विकास दुबे एनकाउंटर: SC में दायर हुई तीसरी याचिका, SIT जांच की मांग
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विकास दुबे एनकाउंटर: SC में दायर हुई तीसरी याचिका, SIT जांच की मांग

 याचिका में सवाल उठाया गया है कि क्या तुरंत न्याय के नाम पर पुलिस इस तरह कानून अपने हाथ में ले सकती है. 

विकास दुबे एनकाउंटर: SC में दायर हुई तीसरी याचिका, SIT जांच की मांग

नई दिल्ली: गैंगस्टर विकास दुबे मुठभेड़ कांड की SIT जांच की मांग को लेकर पीयूसीएल ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. सुप्रीम कोर्ट में यह तीसरी याचिका दायर हुई है. पीयूसीएल नामक संस्था ने विकास दुबे एनकाउंटर की एसआईटी जांच और मुठभेड़ों और उनके राजनीतिक नेक्सस की न्यायिक जांच करवाने की मांग की गई है.

इससे पहले भी एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई. सुप्रीम कोर्ट के वकील की तरफ से दायर याचिका में विकास दुबे और उसके साथियों के एनकाउंटर की जांच सीबीआई/एनआईए या कोर्ट की निगरानी में करवाए जाने की मांग की गई है. याचिका में सवाल उठाया गया है कि क्या तुरंत न्याय के नाम पर पुलिस इस तरह कानून अपने हाथ में ले सकती है. 

वहीं सुप्रीम कोर्ट में दायर सबसे पहली याचिका जो मुंबई के एक वकील ने दायर की है इस पर सोमवार को सुनवाई हो सकती है.

बता दें कि याचिकाकर्ता के वकील ने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री से अर्जेंट मैटर की श्रेणी के तहत इस मामले पर आज शनिवार को सुनवाई करने की मांग की है जो कि सुप्रीम कोर्ट में सोमवार के मामलों की सुनवाई सूची में लिस्ट हो सकता है.

याचिकाकर्ता के वकील घनश्याम उपाध्याय ने विकास दुबे की गिरफ्तारी के बाद और एनकाउंटर से पहले गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में पेटिशन इन पर्सन के रूप में याचिका दाखिल की थी जिसमें कहा गया था कि यूपी पुलिस विकास को एनकाउंटर में मार सकती है.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में विकास को एनकाउंटर से बचाने की मांग की गई थी. इसके अलावा विकास के घर, मॉल को ढहाने के मामले में FIR दर्ज करने और पूरे मामले की जांच CBI को सौंपने की भी मांग की गई है.

याचिकाकर्ता ने आज सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार के पास अपनी अर्जी लगाई है कि उन्होंने अपनी याचिका में विकास दुबे के एनकाउंटर का अंदेशा जताया था जिसे यूपी पुलिस ने पूरा कर दिया. ये मामला बेहद गंभीर है जिस पर तुरंत सुनवाई किए जाने की जरूरत है. इसीलिए याचिका पर आज शनिवार के अवकाश के दिन ही सुनवाई की जाए वर्ना इस मामले में और लोगों की भी जान जाएगी और संपत्ति का भी नुकसान होगा.

यूपी एसटीएफ द्वारा मारे गए विकास दुबे के एनकाउंटर पर विपक्षी नेताओं समेत कई लोगों ने सवाल खड़े हो रहे हैं. ऐसे में अब ये सवाल उठता है कि कानून के तहत एनकाउंटर की जांच किस तरीके से होगी. इस बारे में एक जनहित याचिका की सुनवाई पर सितंबर 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस एनकाउंटर और जांच के तरीके के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए थे जिनके अनुसार यूपी सरकार को इस एनकाउंटर की जांच करवानी पड़ेगी.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि देश भर में कहीं भी होने वाले पुलिस के एनकाउंटर की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से करवाई जाएगी और जांच पूरी होने तक एनकाउंटर में शामिल पुलिस वालों को प्रमोशन या वीरता पुरस्कार नहीं दिया जाएगा. सीआरपीसी की धारा 176 के तहत एनकाउंटर की मजिस्ट्रेट से जांच अनिवार्य होगी. अगर पुलिस वालों को अपराधियों के बारे में कोई सूचना मिलती है तो उसे रिकॉर्ड करवाना होगा और हर एनकाउंटर के बाद पुलिस को अपने सरकारी हथियारों और गोलियों को तुरंत वापस जमा करना होगा.

पुलिस की गोली चलाने के मामलों में घटना की जांच या तो सीआईडी करे या संबंधित थाने की बजाय किसी दूसरे थाने की पुलिस इसकी छानबीन करे. जांच की रिपोर्ट मजिस्ट्रेट, राज्य मानवाधिकार आयोग या राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भेजी जाएगी और पुलिस मुठभेड़ के मामलों की जांच का नेतृत्व उस स्तर का अधिकारी करेगा जो कि  एनकाउंटर में शामिल पुलिस अधिकारियों से सीनियर पद पर कार्यरत होगा.

सुप्रीम कोर्ट ने अपनी गाइडलाइन में ये भी कहा था कि सूत्रों द्वारा आरोपी और उसके ठिकाने के बारे में दी गई जानकारियां लिखित रूप में इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों में दर्ज की जाएंगी और आत्मरक्षा के अधिकार के तहत आरोपी की जान लेने की अपनी कार्रवाई को जायज साबित करना होगा.

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