सरकार एक प्राधिकरण का गठन करेगी, जिसमें संबंधित देशों की कंपनियों को रजिस्ट्रेशन कराना होगा. यहां रजिस्ट्रेशन से पहले इन कंपनियों को रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय से जरूरी अनुमति लेनी होगी. इसके बाद ही रजिस्ट्रेशन होगा.
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लखनऊ: लद्दाख में भारत-चीन सीमा (Line of Actual Control) पर जारी तनाव के बीच उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने ड्रैगन के खिलाफ सख्त फैसला लिया है. अब चाइनीज कंपनियां उत्तर प्रदेश के किसी सरकारी प्रोजेक्ट में सीधे टेंडर नहीं डाल पाएंगी. योगी सरकार ने इस संबंध में सभी सरकारी विभागों को आदेश जारी कर दिया है. योगी सरकार ने अपने आदेश में चीन के अलावा भारत के साथ सीमा साझा करने वाले कुछ अन्य देशों की कंपनियों को भी टेंडर प्रक्रिया में शामिल होने से प्रतिबंधित किया है. लेकिन असली निशाना चीन ही है.
अब टेंडर प्रक्रिया में शामिल होने के लिए पहले प्राधिकरण में कराना होगा रजिस्ट्रेशन
यूपी के जॉइंट सेक्रेटरी (वित्त) संजय कुमार मिश्र ने बताया कि राज्य के सभी विभागों के प्रमुख को 26 अगस्त को आदेश जारी किया गया था. पब्लिक सेक्टर, स्थानीय बॉडी, राज्य नियंत्रित एजेंसियों से इस आदेश के अनुपालन का निर्देश जारी किया गया है. अब योगी सरकार एक प्राधिकरण का गठन करेगी, जिसमें संबंधित देशों की कंपनियों को रजिस्ट्रेशन कराना होगा. यहां रजिस्ट्रेशन से पहले इन कंपनियों को रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय से जरूरी अनुमति लेनी होगी. इसके बाद ही रजिस्ट्रेशन होगा.
राज्य की ओर से हर तीन महीने के अंतराल पर कंपनी के संबंध में एक रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी जाएगी. आपको बता दें कि गलवान घाटी घटना के बाद केंद्र सरकार के साथ ही कई राज्य सरकारों ने चीनी कंपनियों के टेंडर रद्द कर दिए थे. रेलवे ने अपने कई अहम प्रोजेक्ट्स से चीनी कंपनियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया था. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बड़े रोड प्रोजेक्ट्स में भी चीनी कंपनियों की एंट्री प्रतिबंधित कर दी थी.
लद्दाख में भारत ने खट्टे किए चीनी सेना के दांत, दो अहम चोटियों पर आर्मी का कब्जा
चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने बीते 29-30 अगस्त को एक बार फिर पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर घुसपैठ की कोशिश की थी. चीनी सेना के इस प्रयास को इंडियन आर्मी ने न सिर्फ नाकाम कर दिया बल्कि इस क्षेत्र में स्थित दो अहम चोटियों पर कब्जा कर लिया. अब भारत इस क्षेत्र में चीन की किसी भी गतिविधि पर आसानी से नजर रख सकता है और जरूरत पड़ने पर सटीक निशाना भी साध सकता है. इससे चीन बौखलाया हुआ है, जबकि भारत की मोल-भाव करने की स्थिति (Bargaining Power) मजबूत हुई है.
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