Trending Photos
DNA on Water Crisis with Sudhir Chaudhary: मध्य प्रदेश में ग्रामीण महिलाएं Spider-Man की तरह कुएं में ऊपर चढ़ती-उतरती हैं. ये महिलाएं कोई करतब दिखाने के लिए ऐसा नहीं करती हैं बल्कि वे एक बोतल पानी के लिए अपनी जान पर खेल कर सूखे कुंए में उतरने को मजबूर हैं. मध्य प्रदेश के इस गांव में लगभग हर महिला कुएं में उतर कर ऐसे ही पानी निकाल रही है. एक बोतल पानी की कीमत क्या होती है, वो आज आप इन महिलाओं से समझ सकते हैं.
कुएं से पानी निकालने की ऐसी तस्वीरें मध्य प्रदेश के डिण्डोरी जिले के एक गांव में देखने को मिल रही हैं. इस गांव का नाम है ढीमरटोला, जहां लगभग साढ़े 500 परिवार रहते हैं. इन लोगों के पास अब इतना भी पानी नहीं बचा है कि ये दिन में दो वक्त का खाना बना सके और अपनी प्यास बुझा सकें. इस गांव में चार कुंए हैं और ये सभी भीषण गर्मी की वजह से लगभग सूख चुके हैं.
#DNA : बूंद-बूंद पानी के लिए तरसता ग्रामीण भारत@sudhirchaudhary
अन्य Videos यहां देखें - https://t.co/ZoADfwSi4S pic.twitter.com/nLVPD26i2X
— Zee News (@ZeeNews) June 3, 2022
इनमें एक कुंए में थोड़ा बहुत पानी बचा है, जिसे निकालने के लिए इस गांव की महिलाएं एक एक करके 30 फीट गहरे इस कुएं में दीवार के सहारे नीचे उतरती हैं और इस दौरान इनकी जान जाने का भी ख़तरा रहता है. लेकिन इन महिलाओं के लिए जान से ज्यादा कीमती है, पानी. यानी इस गांव के लोग यही कह रहे हैं कि, प्राण जाए पर पानी ना जाए. हमारे देश के जो लोग शहरों में रहते हैं और नहाने के लिए Shower का इस्तेमाल करते हैं या ग्लास में बचा हुआ पानी बिना सोचे समझे फेंक देते हैं, आज ऐसे तमाम लोग इस गांव की महिलाओं से एक बोतल पानी की कीमत समझ सकते हैं.
हमारे देश में दो तरह के लोग रहते हैं. एक तरफ़ शहरों के वो अमीर लोग हैं, जिनके लिए पानी खेलने की चीज़ है, मज़ा लेने की चीज़ है. वो इसमें स्वीमिंग करते हैं और रेन डांस का मजा भी लेते हैं. लेकिन दूसरी तरफ ये लोग हैं, जिनके लिए पानी जिन्दगी बचाने का सवाल है. उनके लिए पानी मजा नहीं है.
यहां हैरानी की एक बात ये भी है कि ऐसी स्थिति में भी गांवों में पानी लाने की ज़िम्मेदारी महिलाओं की ही मानी जाती है. इन महिलाओं के पति और इनके परिवार के दूसरे पुरुष इनकी पानी लाने में ज्यादा मदद नहीं करते. ये हमारे समाज का कड़वा सच है कि आज यहां पानी लाने की जिम्मेदारी सिर्फ महिलाओं पर डाल दी गई है, जो कि गलत है.
जिस देश के पास दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना है. जिसके पास दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, वहां के लोग बूंद बूंद पानी के लिए कुंए का कड़वा घूंट पी रहे हैं. ये स्थिति सिर्फ मध्य प्रदेश के इस गांव की नहीं है.
इस समय मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिल नाडु समेत कई राज्यों में भीषण गर्मी की वजह से पानी का भयानक संकट खड़ा हो गया है और ग्रामीण इलाकों में ये स्थिति और भी खतरनाक है. 19 मई को राजस्थान के प्रतापगढ़ से भी कुछ ऐसी ही तस्वीरें आई थीं, जहां पानी के लिए महिलाओं को जान जोखिम में डालते देखा गया था. असल में राजस्थाथ के उस गांव में भी लगभग सभी कुंए सूख चुके हैं और जो थोड़ा बहुत पानी बचा है, उसे इसी तरह ये महिलाएं सूखे कुंए में उतर कर लाती हैं.
हमारे देश में मन्दिर मस्जिद की बहुत बात होती है. और धर्म के नाम पर भी आन्दोलन किए जाते हैं. लेकिन जिस पानी के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है, उस पर कोई बात ही नहीं करता. इसके लिए अब कोई विरोध प्रदर्शन नहीं होते. ये स्थिति भी तब है, जब कई स्टडी में इस बात की चेतावनी दी गई है कि वर्ष 2030 तक भारत की 40 प्रतिशत आबादी के पास पीने लायक पानी भी नहीं बचेगा.
भारत के जल शक्ति मंत्रालय के मुताबिक, भारत में Ground Water की स्थिति गम्भीर होती जा रही है. वर्ष 1951 में देश के हर व्यक्ति पर 5 हजार 177 Cubic Meter पानी मौजूद था. लेकिन 2021 में ये कम हो कर 1 हजार 486 Cubic Meter रह गया है. यानी पिछले 71 वर्षों में पानी की उपलब्धता 70 प्रतिशत तक कम हो चुकी है. लेकिन इसके बावजूद हमारे देश के लोग और खासतौर पर शहरों में रहने वाले लोग पानी के संकट को ज्यादा गम्भीरता से नहीं लेते.
मान लीजिए, आज अगर आपके घर में किसी नल से हर सेकेंड एक बूंद पानी टपक रहा है तो इससे 24 घंटे में 75 लीटर पानी बर्बाद हो जाएगा. ये पानी इतना है कि, इससे एक दिन में 37 लोगों की प्यास बुझाई जा सकती है. क्योंकि भारत में एक व्यक्ति दिन में औसतन 2 लीटर पानी पीता है.
पानी की अहमियत को आप इन दो लाइनों में भी समझ सकते हैं. पानी क्या है? हमारे दादाजी ने जिसे नदी में देखा, पिताजी ने कुंए में, हमने जिसे नल में देखा और बच्चों ने बोतल में. लेकिन अब उनके बच्चे कहां देखेंगे? पृथ्वी पर पानी लगातार घटता जा रहा है. ये सच्चाई हम सबको मालूम है. लेकिन अभी हममें से कोई भी इसे लेकर गंभीर नहीं है क्योंकि हम अपने स्तर पर पानी को बचाने के लिए कुछ नहीं करना चाहते. इसलिए हम आपसे यही कहना चाहते हैं कि अगर आपने अभी से पानी को बचाना शुरू नहीं किया तो एक दिन आप सबकी हालत भी इन्हीं महिलाओं की तरह हो जाएगी.