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कीव: रूस (Russia) और यूक्रेन (Ukraine) के बीच युद्ध (War) के खतरे के बीच अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है. रूस के संभावित हमले से निपटने के लिए 27 देशों के लड़ाके भी यूक्रेन की सेना में शामिल हो गए हैं. इनमें ज्यादातर अपने-अपने देशों के पूर्व सैनिक हैं, जो यूक्रेन की मदद के लिए रूस से भिड़ने को तैयार हैं. यूक्रेन की सेना में शामिल इन विदेशी लड़ाकों (Fighters) का मकसद क्या है. क्या दोनों देशों के बीच बातचीत के बाद खतरा टल गया है ऐसे सवालों के साथ ज़ी न्यूज़ की टीम ग्राउंड रिपोर्टिंग करने यूक्रेन की राजधानी कीव स्थित सेना के ट्रेनिंग सेंटर में पहुंची है.
रूस (Russia) से युद्ध के लिए यूक्रेन की सेना तैयार है. लेकिन ये लड़ाई यूक्रेन को अपनी सेना के दम पर ही लड़नी होगी, क्योंकि अमेरिका और NATO ने उसे समर्थन तो दिया है, लेकिन ये भी साफ कर दिया है कि NATO युद्ध में सीधे नहीं उतरेगा. यानी साफ है कि यूक्रेन को अच्छी तरह मालूम है कि सैन्य क्षमता के मामले में रूस उससे दस गुना ज्यादा मजबूत है. फिर भी यूक्रेन की सेना तैयार है कि अगर उस पर युद्ध थोपा गया तो वो Russia का सामना करने के लिए तैयार है. इश दौरान ज़ी न्यूज़ संवाददाता पलकी शर्मा उपाध्याय उस ट्रेनिंग सेंटर में पहुंची जहां से यूक्रेन को हौसला मिल रहा है कि वो रूस के सामने झुकेगा नहीं बल्कि पूरे दमखम से लड़ेगा.
Georgia के Garrison हेडक्वॉर्टर में मौजूद हजारों विदेशी लड़ाकों को यूक्रेन की सरकार ने अपने देश में कुछ अधिकार दिए हैं. इसके लिए बाकायदा 2015 में यूक्रेन में इसके लिए कानून भी बनाया गया, जिसमें विदेशी लड़ाकों को यूक्रेन की सेना में शामिल होने का अधिकार दिया गया है. ये अग्रिम मोर्चे पर लड़ने वाली सैन्य टुकड़ी है जो यूक्रेन की रक्षा के लिए पूर्वी क्षेत्र में Donbas में साल 2015 से यूक्रेन की सेना की मदद कर रही है. इसमें अबतक 17 हजार विदेशी लड़ाके इसमें शामिल हो चुके हैं, जो रूस से लड़ने के लिए लगातार प्रशिक्षण ले रहे हैं.
Georgian National Legion का गठन 2014 में हुआ था, जब यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद Georgia के पूर्व सैनिक यूक्रेन का साथ देने के लिए युद्ध के मैदान में उतरे थे. Georgian National Legion की शुरुआत 100 सैनिकों से हुई थी, लेकिन अब यूक्रेन में विदेशी लड़ाकों की यूनिट में 17000 सैनिक शामिल हो चुके हैं. जिनमें जॉर्जिया, अल्बानिया, अमेरिका, ब्रिटेन, फ़्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, ग्रीस, जापान समेत 27 देशों के नागरिक हैं, जिन्हें यूक्रेन की सरकार ने अपनी सेना का हिस्सा बनाया है. इस यूनिट में 18 से लेकर 60 साल तक उम्र के विदेशी नागरिकों को तीन साल के करार पर भर्ती किया जाता है.
इस यूनिट के कई लड़ाके यूक्रेन के समर्थन में युद्ध लड़ने को शांति के लिए जरूरी मानते हैं. यहां प्रशिक्षण दे रहे सैनिकों का कहना है कि उन्हें रोज सैकड़ों आवेदन मिल रहे हैं. पहले इन विदेशी लड़ाकों को यूक्रेन सरकार की मंजूरी मिलने में 4 महीने लगते थे, लेकिन अब ये प्रक्रिया सरल बनाई गई है, ताकि विदेशी Fighters की मदद से Russia का सामना करने के लिए यूक्रेन की सेना जल्द तैयार हो सके.
जब ज़ी न्यूज़ की टीम ने ऐसे एक लड़ाके से पूछा कि क्या रूस की सेना का मुकाबला वो लोग कर पाएंगे, जिन्होंने अभी हाल ही में बंदूक पकड़ी है? इसके जवाब में उन्होंने कहा, 'हां क्योंकि मैं अफगानिस्तान में तैनात था. अमेरिकी फौज का सैनिक होने के नाते मैंने पिछले साल काबुल और आसपास ऐसे युवा लड़ाके देखे जो अत्याधुनिक हथियारों के साथ लड़ रहे तालिबानियों पर भारी पड़ रहे थे. इसलिए मुझे लगता है कि ये संभव है.'
सवाल- आप आतंकवाद से निपटने की तैयारी कर रहे हैं?
जवाब- नहीं, ये रूस का आक्रमण है और रूस की क्रूरता भी आतंकवाद जैसी ही है.
ग्राउंड रिपोर्टिंग के दौरान Georgian National Legion के कमांडर MAMUKA MAMU-LASHVILI जो यूक्रेन के पड़ोसी देश जॉर्जिया के पूर्व सैनिक हैं. उन्होंने बताया कि इस यूनिट का हिस्सा बनने के लिए भारत से भी कुछ लोगों ने आवेदन किया है, लेकिन यहां हमें कोई भारतीय नागरिक नजर नहीं आया.
सवाल- क्या भारत के लोगों ने भी आवेदन किया है?
जवाब- लोग मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से संपर्क कर रहे हैं, जो जानना चाहते हैं कि हम यहां क्या कर रहे हैं और वो भी जुड़ना चाहते हैं. सौ से ज्यादा आवेदन हमें रोज मिल रहे हैं. ज्यादातर लोग जॉर्जिया से आ रहे हैं, क्योंकि जॉर्जिया पहले से ऐसे हमले का सामना कर रहा है. जॉर्जिया का 20% हिस्सा अब भी Russia के कब्जे में है. जॉर्जिया और यूक्रेन के हालत में बहुत समानता है. जॉर्जिया और यूक्रेन दोनों में हाइब्रिड वॉर छेड़ी गई है. दोनों देशों के इलाकों पर रूस का कब्जा है और अलगाववादी समूह पैदा करके रूस पहले जैसा सोवियत संघ बनाना चाहता है.
यूक्रेन की सेना में शामिल ज्यादातर सैनिक उन देशों के हैं, जिनकी रूस के साथ दुश्मनी है. इसीलिए यूक्रेन के संकट को इन्होंने अपना युद्ध मान लिया है. इस यूनिट के फौजी और अल्बानिया के नागरिक इमैनुअल बाजानेय का कहना है कि वो अपने देश में प्रशिक्षित सैनिक रह चुके हैं. इसके साथ वो पैरामेडिक विशेषज्ञ होने के साथ घायल सैनिकों की देखभाल करते हैं. उन्होंने ये भी कहा कि हमारी टीम में सभी प्रोफेशनल सैनिक हैं, इसमें रेंजर्स हैं, नेवी सील हैं, जॉर्जिया की स्पेशल फोर्सेज के सैनिक भी हैं. इसलिए उन्हें युद्ध होने पर जीत का पूरा भरोसा है.
सवाल- आप यूक्रेन में क्यों लड़ रहे हैं?
जवाब- 26 साल पहले अल्बानिया में क्या हुआ था? आपने युगोस्लाविया युद्ध के बारे में सुना होगा. हमारे लोग सर्बिया और रूस के हाथों मारे गए थे. जॉर्जिया के लोग भी रूस और सर्बिया के द्वारा मारे गए. अब यूक्रेन में भी वही हो रहा है. ऐसे में Georgian National Legion के विदेशी फाइटर्स यूक्रेन के आम नागरिकों को भी सिविल डिफेंस की ट्रेनिंग दे रहे हैं, जिससे युद्ध होने पर वो अपनी जान बचा सकें
सवाल- क्या यूक्रेन की सरकार की तरह से कोई परेशानी हो रही है?
जवाब- हमें वॉलंटियर्स का सहयोग मिल रहा है. यूक्रेन के लोगों का सहयोग मिल रहा है. हम यूक्रेन की सरकार से तालमेल बनाकर काम कर रहे हैं, क्योंकि GNL के सैनिक कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे हैं. हम आधिकारिक तौर पर सेना का हिस्सा हैं. हमारे कई सैनिक अब भी यूक्रेन की सेना में हैं. फिलहाल हमारा काम नागरिकों को प्रशिक्षण देना है. इनमें ज्यादार लोग खेल संगठनों से जुड़े हैं, जो समूहों में आते हैं और सामान्य जानकारी लेते हैं.
आपको बता दें कि आत्म रक्षा (Self Defence) के साथ ही यहां दुश्मन पर घात लगाकर हमला करने की ट्रेनिंग भी चल रही है. हालांकि Georgian National Legion के सभी सैनिक अपने-अपने देशों की सेना में रह चुके हैं, लेकिन यूक्रेन में उन्हें तीन महीने की ट्रेनिंग लेना अनिवार्य है. ये घातक वार ड्रिल है, जिसमें सैनिक घात लगाकर दुश्मन पर हमला करने की ट्रेनिंग ले रहे हैं. ये जगह Russia की सीमा से लगे यूक्रेन के इलाके जैसी ही है, जहां बर्फ की मोटी परत पर विदेशी फाइटर्स अपनी अपनी सैन्य फॉर्मेशन में आगे बढ़ने और दुश्मन का सामना करने की कोशिश कर रहे हैं.