कोरोना वैक्सीन की दो डोज लगवा चुके लोगों को अमेरिका और ब्रिटेन में छूट दे दी गई है. अब उनके लिए मास्क लगाना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना जरूरी नहीं है. वहीं भारत में वैक्सीनेशन के बाद भी मास्क लगाना जरूरी है. आइए जानते हैं तीन देशों में क्यों है अलग-अगल नियम.
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नई दिल्ली: अमेरिका, ब्रिटेन और भारत तीन ही बड़े देश हैं, और इन तीनों देशों में इस समय बड़े स्तर पर टीकाकरण अभियान चल रहा है. लेकिन टीकाकरण के बाद मास्क लगाने को लेकर और सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर अलग-अलग नियम हैं. इसलिए आज हम सबसे पहले आपको यही बताएंगे कि वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने के बाद मास्क हटाने का अमेरिका का निर्णय सही है, या वैक्सीन लगवाने के बाद भी मास्क लगा कर रखने का भारत का निर्णय सही है?
सबसे पहले हम आपको अमेरिका (America) के बारे में बताएंगे, जहां राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) पहली बार प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के लिए बिना मास्क के बाहर आए, और उप राष्ट्रपति कमला हैरिस (Kamala Harris) ने उनका स्वागत किया. ये कॉन्फ्रेंस व्हाइट हाउस के रोज गार्डन में आयोजित हुई, जहां पूरा स्टाफ बिना मास्क के नजर आया. इस दौरान जो बाइडेन ने बताया कि अमेरिका अब इस स्थिति में आ गया है, जब वहां वैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुके लोगों को मास्क लगाने की जरूरत नहीं है.
जो बाइडेन ने ये निर्णय अमेरिका में स्वास्थ्य मामलों की सबसे बड़ी संस्था CDC की नई गाइडलाइन्स के बाद लिया, जिसके अनुसार वैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुके लोग अधिकांश जगहों पर बिना मास्क के जा सकते हैं. हालांकि, भीड़भाड़ वाली बंद जगहों पर जैसे बस और विमान यात्रा के दौरान या अस्पतालों में अब भी मास्क लगाने की सलाह दी गई है. अमेरिका की कुल आबादी लगभग 33 करोड़ है, जिनमें से 11 करोड़ 70 लाख लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी है. यानी ये 11 करोड़ 70 लाख लोग बिना मास्क के अब अमेरिका में रह सकते हैं.
अब हम आपको ब्रिटेन के बारे में बताते हैं. वहां के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) ने शुक्रवार को बताया कि 17 मई से ब्रिटेन में लागू कई पाबंदियां हट जाएंगी. इसे वहां लोग बिग अनलॉक (Big Unlock) भी कह रहे हैं. पीएम बोरिस ने कहा है कि 17 मई से वहां सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) के नियम भी बदल जाएंगे. अब वहां लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को गले लगा सकेंगे और उनके साथ पार्टियां भी कर सकेंगे. यानी अमेरिका ने अपने लोगों को मास्क से मुक्ति दे दी है और ब्रिटेन ने सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों में ढील दी है. ये दोनों देश ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वहां बड़ी आबादी को वैक्सीन की दोनों डोज लग गई है.
अब आपको हमारे देश के बारे में बताते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने आज किसानों के साथ एक वर्चुअल कार्यक्रम में कहा कि देश के लोगों को वैक्सीन जरूर लगवानी है, और वैक्सीन लगवाने के बाद मास्क भी पहन कर रखना है. यानी अमेरिका की तरह हमारे देश में वैक्सीन लगाने के बाद मास्क हटाने की इजाजत बिल्कुल भी नहीं है. वैज्ञानिकों के अनुसार, वायरस से बचाव के लिए यही फैसला सही है. कैसे? वो भी हम आपको बताएंगे.
अब आप सोच रहे होंगे कि इन तीन देशों के तीन अलग-अलग नियमों में कौन सा नियम सही है. तो पहले अमेरिका के निर्णय के बारे में आपको बताते हैं. राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ये निर्णय CDC के नए दिशानिर्देशों के बाद लिया, जिनमें ये कहा गया है कि वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके लोग मास्क के बिना रह सकते हैं. लेकिन अब इस फैसले का वहां कुछ लोग विरोध भी कर रहे हैं. उसकी वजह भी सीडीसी की ही गाइडलाइन्स हैं. आज से दो हफ्ते पहले सीडीसी ने ये कहा था कि अमेरिका में लोगों को वैक्सीन लगवाने के बाद भी मास्क लगाना चाहिए. लेकिन फिर दो हफ्तों में ही इन गाइडलाइन्स को बदल दिया गया. इसके पीछे बाइडेन प्रशासन की जल्दबाजी को माना जा रहा है.
अमेरिका में जब से कोरोना के प्रति दिन मामले कम होने शुरू हुए तभी से राष्ट्रपति जो बाइडेन पर ये दबाव था कि वो लोगों को मास्क हटाने की छूट दें. यही नहीं इस मांग को लेकर पिछले कुछ महीनों में वहां प्रदर्शन भी हुए और लोगों ने मास्क की अनिवार्यता को खत्म करने की मांग की. बाइडेन के लिए ये फैसला लेना इसलिए मुश्किल था क्योंकि वो चुनाव में इसी को मुद्दा बना चुके थे. पिछले साल जब अक्टूबर में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव चल रहे थे, तब मास्क नहीं लगाने को लेकर डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की आलोचना हो रही थी, और जो बाइडेन ये कह रहे थे कि वो राष्ट्रपति बनते ही मास्क को लेकर नियम बनाएंगे, और उन्होंने ऐसा किया भी.
लेकिन अब उन्हें पता है कि अमेरिका में चुनाव नहीं है और नए मामले भी प्रतिदिन कम हो रहे हैं, इसलिए उन्होंने मास्क से लोगों को ये आजादी दे दी. हालांकि इस आजादी के लिए अब उनकी आलोचना भी हो रही है. और यहां दो बातें कही जा रही हैं. पहली ये कि ये फैसला जल्दबाजी में लिया गया है और इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. और दूसरी बात ये कि ऐसा करके बाइडेन प्रशासन अमेरिका के लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहता है. क्योंकि पिछले कुछ दिनों में अमेरिका में प्रतिदिन लगाए जाने वाले टीकों की संख्या में कमी आई है.
आप जो बाइडेन के बयान से भी इस बात को समझ सकते हैं. उन्होने कहा है कि 'नया नियम बहुत सरल हैं. अगर आपने वैक्सीन लगवाई तो आपको मास्क नहीं लगाना होगा और अगर आपने वैक्सीन नहीं लगाई तो आपको मास्क लगा कर रखना होगा'. अब ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि बाइडेन के इस बयान के बाद वो लोग तो वैक्सीन जरूर लगवाएंगे, जो मास्क नहीं लगाना चाहते. कुछ जगहों पर तो लोगों को वैक्सीन लगवाने पर बियर की एक केन मुफ्त में देने का ऑफर भी दिया जा रहा है. ताकि लालच में ही सही लोग वैक्सीन लगवाएं.
अब अगर वैज्ञानिक आधार की बात करें तो हमारे देश का मत इसमें बिल्कुल सही है. वैज्ञानिकों का मानना है कि वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने के बाद भी वायरस से संक्रमित होने का खतरा रहता है. इसलिए संक्रमण से बचने के लिए लोगों को मास्क लगाना चाहिए. दूसरी महत्वपूर्ण बात ये कि वैक्सीन लगवाने के बाद वायरस शरीर में ज्यादा गंभीर रूप नहीं ले पाता और कोई भी व्यक्ति बिना अस्पताल जाए कई बार ठीक हो जाता है. लेकिन ऐसी स्थिति में वो सूपर स्प्रेडर हो सकता है. सरकार की पहली प्राथमिकता संक्रमण को रोकना है और इसके लिए मास्क, वैक्सीन लगवाने से पहले भी जरूरी है और बाद में भी जरूरी है.
बड़ी बात ये है कि अमेरिका की एजेंसी सीडीसी ने अपने पुराने दिशानिर्देशों में खुद इस बात को माना था. लेकिन बाद में लोगों के दबाव की वजह इसमें बदलाव किया गया. यहां एक समझने वाली बात ये है कि अमेरिका में कोरोना वायरस से 5 लाख 84 हजार लोग मर चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद उसने मास्क हटा लिया और भारत में ये आंकड़ा 2 लाख 62 हजार है फिर भी हम सावधानी बरतते हुए मास्क लगाने की बात कह रहे हैं.
यहां हम आपको वैक्सीनेशन से जुड़ी कुछ जानकारी भी देना चाहते हैं. इस समय पूरी दुनिया में टीका लगाने वाले देशों की सूची में भारत तीसरे नंबर पर है. पहले नंबर पर चीन है, दूसरे पर अमेरिका है और तीसरे पर यूरोपियन यूनियन है, जिसमें कुल 27 देश हैं. यानी इस हिसाब से भारत तीसरे नंबर पर हुआ. हमारे देश में लगभग 18 करोड़ लोगों को वैक्सीन की कम से कम एक डोज लग चुकी है और अमेरिका में 26 करोड़ को ये वैक्सीन लग चुकी है.
आज विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी अमेरिका के इस निर्णय पर अपनी राय रखी है, और कहा है कि मास्क हटाने से पहले ये सुनिश्चित करना जरूरी है कि उस देश में वायरस के कितने वैरिएंट मौजूद हैं और ट्रांसमिशन किस हद तक हो चुका है. अमेरिका में वायरस का ट्रांसमिशन काफी बड़े पैमाने पर हुआ है. कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा मौत अमेरिका में ही हुई हैं. ऐसे में ये समझा जा सकता है कि अमेरिका में राष्ट्रपति जो बाइडेन ने और ब्रिटेन में बोरिस जॉनसन ने अपने लोगों के दबाव में ये फैसला लिया है.
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