सिर्फ 15 हजार रुपये के लिए भूल गए मानवता, कोरोना संक्रमित के शव का किया ऐसा हाल
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सिर्फ 15 हजार रुपये के लिए भूल गए मानवता, कोरोना संक्रमित के शव का किया ऐसा हाल

परिजनों का आरोप है कि ढाई महीने तक कोरोना संक्रमित शख्स नरेश का शव मोर्चरी में रखा रहा और शव के बदले उनसे 15 हजार रुपये मांगे गए.

प्रतीकात्मक तस्वीर

हापुड़: उत्तर प्रदेश के हापुड़ में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. यहां ढाई महीने पहले एक कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मौत हुई, लेकिन 15 हजार रुपये के चलते उसका शव परिजनों को नहीं दिया गया.

शव के बदले मांगे 15 हजार रुपये

परिजनों का आरोप है कि कोरोना संक्रमित होने के बाद युवक को पहले तो हापुड़ के अस्पताल में भर्ती कराया था, लेकिन फिर उसे मेरठ के अस्पताल भेज दिया गया, जहां उसकी मौत हो गई. वहीं जब परिजन शव को लेने के लिए गए, तो अस्पताल में डॉक्टरों ने परिजनों से 15 हजार रुपये की मांग की और पैसे नहीं देने पर शव देने से मना कर दिया.

 ढाई महीने मोर्चरी में रखा

परिजनों ने कहा कि ढाई महीने तक कोरोना संक्रमित शख्स नरेश का शव अस्पताल में ही रखा रहा, लेकिन जब मामले बढ़ने लगे तो मेरठ अस्पताल से तीन दिन पहले शव को हापुड़ जीएस मेडिकल कॉलेज भेजा गया था. इसके तीन दिन बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलकर मृतक का अंतिम संस्कार किया है.

विवाद बढ़ने पर शव को हापुड़ भेजा

 

स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की टीम का कहना है कि वो शव को परिजनों को सौंपने के लिए दिन रात एक किए हुए थे, लेकिन दूसरी तरफ परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में डॉक्टरों ने परिजनों से 15 हजार रुपये की मांग की थी और जब परिजनों ने 15 हजार रुपये नहीं दिए, तब डॉक्टरों ने शव को देने से मना कर दिया. इसके बाद परिजन रोते बिलखते घर वापस आ गए थे.

जब मृतक का शव परिजनों को नहीं मिला था तो विवाद बढ़ने लगा जिसके बाद मेरठ अस्पताल से शव को हापुड़ के एक अस्पताल में भेज दिया गया था. तीन दिन बीत जाने के बाद गुरुवार को डॉक्टरों ने परिजनों की देखरेख में शव का अंतिम संस्कार किया.

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