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कोलकाता: साल 2010 में पश्चिम बंगाल (West Bengal) के पश्चिमी मिदनापुर में हुए ज्ञानेश्वरी ट्रेन हादसे (Jnaneswari Train Accident) में मृतक घोषित किया जा चुका 38 साल का एक शख्स 11 साल बाद जिंदा मिला है. रहस्य का खुलासा तब हुआ, जब सीबीआई (CBI) ने शनिवार शाम को उत्तर कोलकाता के जोरबागान से अमृतवन चौधरी नाम के एक शख्स को हिरासत में लिया. हादसे के वक्त शख्स की उम्र 27 साल थी.
बता दें कि ज्ञानेश्वरी रेल हादसे में मृत लोगों की लिस्ट में अमृतवन चौधरी का नाम भी शामिल था. 28 मई, 2010 को पश्चिमी मिदनापुर में माओवादियों ने कथित तौर पर एक भयावह दुर्घटना को अंजाम दिया था. इस दौरान मुंबई जा रही ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस (Jnaneswari Express) पटरी से उतरने के बाद सामने से एक मालगाड़ी के साथ जा भिड़ी थी. इस हादसे में 148 यात्रियों ने जान गंवाई थी.
जांच में सीबीआई के अफसरों ने माना कि डीएनए प्रोफाइलिंग के माध्यम से जिस शख्स की पहचान की गई थी, जिसे दुर्घटना में मृत करार दिया था, वह वास्तव में जिंदा है. उस दौरान चूंकि अमृतवन चौधरी को मृत करार दिया गया था इसलिए उसके परिवार को मुआवजे के रूप में 4 लाख रुपये की रकम दी गई थी और केंद्र सरकार की एक नौकरी का प्रबंध भी किया गया था, जिसकी घोषणा उस वक्त रेलवे ने की थी.
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गौरतलब है कि अमृतवन चौधरी की बहन इस वक्त दक्षिण पूर्व रेलवे के सियालदह डिवीजन में असिस्टेंट सिंग्नल के रूप में कार्यरत है. इसके अलावा वह कथित तौर पर केंद्र सरकार की भी एक नौकरी कर रही है, जो भाई की मौत के बाद मुआवजे के तौर पर उसे मिली हुई है.
कहा जाता है कि अमृतवन चौधरी के माता-पिता ने ही मुआवजे के पैकेज के हिस्से के रूप में दी गई राशि को स्वीकार किया था. एफआईआर में अमृतवन चौधरी, उनकी बहन महुआ पाठक और उनके माता-पिता मिहिर कुमार चौधरी और अर्चना चौधरी का नाम शामिल किया गया है. एक अन्य अज्ञात सरकारी और निजी अधिकारियों को भी एफआईआर के दायरे में रखा गया है.
सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा, 'हमें पिछले साल 11 अगस्त को दक्षिण पूर्व रेलवे की प्रशासनिक शाखा के महाप्रबंधक के दफ्तर से शिकायत मिली थी, जिसके आधार पर एक जांच शुरू की गई थी. जांच में पता चला है कि अमृतवन चौधरी आज भी जिंदा है.'
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उन्होंने आगे कहा कि डीएनए प्रोफाइलिंग से मैच करने के बाद शव परिवार को सौंप दिया गया था. इसका मतलब है कि डीएनए रिपोर्ट के साथ कोई छेड़छाड़ की गई थी क्योंकि अमृतवन चौधरी जीवित है. जिसका शव सौंपा गया था, वह अमृतवन था ही नहीं.
राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के अनुसार, जो शव पहचानने योग्य स्थिति में थे, उन्हें दस्तावेजों की जांच के बाद परिवारों को सौंप दिया गया था, लेकिन कई शव क्षत-विक्षत थे और उनकी पहचान नहीं हो सकी थी. उन मामलों में डीएनए मैच करने के बाद शव परिजनों को सौंपे गए थे.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह साफ है कि अमृतवन चौधरी परिवार ने कुछ सरकारी अधिकारियों की कथित मिलीभगत से डीएनए प्रोफाइलिंग रिपोर्ट से छेड़छाड़ की थी और यह साबित कर दिया था कि ट्रेन दुर्घटना के पीड़ितों में से एक का डीएनए उनके परिवार के सदस्यों के डीएनए से मेल खाता है.
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