DNA ANALYSIS: आखिर कब बंद होगी West Bengal में 'सियासी सीरियल किलिंग'? क्या फिर लगेगा राष्ट्रपति शासन!
Advertisement

DNA ANALYSIS: आखिर कब बंद होगी West Bengal में 'सियासी सीरियल किलिंग'? क्या फिर लगेगा राष्ट्रपति शासन!

51 साल बाद भी पश्चिम बंगाल में 'सियासी सीरियल किलिंग' का खेल चल रहा है. हाल ही में विधान सभा चुनाव के नतीज आने के बाद वहां खूनी संघर्ष जारी है. इसी बीच बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है.

DNA ANALYSIS: आखिर कब बंद होगी West Bengal में 'सियासी सीरियल किलिंग'? क्या फिर लगेगा राष्ट्रपति शासन!

नई दिल्ली: आज हम 51 वर्ष पहले यानी 1970 के दौरान एक पत्रिका में छपी तस्वीर के बारे में बात करेंगे. उस वक्त देश में लोक सभा चुनाव और पश्चिम बंगाल में विधान सभा चुनाव की तैयारी चल रही थी. तब प्रधानमंत्री थीं इंदिरा गांधी, और पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति का शासन लगा हुआ था. उस दौर में CPM ने 6 दलों के साथ गठबंधन बनाया था और ज्योति बसु, इंदिरा गांधी के लिए बंगाल में चुनौती बने हुए थे.

fallback

तब ये चुनाव दो वजहों से महत्वपूर्ण था, पहला इसलिए कि लेफ्ट पार्टियां कांग्रेस पर हावी हो रही थीं, और दूसरा इसलिए कि पूर्वी पाकिस्तान, जो अब बांग्लादेश है, वहां पाकिस्तान की सेना लोगों का दमन कर रही थी. इस तस्वीर की बात हम इसलिए कर रहे हैं कि ताकि आप पश्चिम बंगाल में राजनीति के टेप्लेट (Template) को समझ सकें. क्योंकि वहां आज से 51 साल पहले जैसी राजनीति होती थी, आज भी राजनीति का स्वरूप वैसा ही है.

BJP समर्थकों पर हो रहे हमले

बस अंतर इतना है कि 1970 में मुकाबला ज्योति बसु Vs इंदिरा गांधी था, और अब मुकाबला ममता बनर्जी Vs नरेंद्र मोदी है. पश्चिम बंगाल का खूनी संघर्ष इसी राजनीतिक संस्कृति का हिस्सा है. पश्चिम बंगाल में TMC की जीत के बाद से राज्य में हिंसा और आगजनी की घटनाएं हो रही हैं और चुनावी नतीजों के बाद से बीजेपी कार्यकर्ताओं और उन्हें वोट देने वाले लोगों पर चुन चुन कर हमले किए जा रहे हैं.

अब तक 12 लोगों की हो चुकी है मौत

चुनाव के नतीजों के बाद से ही पश्चिम बंगाल TMC की जीत के ईंधन से सुलग रहा है, और बीजेपी कार्यकर्ताओं में डर का माहौल है. बीजेपी को वोट देने वाले अपने घरों में जाकर छिप गए हैं, क्योंकि उन्हें अपनी हत्या का डर है. ये डर बंगाल पिछले दो दिन से देख रहा है. रविवार रात से अब तक राज्य के अलग-अलग इलाकों में हुई झड़पों में कम से कम 12 लोगों की मौत हुई है. हालांकि पुलिस ने ये नहीं बताया कि मृतक किस पार्टी से जुड़े थे. लेकिन बीजेपी ने बताया है कि उसके 6 लोग हिंसा में टीएमसी कार्यकर्ताओं के हाथों मारे गए हैं.

सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा हिंसा का मामला

आज बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा (JP Nadda) भी पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना पहुंचे, जहां उन्होंने हिंसा में मारे गए कार्यकर्ताओं के परिवार से मुलाकात की, और हिंसा के लिए TMC को जिम्मेदार ठहराया. पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा का ये मामला आज सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया, जहां आज दो याचिकाएं दायर हुईं, जिनमें एक याचिका में हिंसा की जांच CBI से कराने की मांग की गई, जबकि दूसरी याचिका में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग हुई. इसलिए आज बहुत से लोगों के मन में ये भी सवाल है कि क्या पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है? क्योंकि वहां दो दिन पहले ही विधान सभा चुनाव के नतीजे आए हैं और लोकतांत्रिक तरीके से लोगों ने TMC को नई सरकार के लिए चुना है. इसे समझने के लिए आपको हमारे संविधान को समझना होगा. 

कब लगाया जाता है राष्ट्रपति शासन?

1. पहली स्थिति-जिसका उल्लेख हमारे संविधान के आर्टिकल-356 में मिलता है. इसके मुताबिक अगर राष्ट्रपति को ऐसा लगता है कि राज्य सरकार संविधान के मुताबिक काम नहीं कर रही तो वो राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा सकते हैं.
2. दूसरी स्थिति- अगर राज्य में चुनाव के बाद भी कोई दल या गठबंधन, सरकार बनाने की स्थिति में नहीं होता और जो पार्टी सरकार चल रही होती है वो बहुमत खो देती है या मौजूदा सरकार इस्तीफा दे देती है. तब भी आर्टिकल-356 के जरिए राष्ट्रपति शासन लग सकता है. हालांकि ये प्वाइंट पश्चिम बंगाल के मौजूदा हालात का आधार नहीं बन सकता. क्योंकि वहां TMC ने बहुमत से ज्यादा सीटें जीती हैं और उसके पास सरकार बनाने का जनमत है.
3. तीसरी स्थिति- जिसमें ये कहा गया है कि अगर राज्य सरकार केंद्र के किसी संवैधानिक आदेश का पालन नहीं करती और राज्य में कानून व्यवस्था गम्भीर होती है तो वहां राष्ट्रपति शासन लग सकता है. सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई याचिका में यही बात कही गई है.

राज्यपाल करते हैं राष्ट्रपति शासन की मांग

हालांकि इस मांग को छोड़ दें तो पश्चिम बंगाल में इस समय राष्ट्रपति शासन लगाना आसान नहीं होगा. लेकिन बीजेपी के नेता दिलीप घोष ने इसकी मांग की है. किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग वहां के राज्यपाल द्वारा की जाती है. राज्यपाल इस पर रिपोर्ट बनाते हैं और फिर ये फ़ैसला राष्ट्रपति के विवेक पर निर्भर होता है। और अभी की स्थिति में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल राजनीतिक हिंसा को लेकर काफ़ी चिंतित हैं।

PM मोदी ने राज्यपाल से की बात

आज प्रधानमंत्री ने भी राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankar) से फोन पर बात की और पश्चिम बंगाल की कानून-व्यवस्था पर चिंता जताई. राज्यपाल ने कहा कि 'बंगाल में हिंसा और हत्याएं बेरोकटोक जारी हैं और इसे नियंत्रित करना जरूरी है. बड़ी बात ये है कि राज्यपाल ने ये बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से बातचीत के बाद कही है.

क्या ममता लेंगे कोई सख्त फैसला?

हालांकि इस पर नया अपडेट ये है कि हिंसा पर ममता बनर्जी ने आज कोलकाता के अपने निवास पर एक बड़ी बैठक बुलाई, जिसमें हिंसा रोकने के लिए योजना बनाई गई. उम्मीद है कि कई लोगों का खून बहने के बाद ममता बनर्जी इस हिंसा को रोकेंगी और कड़े कदम उठाएंगी.

देखें VIDEO

ये भी देखे

Trending news