नारदा स्टिंग मामले में बढ़ेंगी Mamata Banerjee की मुश्किलें, CBI ने मुख्यमंत्री को भी बनाया पक्षकार
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नारदा स्टिंग मामले में बढ़ेंगी Mamata Banerjee की मुश्किलें, CBI ने मुख्यमंत्री को भी बनाया पक्षकार

Narada Sting Case: नारदा स्टिंग ऑपरेशन (Narada Sting Operation) मामले में सीबीआई (CBI) ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के अलावा कानून मंत्री मलय घटक और टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी को भी पक्षकार बनाया है.

ममता बनर्जी सोमवार को करीब छह घंटे तक सीबीआई कार्यालय में धरने पर बैठी थीं. (फोटो सोर्स- पीटीआई)

कोलकाता: नारदा स्टिंग ऑपरेशन (Narada Sting Operation) मामले को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की मुश्किलें बढ़ने वाली है, क्योंकि केस को पश्चिम बंगाल के बाहर ट्रांसफर करने की मांग वाली याचिका में सीबीआई (CBI) ने मुख्यमंत्री को भी पक्षकार बनाया है. सीबीआई ने इसके अलावा याचिका में कानून मंत्री मलय घटक और टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी का भी नाम लिया है.

सीबीआई ने नारदा स्टिंग ऑपरेशन मामले में किया था गिरफ्तार

बता दें कि नारदा स्टिंग ऑपरेशन (Narada Sting Operation) के मामले में सीबीआई (CBI) ने तृणमूल कांग्रेस के दो मंत्रियों और एक विधायक के साथ पार्टी के पूर्व नेता को सोमवार को गिरफ्तार किया था. इसके विरोध में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) छह घंटे तक सीबीआई कार्यालय में धरने पर बैठी रही, जबकि उनके समर्थकों ने परिसर को घेरे रखा. केंद्रीय एजेंसी की कार्रवाई के खिलाफ राज्य के कई स्थानों पर हिंसक प्रदर्शन हुए.

कोलकाता हाई कोर्ट ने लगाई जमानत पर रोक

सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले में टीएमसी के नेता फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, विधायक मदन मित्रा, पूर्व टीएमसी नेता और कोलकाता के पूर्व महापौर सोवन चटर्जी को सोमवार को जमानत दे दी थी, लेकिन कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) ने जल्द ही निचली अदालत के आदेश के अमल पर रोक लगा दी.

नारदा स्टिंग ऑपरेशन मामला है क्या?

साल 2014 में बंगाल के एक पत्रकार ने TMC के कुल 12 नेताओं का स्टिंग ऑपरेशन (Sting Operation) किया था. इनमें उस समय के 7 सांसद, ममता बनर्जी सरकार के 4 मंत्री और TMC का एक विधायक शामिल था. आरोप है कि ये सभी नेता Sting Operation में 5-5 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़े गए थे. ये टेप साल 2016 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से महज कुछ पहले सार्वजनिक किए गए थे. कलकत्ता हाई कोर्ट ने मार्च 2017 में इस मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था.

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