केंद्रीय मंत्री वी.के.सिंह ने कहा, 'सार्क को ‘एक राष्ट्र’ से पहुंचा नुकसान'
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केंद्रीय मंत्री वी.के.सिंह ने कहा, 'सार्क को ‘एक राष्ट्र’ से पहुंचा नुकसान'

विदेश राज्य मंत्री वी के सिंह ने हुए दावा किया कि चीन के साथ व्यापक स्तर पर संबंध बनाए जा रहे हैं क्योंकि कोई भी ‘निरंतर शत्रुता या प्रतीत होने वाली दुश्मनी की स्थिति में नहीं रह सकता.’

केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने कहा,‘दक्षेस को एक राष्ट्र के कारण नुकसान पहुंचा है तथा यह देश अभी तक समस्याएं पैदा कर रहा है.(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: पाकिस्तान की ओर से होने वाले सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे को उठाते हुए भारत ने शुक्रवार को कहा कि दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संघ (दक्षेस) को ‘एक राष्ट्र’ के कारण नुकसान पहुंचा है तथा यह देश अभी तक समस्याएं पैदा कर रहा है.

विदेश राज्य मंत्री वी के सिंह ने पीएचडी चेम्बर आफ कॉमर्स के वार्षिक सत्र को सम्बोधित करते हुए दावा किया कि चीन के साथ व्यापक स्तर पर संबंध बनाए जा रहे हैं क्योंकि कोई भी ‘निरंतर शत्रुता या प्रतीत होने वाली दुश्मनी की स्थिति में नहीं रह सकता.’

उन्होंने पाकिस्तान का परोक्ष उल्लेख करते हुए कहा,‘दक्षेस को एक राष्ट्र के कारण नुकसान पहुंचा है तथा यह देश अभी तक समस्याएं पैदा कर रहा है....आप उन देशों के विरूद्ध आतंक में संलिप्त नहीं हो सकते जिनके साथ आप समूह को आगे बढ़ाना चाहते हैं.’

सिंह ने कहा,‘परिणामस्वरूप दक्षेस को नुकसान पहुंचा है जबकि वहां सचिवालय है तथा सभी तंत्र मौजूद हैं. इस एक देश के कारण कई अन्य देश साथ में नहीं आ पा रहे हैं. लिहाजा, इस पर गौर करने, ठीकठाक करने में कुछ समय लगेगा.’

दक्षेस दक्षिण एशिया में अंतर सरकारी संगठन तथा राष्ट्रों के भू-राजनीतिक संघ है. इसके सदस्यों में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल, मालदीव, पाकिस्तान एवं श्रीलंका शामिल हैं.

गुरुवार को पाकिस्तान पर परोक्ष हमला बोलते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने न्यूयार्क में दक्षेस विदेश मंत्रियों की बैठक में कहा था कि आतंकवाद का अभिशाप दक्षिण एशियाई क्षेत्र की शांति एवं स्थिरता सबसे बड़ा खतरा है. इसका सहयोग करने वाले तंत्र के सफाये की आवश्यकता है.

भारत ने 2016 में दक्षेस शिखर सम्मेलन का बहिष्कार किया था. उसने भारत के विरूद्ध पाकिस्तान द्वारा आतंकवादियों का निरंतर सहयोग तथा पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों द्वारा उरी में सेना के अड्डे पर हमले के विरोध में यह कदम उठाया था. भारत के कदम का अनुसरण करते हुए भूटान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान ने भी शिखर सम्मेलन का बहिष्कार किया था.

(इनपुट - भाषा)

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